बहुपक्षवाद पर संयुक्त बयान : ब्रिक्स | 10 Jun 2021
प्रिलिम्स के लियेबहुपक्षवाद, ब्रिक्स (BRICS), बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), विश्व व्यापार संगठन, चौथी औद्योगिक क्रांति मेन्स के लियेबहुपक्षवाद से संबंधित विभिन्न पक्ष (अर्थ, महत्त्व, आवश्यकता एवं दुरुपयोग), ब्रिक्स की भूमिका, बहुपक्षीय प्रणाली के लिये ब्रिक्स द्वारा निर्धारित छह सिद्धांत |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हुए एक बैठक में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों ने बहुपक्षवाद (Multilateralism) पर एक संयुक्त बयान दिया।
- ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की पाँच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ का शीर्षक है।
प्रमुख बिंदु
बहुपक्षवाद (Multilateralism) :
- अर्थ:
- बहुपक्षवाद तीन या अधिक हितधारकों के समूहों के बीच संबंधों को व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है।
- इसमें सामान्यत: कुछ गुणात्मक तत्त्व या सिद्धांत शामिल होते हैं जो व्यवस्था या संस्था को संरचनात्मक आकार देते हैं। ये सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- प्रतिभागियों के बीच हितों की अविभाज्यता।
- पारस्परिकता बढ़ाने की प्रतिबद्धता यानी आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- विवाद निपटान की प्रणाली को व्यवहार के एक विशेष तरीके के रूप में लागू करने के उद्देश्य से स्थापित करना।
- महत्त्व :
- बहुपक्षीय संस्थानों ने युद्ध-उपरांत वैश्विक शासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वास्तविक तौर पर संगठन के अन्य रूपों की तुलना में अधिक स्थिर हैं क्योंकि उनके अंतर्निहित सिद्धांत अधिक टिकाऊ और बाहरी परिवर्तनों को अनुकूलित करने में अधिक सक्षम प्रतीत होते हैं।
- आवश्यकता :
- कानून की बढ़ती घटनाएँ:
- इसका अभिप्राय यह है कि कई देशों द्वारा (अनावश्यक प्रौद्योगिकी मांग, बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन और सब्सिडी के माध्यम से) अन्य देशों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिये मौज़ूदा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानूनों का दुरुपयोग किया गया।
- अमेरिका द्वारा बाह्य-क्षेत्रीय प्रतिबंध (CAATSA के अंतर्गत) लागू किये जाने से इसने विकासशील देशों की (जैसे-भारत और चीन ) अर्थव्यवस्थाओं के विकास को प्रभावित किया है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) की उदासीनता (Paralysis), विकसित और विकासशील विश्व के बीच संघर्षों का परिणाम है ।
- इसका अभिप्राय यह है कि कई देशों द्वारा (अनावश्यक प्रौद्योगिकी मांग, बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन और सब्सिडी के माध्यम से) अन्य देशों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिये मौज़ूदा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानूनों का दुरुपयोग किया गया।
- वैश्विक आपूर्तिशृंखला का दुरुपयोग :
- विकसित देशों में से कुछ देशों के पास वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की अधिकारिता और नियंत्रण है जिससे इन देशों के वाणिज्यिक हितों के साथ रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये ये आपूर्ति शृंखलाएँ उन्हें बाहरी-सीमा क्षेत्र में व्यापक प्रभावकारी बनाती हैं और नई शक्ति विषमताओं का निर्माण करती हैं।
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के माध्यम से चीन विश्व आर्थिक प्रशासन में अपनी भूमिका को बढ़ा रहा है।
- इसके अतिरिक्त, औद्योगिक क्रांति 4.0 के दोहरे उपयोग (वाणिज्यिक संव्यवहार और सैन्य अनुप्रयोग) से भी विश्व भयभीत है।
- विकसित देशों में से कुछ देशों के पास वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की अधिकारिता और नियंत्रण है जिससे इन देशों के वाणिज्यिक हितों के साथ रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये ये आपूर्ति शृंखलाएँ उन्हें बाहरी-सीमा क्षेत्र में व्यापक प्रभावकारी बनाती हैं और नई शक्ति विषमताओं का निर्माण करती हैं।
- वैश्विक फ्रेमवर्क की कमी :
- आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और साइबर सुरक्षा आदि से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक समुदाय एक मंच पर आकर एक उभयनिष्ठ वैश्विक एजेंडे के निर्माण की दिशा में सक्रिय नहीं हो पा रहा है।
- इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक सामान्य स्वास्थ्य फ्रेमवर्क की कमी के कारण ही COVID-19 जैसी महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है।
- कानून की बढ़ती घटनाएँ:
बहुपक्षीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने और सुधारने के कार्य के लिये ब्रिक्स द्वारा निर्धारित छह सिद्धांत:
- पहला, इसे विकासशील और कम विकसित देशों की अधिक-से-अधिक सार्थक भागीदारी की सुविधा के लिये वैश्विक शासन को अधिक समावेशी, प्रतिनिधि और सहभागी बनाना चाहिये।
- दूसरा, यह सभी के लाभ के लिये समावेशी परामर्श और सहयोग पर आधारित होना चाहिये।
- तीसरा, बहुपक्षीय संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानदंडों और सिद्धांतों तथा आपसी सम्मान, न्याय, समानता, पारस्परिक लाभकारी सहयोग की भावना के आधार पर अधिक उत्तरदायी, कार्रवाई-उन्मुख और समाधान-उन्मुख बनाना चाहिये।
- चौथा, इसे डिजिटल और तकनीकी उपकरणों सहित नवीन और समावेशी समाधानों का उपयोग करना चाहिये।
- पाँचवाँ, इसे विभिन्न राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को मज़बूत करना चाहिये।
- छठा, इसे मूल रूप से जन-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
ब्रिक्स (BRICS)
- ब्रिक्स दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
- वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्री जिम ओ’ नील द्वारा ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वर्णन करने के लिये BRICS शब्द की चर्चा की।
- वर्ष 2006 में ब्रिक (BRIC) विदेश मंत्रियों की प्रथम बैठक के दौरान समूह को एक नियमित अनौपचारिक रूप प्रदान किया गया।
- दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक (BRIC) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया और इस समूह को BRICS कहा जाने लगा।
- जनवरी 2021 में भारत ने ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है।
संरचना :
- ब्रिक्स कोई संगठन का रूप नहीं है, बल्कि यह पाँच देशों के सर्वोच्च नेताओं के बीच एक वार्षिक शिखर सम्मेलन है।
- ब्रिक्स शिखर सम्मलेन फोरम की अध्यक्षता प्रतिवर्ष B-R-I-C-S क्रमानुसार सदस्य देशों द्वारा की जाती है।