जैव विविधता और पर्यावरण
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
- 12 Feb 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, कार्बन सिंक। मेन्स के लिये:काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के शुद्ध कार्बन उत्सर्जक बनने का कारण। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि असम का काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जितना कार्बन अवशोषित करता है, उससे कहीं अधिक कार्बन उत्सर्जित कर रहा है।
- इस शोध के अनुसार, जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होगी काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की कार्बन अवशोषित करने की क्षमता और कम होती जाएगी।
- इससे पहले यह पाया गया था कि अमेज़न वर्षावन कार्बन अवशोषित करने की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर रहे हैं।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि काज़ीरंगा द्वारा प्री-मानसून सीजन- मार्च, अप्रैल और मई के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की सबसे अधिक मात्रा को अवशोषित किया गया है।
- एक जंगल या जंगल में उपस्थित पेड़ प्रकाश संश्लेषण हेतु कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते है तथा श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक शुद्ध कार्बन उत्सर्जक के रूप में:
- अद्वितीय मिट्टी:
- इस क्षेत्र की मिट्टी में बैक्टीरिया की एक बड़ी आबादी पाई जाती है जो श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण में कमी:
- बादल छाए रहने के कारण मानसून के दौरान पेड़ पर्याप्त मात्रा में प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते है। इसलिये वनों की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
- मानसून के बाद और सर्दियों के महीनों के दौरान स्थिति सामान्य रहती है, जिससे जंगल शुद्ध कार्बन उत्सर्जक बन जाता है।
- वाष्पित जल से कम वर्षा:
- वैज्ञानिकों ने वाष्पित जल में समस्थानिकों का विश्लेषण किया और जंगल में मौजूद जल एवं कार्बन चक्रों के बीच एक मज़बूत संबंध पाया।
- मानसून से पूर्व के महीनों में वाष्पित जल से होने वाली वर्षा में कमी की प्रवृत्ति देखी जाती है जो उच्चतम कार्बन अवशोषण के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- वाष्पोत्सर्जन एक प्रक्रिया है जिसमें पौधों के रंध्रों के माध्यम से जल वाष्प की क्षति होती है।
- पत्तियों के आंतरिक भाग में कार्बन डाइऑक्साइड के प्रवेश करने और प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन के बाहर निकलने के लिये रंध्रों के खुलने की प्रक्रिया (Stomatal Openings) का होना आवश्यक है।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- अवस्थिति: यह असम राज्य में स्थित है और 42,996 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
- यह ब्रह्मपुत्र घाटी बाढ़ के मैदान में एकमात्र सबसे बड़ा अविभाजित और प्रतिनिधि क्षेत्र है।
- वैधानिक स्थिति:
- इस उद्यान को वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- इसे वर्ष 2007 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय स्थिति:
- इसे वर्ष 1985 में यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
- इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है।
- जैव विविधता:
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- गैंडो की संख्या के मामले में असम के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बाद पोबितोरा (Pobitora) वन्यजीव अभयारण्य का दूसरा स्थान है, जबकि पोबितोरा अभयारण्य विश्व में गैंडों की उच्चतम जनसंख्या घनत्व वाला अभयारण्य है।
- काज़ीरंगा में संरक्षण प्रयासों का अधिकांश ध्यान 'चार बड़ी ' प्रजातियों- राइनो, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई जल भैंस पर केंद्रित है।
- वर्ष 2018 की जनगणना में 2,413 गैंडे और लगभग 1,100 हाथी थे।
- वर्ष 2014 में आयोजित बाघ जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, काज़ीरंगा में अनुमानित 103 बाघ थे, उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (215) और कर्नाटक में बांदीपुर नेशनल पार्क (120) के बाद भारत में यह तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।
- काज़ीरंगा में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्राइमेट्स की 14 प्रजातियों में से 9 का निवास भी है।
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- नदियाँ और राजमार्ग:
- इस उद्यान क्षेत्र से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 गुज़रता है।
- उद्यान में लगभग 250 से अधिक मौसमी जल निकाय (Water Bodies) हैं, इसके अलावा डिपहोलू नदी (Dipholu River ) इससे होकर गुज़रती है।