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तेलंगाना ने कृष्णा नदी जल विवाद को ट्रिब्यूनल को सौंपने की मांग की

  • 28 Aug 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के. चंद्रशेखर राव ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से अनुरोध किया है कि कृष्णा नदी के जल बँटवारे को लेकर विवाद को अधिकरण को सौंप दिया जाए ताकि राज्य के लोगों को न्याय मिल सके।

प्रमुख बिंदु:

  • तेलंगाना द्वारा अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (ISRWD) अधिनियम, 1956 की धारा 3 के प्रावधानों के अनुसार अनुरोध के बावज़ूद केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति बृजेश कुमार ट्रिब्यूनल की अवधि बढ़ा दी थी और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अनुसार मामले को संदर्भित किया गया था।
  • चूँकि अधिनियम की धारा 89 का दायरा काफी सीमित था जो तेलंगाना के उचित मांगों के साथ न्याय करने में नहीं सक्षम होता। इसलिये यह अनिवार्य हो गया था कि मामले को अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (ISRWD) अधिनियम के तहत ट्रिब्यूनल के पास भेजा जाए।
  • एक अलग अनुरोध में मुख्यमंत्री ने कहा था कि सीता राम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को एक नई परियोजना के बजाय गोदावरी नदी पर चल रही एक पुरानी परियोजना के रूप में माना जाए ताकि परियोजना को आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद समय पर पूरा किया जा सके।
  • उल्लेखनीय है कि संयुक्त आंध्र प्रदेश की पूर्व सरकार ने परियोजना को ₹ 1,681 करोड़ की लागत वाली राजीव दुमुगुडेम लिफ्ट सिंचाई योजना और ₹ 1,824 करोड़ लागत की इंदिरासागर रूद्रमकोटा लिफ्ट सिंचाई योजना के रूप में मंजूरी दे दी।
  • तदनुसार इन दो परियोजनाओं पर कार्य शुरू किया गया था और राज्य के विभाजन के समय क्रमशः ₹ 871.8 करोड़ और ₹ 899.36 करोड़ खर्च किए गए थे।
  • हालाँकि परियोजना को फिर से डिज़ाइन किया जाना था क्योंकि इंदिरासगर परियोजना का मुख्य कार्य शेष आंध्र प्रदेश में चला गया था और इसका सीमांकन कार्य वन्यजीव अभयारण्य के कोर क्षेत्र से होकर गुजर रहा था।
  • गौरतलब है कि अंतर्राज्यीय मुद्दों से बचने के लिये सरकार ने परियोजना के मुख्य कार्य को तेलंगाना के अधिकार क्षेत्र में हस्तांतरित कर दिया।
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