जवाहरलाल नेहरू | 14 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:होम रूल लीग, भारतीय रास्ट्रीय कॉन्ग्रेस, भारत छोड़ो आंदोलन। मेन्स के लिये:राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में जवाहरलाल नेहरू का महत्त्व और योगदान। |
चर्चा में क्यों?
पंडित जवाहरलाल नेहरू की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत 14 नवंबर, 2022 को बाल दिवस मना रहा है।
- विश्व बाल दिवस प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू:
- परिचय:
- जन्म: 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में।
- पिता का नाम: मोतीलाल नेहरू (एक वकील जो दो बार अध्यक्ष के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के पद पर रहे)।
- माता का नाम: स्वरूप रानी
- संक्षिप्त परिचय:
- लेखक, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता और वकील, जो भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे।
- शिक्षा:
- नेहरू ने 16 वर्ष की आयु तक अंग्रेज़ी शिक्षिका और ट्यूटर्स द्वारा घर पर शिक्षा प्राप्त की।
- उन्होंने वर्ष 1905 में एक प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी स्कूल हैरो में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने दो साल पढ़ाई की।
- नेहरू कैम्ब्रिज़ के ट्रिनिटी कॉलेज में तीन साल पढ़ाई की हैं जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की है।
- उन्होंने इनर टेम्पल, लंदन से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की।
- स्वदेश वपसी:
- वर्ष 1912 में जब वे भारत लौटे तो उन्होंने तुरंत राजनीति में भाग लिया।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान:
- नेहरू ने वर्ष 1912 में बांकीपुर कॉन्ग्रेस में एक प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
- वर्ष 1916 में वे एनी बेसेंट की होम रूल लीग में शामिल हो गए।
- वे वर्ष 1919 में होम रूल लीग, इलाहाबाद के सचिव बने।
- वर्ष 1920 में जब असहयोग आंदोलन शुरू हुआ तो उन्होंने महात्मा गांधी के साथ बातचीत की और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।
- वर्ष 1921 में उन्हें सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के संदेह में हिरासत में लिया गया था।
- नेहरू को सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।
- वर्ष 1927 तक उन्होंने दो बार कॉन्ग्रेस पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू पर लाठीचार्ज किया गया था।
- वर्ष 1929 में नेहरू को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- नेहरू ने इस अधिवेशन में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत की।
- वर्ष 1929-31 में उन्होंने मौलिक अधिकार और आर्थिक नीति नामक एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जिसमें कॉन्ग्रेस के मुख्य लक्ष्यों और देश के भविष्य को रेखांकित किया गया।
- वर्ष 1931 में कराची अधिवेशन के दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा इस प्रस्ताव की पुष्टि की गई, जिसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
- उन्होंने वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था।
- नेहरू कॉन्ग्रेस के प्रमुख नेता बन गए और महात्मा गांधी के समान लोकप्रिय हुए।
- वर्ष 1936 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- युद्ध में भारत की जबरन भागीदारी का विरोध करने के लिये व्यक्तिगत सत्याग्रह आयोजित करने के कारण नेहरू को गिरफ्तार किया गया था।
- उन्होंने वर्ष 1940 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया जिसके लिये उन्हें चार साल की जेल की सजा मिली।
- नेहरू ने वर्ष 1942 में बॉम्बे में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के ऐतिहासिक अधिवेशन में 'भारत छोड़ो' आंदोलन की शुरुआत की।
- अन्य नेताओं के साथ नेहरू को 8 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और अहमदनगर किले में ले जाया गया।
- वर्ष 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया और उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) में निष्ठाहीनता के आरोपी अधिकारियों और सैनिकों के लिये कानूनी बचाव की व्यवस्था की।
- उन्हें वर्ष 1946 में चौथी बार भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
- सत्ता के हस्तांतरण की रणनीति की सिफारिश करने के लिये वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन को भारत भेजा गया था।
- प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी तो मिली लेकिन बँटवारे का दुख भी हुआ।
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री:
- नेहरू के अनुसार एक रियासत को संविधान सभा में सम्मिलित होना चाहिये, उन्होंने यह भी पुष्टि की कि स्वतंत्र भारत में कोई रियासत नहीं होगी।
- उन्होंने राज्यों के प्रभावी एकीकरण का कार्य वल्लभबाई पटेल को सौंपा।
- जब नए भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
- राज्यों को भाषाओं के अनुसार वर्गीकृत करने के लिये जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1953 में राज्य पुनर्गठन समिति बनाई।
- लोकतांत्रिक समाजवाद को बढ़ावा देने के अलावा उन्होंने पहली पंचवर्षीय योजनाओं को पूरा करके भारत के औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) को उनकी सबसे बड़ी भू-राजनीतिक उपलब्धि माना जाता है।
- भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध के दौरन किसी भी महाशक्ति के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया।
- प्रधानमंत्री के रूप में उनका अंतिम कार्यकाल वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध के कारण बहुत प्रभावित हुआ।
- उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने 17 वर्षों के दौरान लोकतांत्रिक समाजवाद को बढ़ावा दिया, भारत के लिये लोकतंत्र और समाजवाद दोनों को प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- उनकी आंतरिक नीतियों की स्थापना लोकतंत्र, समाजवाद, एकीकरण और धर्मनिरपेक्षता के चार सिद्धांतों पर की गई थी। वह इन स्तंभों को नए स्वतंत्र भारत के निर्माण में शामिल करने में सक्षम थे।
- किताबें: द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, विश्व इतिहास की झलक, एक आत्मकथा, एक पिता से उसकी बेटी को पत्र।
- मृत्यु: 27 मई 1964।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. वर्ष 1931 में सरदार पटेल की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन हेतु मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा किसके द्वारा तैयार किया गया? (2010) (a) महात्मा गांधी उत्तर: (b) प्रश्न. 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में विनोबा भावे को पहले सत्याग्रही के रूप में चुना गया था। दूसरे कौन थे? (2009) (a) डॉ राजेंद्र प्रसाद उत्तर: (b) |