लोकपाल का क्षेत्राधिकार | 20 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत का लोकपाल, स्वदेश दर्शन योजना, बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) मेन्स के लिये:लोकपाल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये उसे पर्याप्त शक्तियाँ सौंपने से संबंधित मुद्दे एवं चिंताएँ। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के लोकपाल ने क्षेत्राधिकार की सीमाओं का हवाला देते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश में आत्महत्या से मरने वाले एक सरकारी अधिकारी की पत्नी की याचिका पर विचार नहीं कर सकता।
- स्वदेश दर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार की परियोजनाओं के समापन प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिये अधिकारी पर कथित तौर पर वरिष्ठों द्वारा दबाव डाला गया था।
भारत के लोकपाल द्वारा क्या रुख अपनाया गया?
- उत्तर प्रदेश मामले में लोकपाल की क्षेत्राधिकार संबंधी सीमाएँ:
- लोकपाल ने स्पष्ट किया कि उसके पास प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति और उत्तर प्रदेश के महानिदेशक के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं है।
- कथित आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा यह मुद्दा आपराधिक कानून और प्रक्रिया के दायरे में आता है, जिसके कारण लोकपाल को यह घोषित करना पड़ा कि वह याचिका पर विचार नहीं कर सकता।
- शिकायत अग्रेषित करना:
- अपने अधिकार क्षेत्र की बाधाओं के बावजूद, लोकपाल ने आगे की जाँच के लिये शिकायत को केंद्रीय पर्यटन सचिव को भेजकर एक कदम आगे बढ़ाया।
स्वदेश दर्शन योजना:
- इसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था। योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय देश में पर्यटन बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- योजना का दूसरा चरण पहले 2023 में शुरू किया गया था। योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण सर्किट में शामिल हैं:
- बौद्ध सर्किट
- रामायण सर्किट
- आध्यात्मिक सर्किट
लोकपाल क्या हैं?
- परिचय:
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में संघ के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान है।
- ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक स्थिति के वैधानिक निकाय हैं।
- कार्य:
- वे एक "लोकपाल" का कार्य करते हैं और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों एवं संबंधित मामलों की जाँच करते हैं।
लोकपाल के अधिकार क्षेत्र और उसकी शक्तियों के अंतर्गत क्या आता है?
- प्रधानमंत्री (PM) और मंत्रियों से संबंधित:
- लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, अन्य मंत्री, संसद सदस्य (सांसद), समूह A, B, C और D अधिकारी तथा केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं।
- लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री शामिल हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले इसके अपवाद हैं।
- संसद में कही गई किसी बात या वहाँ दिये गए वोट के मामले में लोकपाल के पास मंत्रियों और सांसदों के संबंध में कोई अधिकार नहीं है।
- सिविल सेवकों और नौकरशाहों से संबंधित:
- इसके अधिकार क्षेत्र में वह व्यक्ति भी शामिल है जो केंद्रीय अधिनियम द्वारा स्थापित किसी भी सोसायटी या केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित/नियंत्रित किसी अन्य निकाय का प्रभारी (निदेशक/प्रबंधक/सचिव) है या रहा है और उकसाने, रिश्वत देने या लेने के कृत्य में शामिल है।
- लोकपाल अधिनियम के अनुसार सभी सार्वजनिक अधिकारियों को अपनी और अपने आश्रितों की संपत्ति एवं देनदारियों की जानकारी देना आवश्यक है।
- केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) से संबंधित:
- इसके पास CBI पर अधीक्षण और निर्देश देने की शक्तियाँ हैं।
- यदि लोकपाल ने कोई मामला CBI को भेजा है, तो ऐसे मामले में जाँच अधिकारी को लोकपाल की स्वीकृति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
- इसके पास CBI पर अधीक्षण और निर्देश देने की शक्तियाँ हैं।
लोकपाल की कार्यप्रणाली के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?
- पूर्णकालिक अध्यक्ष की कमी: मई 2022 से लोकपाल के पास कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है, जिससे इसके प्रभावी ढंग से कार्य करने की क्षमता के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- भ्रष्ट अधिकारियों से निपटने में निष्क्रियता: अप्रैल 2023 में संसद में पेश की गई एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लोकपाल ने "आज तक भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है।"
- लोकपाल कार्यालय द्वारा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के पैनल को उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के बाद से भ्रष्टाचार विरोधी निकाय को कुल 8,703 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 5,981 शिकायतों का निपटारा किया गया।
- बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त होने के बावजूद भ्रष्टाचार के लिये किसी पर मुकदमा नहीं चलाया गया है जो भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की लोकपाल की क्षमता के बारे में चिंताओं को उजागर करता है।
- पारदर्शिता की कमी: कुछ विशेषज्ञों ने लोकपाल की पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व की कमी के संबंध में भी आलोचना की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे लोकपाल की विश्वसनीयता एवं प्रभावशीलता कम होती है।
आगे की राह
- भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने के लिये लोकपाल की संस्था को कार्यात्मक स्वायत्तता एवं जनशक्ति की उपलब्धता दोनों के संदर्भ में सशक्त किया जाना चाहिये।
- अधिक पारदर्शिता, सूचना के अधिकार तक अधिक पहुँच तथा नागरिकों व नागरिक समूहों के सशक्तिकरण सहित एक अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता है जो स्वयं को सार्वजनिक जाँच के अधीन करने के लिये तत्पर हो।
- प्रशासनिक सुदृढ़ता के लिये लोकपाल की नियुक्ति ही अपने आप में पर्याप्त नहीं है। जाँच एजेंसियों के सशक्तीकरण मात्र से सरकार का आकार तो बढ़ेगा किंतु ज़रूरी नहीं कि प्रशासन में सुधार हो।
- सरकार द्वारा अपनाया गया नारा "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त, लोकपाल तथा लोकायुक्त को ऐसे लोगों से संबंधित वित्तीय, प्रशासनिक एवं कानूनी जाँच एवं उसकी रिपोर्ट तैयार करके मुक्त होने की आवश्यकता है, जिनके विरुद्ध जाँच करने तथा मुकदमा चलाने के लिये उन्हें कहा गया है।
- लोकपाल तथा लोकायुक्त की नियुक्तियाँ पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिये जिससे अनुचित अवधारणा वाले लोगों के प्रवेश की संभानाएँ कम हो सकें।
- किसी एकल संस्थान अथवा प्राधिकरण में अत्यधिक शक्ति के संकेन्द्रण से बचने के लिये उचित उत्तरदायी तंत्र के साथ विकेन्द्रीकृत संस्थानों की बहुलता की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. 'राष्ट्रीय लोकपाल कितना भी प्रबल क्यों न हो, सार्वजनिक मामलों में अनैतिकता की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता।' विवेचना कीजिये। (2013) |