ज्योतिराव फुले | 12 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:ज्योतिराव फुले, सावित्रीबाई। मेन्स के लिये:सामाजिक-सांस्कृतिक सुधार आंदोलन, महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती (11 अप्रैल) पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिराव फुले कौन थे?
- संक्षिप्त परिचय:
- जन्म: ज्योतिराव फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था और वे सब्जियों की खेती करने वाली माली जाति से संबंधित थे।
- शिक्षा: वर्ष 1841 में फुले का दाखिला स्कॉटिश मिशनरी हाईस्कूल (पुणे) में हुआ, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की।
- विचारधारा: उनकी विचारधारा स्वतंत्रता, समतावाद और समाजवाद पर आधारित थी|
- फुले थॉमस पाइन की पुस्तक ‘द राइट्स ऑफ मैन’ से प्रभावित थे और उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने का एकमात्र तरीका महिलाओं निम्न वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना था।
- प्रमुख प्रकाशन: तृतीया रत्न (1855); पोवाड़ा: छत्रपति शिवाजीराज भोंसले यंचा (1869); गुलामगिरि (1873), शक्तारायच आसुद (1881)।
- संबंधित सगठन: फुले ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर वर्ष 1873 में सत्यशोधक समाज का गठन किया, जिसका अर्थ था सत्य के साधक ’ताकि महाराष्ट्र में निम्न वर्गों को समान सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकें।
- नगरपालिका परिषद सदस्य: वह पूना नगरपालिका के आयुक्त नियुक्त किये गए और वर्ष 1883 तक इस पद पर रहे।
- महात्मा का शीर्षक: 11 मई, 1888 को महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्त्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- समाज सुधारक:
- वर्ष 1848 में उन्होंने अपनी पत्नी (सावित्रीबाई) को पढ़ना-लिखना सिखाया, जिसके बाद इस दंपति ने पुणे में लड़कियों के लिये पहला स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला, जहाँ वे दोनों शिक्षण का कार्य करते थे।
- वह लैंगिक समानता में विश्वास रखते थे और अपनी सभी सामाजिक सुधार गतिविधियों में पत्नी को शामिल कर उन्होंने अपनी मान्यताओं का अनुकरण किया।
- वर्ष 1852 तक फुले ने तीन स्कूलों की स्थापना की, लेकिन 1857 के विद्रोह के बाद धन की कमी के कारण वर्ष 1858 तक ये स्कूल बंद हो गए थे।
- ज्योतिबा ने विधवाओं की दयनीय स्थिति को समझा तथा युवा विधवाओं के लिये एक आश्रम की स्थापना की और अंततः विधवा पुनर्विवाह के विचार के पैरोकार बन गए।
- ज्योतिराव ने ब्राह्मणों और अन्य उच्च जातियों की रुढ़िवादी मान्यताओं का विरोध किया तथा उन्हें "पाखंडी" करार दिया।
- वर्ष 1868 में ज्योतिराव ने अपने घर के बाहर एक सामूहिक स्नानागार का निर्माण करने का फैसला किया, जिससे उनकी सभी मनुष्यों के प्रति अपनत्व की भावना प्रदर्शित होती है, इसके साथ ही उन्होंने सभी जातियों के सदस्यों के साथ भोजन करने की शुरुआत की।
- उन्होंने जन जागरूकता अभियान शुरू किया जिसने आगे चलकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर और महात्मा गांधी की विचारधाराओं को प्रभावित किया, जिन्होंने बाद में जातिगत भेदभाव के खिलाफ बड़ी पहलें की।
- कई लोगों द्वारा यह माना जाता है कि दलित जनता की स्थिति के चित्रण के लिये फुले ने ही पहली बार 'दलित' शब्द का इस्तेमाल किया था
- उन्होंने महाराष्ट्र में अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिये काम किया।
- वर्ष 1848 में उन्होंने अपनी पत्नी (सावित्रीबाई) को पढ़ना-लिखना सिखाया, जिसके बाद इस दंपति ने पुणे में लड़कियों के लिये पहला स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला, जहाँ वे दोनों शिक्षण का कार्य करते थे।
मृत्यु: 28 नवंबर, 1890 को उनकी मृत्यु हो गई। उनका स्मारक फुलेवाडा, पुणे, महाराष्ट्र में बनाया गया है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. सत्य शोधक समाज का गठन सबंधित है: (2016) (a) बिहार में आदिवासियों के उत्थान के लिये एक आंदोलन। उत्तर: (c) |