श्रीलंका में तमिलों का मुद्दा | 13 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:श्रीलंका में तमिलों का मुद्दा, UNHRC, UN चार्टर, LTTE मेन्स के लिये:भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारत और उसके पड़ोसी, भारत-श्रीलंका संबंध। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने तमिल मुद्दे पर राजनीतिक समाधान तक पहुँचने की अपनी प्रतिबद्धता पर श्रीलंका द्वारा किसी भी निर्णायक कदम पर न पहुँचने पर चिंता व्यक्त की है।
- भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) के 51वें सत्र में अपने बयान में कहा कि उसने हमेशा संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा निर्देशित "मानव अधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण एवं रचनात्मक अंतर्राष्ट्रीय संवाद तथा सहयोग के लिये राज्यों की ज़िम्मेदारी में विश्वास किया है"।
भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे:
- श्रीलंका में मौजूदा संकट ने ऋण-संचालित अर्थव्यवस्था की सीमाओं और जीवन स्तर पर इसके प्रभाव को प्रदर्शित किया है।
- यह श्रीलंका के सर्वोत्तम हित में है कि वह अपने नागरिकों की क्षमता का निर्माण करे और उनके सशक्तीकरण की दिशा में काम करे।
- वर्ष 2009 में श्रीलंका के गृहयुद्ध जिसमें हज़ारों नागरिक मारे और लापता हो गए, की समाप्ति के 13 वर्ष बाद बचे हुए लोग युद्ध के समय के अपराधों के लिये न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
- युद्ध के बाद के वर्षों में श्रीलंका के मानवाधिकार रक्षकों ने लगातार सैन्यीकरण, विशेष रूप से तमिल बहुसंख्यक उत्तर और पूर्व में दमन एवं असंतोष के लिये चिंता व्यक्त की है।
तमिल मुद्दा और इसका इतिहास:
- पृष्ठभूमि:
- श्रीलंका में 74.9% सिंहली और 11.2% श्रीलंकाई तमिल हैं। इन दो समूहों के भीतर सिंहली बौद्ध और तमिल हिंदू हैं, जो महत्त्वपूर्ण भाषायी और धार्मिक विभाजन प्रदर्शित करते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि तमिल भारत के चोल साम्राज्य से आक्रमणकारियों और व्यापारियों दोनों के रूप में श्रीलंका पहुँचे।
- कुछ मूल कहानियों से पता चलता है कि सिंहली और तमिल समुदायों ने शुरू से ही तनाव (सांस्कृतिक असंगति के कारण नहीं बल्कि सत्ता विवादों के कारण) का अनुभव किया है।
- पूर्व-गृह युद्ध:
- ब्रिटिश शासन के दौरान तमिल पक्षपात के प्रतिरूप ने सिंहली लोगों को अलग-थलग और उत्पीड़ित महसूस कराया। वर्ष 1948 में ब्रिटिश कब्ज़े वाले द्वीप छोड़ने के तुरंत बाद तमिल प्रभुत्व के इन प्रतिरूपों में नाटकीय रूप से बदलाव आया।
- ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के बाद कई बार सिंहलियों ने सत्ता हासिल की और धीरे-धीरे अपने तमिल समकक्षों को प्रभावी ढंग से बेदखल करने वाले कृत्य किये, जिसके कारण वर्ष 1976 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का उत्पत्ति हुई।
- LTTE/लिट्टे समझौता न करने वाला समूह था जो चे ग्वेरा और उसकी छापामार युद्ध रणनीति से प्रेरित था।
- वर्ष 1983 में यह संघर्ष गृहयुद्ध में बदल गया, जिसके कारण कोलंबो में तमिलों को निशाना बनाकर दंगे हुए।
- यह लड़ाई तीन दशकों तक चली और मई 2009 में समाप्त तब हुई, जब श्रीलंका सरकार ने घोषणा की कि उन्होंने लिट्टे नेता को मार दिया है।
- गृहयुद्ध के बाद की स्थिति:
- हालाँकि वर्ष 2009 में गृह युद्ध समाप्त हो गया था, लेकिन श्रीलंका में वर्तमान स्थिति में केवल आंशिक सुधार हुआ है।
- तमिल आबादी का एक बड़ा हिस्सा विस्थापित हुआ है, जबकि राजनीतिक और नागरिक अधिकारों के मुद्दे कम हैं, हाल के वर्षों में भी यातना एवं जबरन गायब करने की घटनाएँ जारी हैं।
- सरकार का आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) ज़्यादातर तमिलों को निशाना बनाता है। अधिक सूक्ष्म अर्थों में श्रीलंकाई सरकार तमिल समुदाय को मताधिकार से वंचित करना जारी रखे हुए है।
- उदाहरण के लिये "सिंहलीकरण" की प्रक्रिया के माध्यम से सिंहली संस्कृति ने धीरे-धीरे तमिल आबादी की जगह ले ली है।
- मुख्य रूप से तमिल क्षेत्रों में सिंहली स्मारक,, सड़क और गाँव के नाम साथ ही बौद्ध पूजा स्थल अधिक आम हो गए।
- इन प्रयासों ने श्रीलंकाई इतिहास के साथ-साथ देश की संस्कृति के तमिल और हिंदू तत्त्वों पर तमिल परिप्रेक्ष्य का उल्लंघन किया है तथा कुछ मामलों में उन्हें मिटा दिया है।
भारत की चिंता:
- शरणार्थियों का पुनर्वास: श्रीलंकाई गृहयुद्ध (2009) से बचकर भारत आए श्रीलंकाई तमिलों की एक बड़ी संख्या तमिलनाडु में शरण लेने की मांग कर रही है। वे लोग श्रीलंका में फिर से निशाना बनाए जाने के डर से वहाँ वापस नहीं लौट रहे हैं। भारत के लिये उनका पुनर्वास करना एक बड़ी चुनौती है।
- तमिलों की अनदेखी: श्रीलंका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने हेतु श्रीलंकाई तमिलों की दुर्दशा को नज़रअंदाज करने के लिये भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर इसकी आलोचना की जाती है।
- सामरिक हित बनाम तमिल मुद्दा: अक्सर भारत को अपने पड़ोसी के आर्थिक हितों की रक्षा और हिंद महासागर में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिये रणनीतिक मुद्दों पर अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों के मुद्दों को लेकर समझौता करना पड़ता है।
भारत-श्रीलंका संबंधों को लेकर अन्य मुद्दे:
- मछुआरों की हत्या:
- श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
- वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में कुल 284 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया तथा कुल 53 भारतीय नौकाओं को श्रीलंकाई अधिकारियों ने ज़ब्त कर लिया।
- श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
- ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना:
- इस वर्ष (2021) श्रीलंका ने ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना के लिये भारत और जापान के साथ हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को रद्द कर दिया।
- भारत ने इस कदम का विरोध किया, हालाँकि बाद में वह अडानी समूह द्वारा विकसित किये जा रहे वेस्ट कोस्ट टर्मिनल के लिये सहमत हो गया।
- इस वर्ष (2021) श्रीलंका ने ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना के लिये भारत और जापान के साथ हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को रद्द कर दिया।
- चीन का प्रभाव:
- श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक हित और परिणाम के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
- चीन पहले से ही श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेशक है, जो कि वर्ष 2010-2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लगभग 23.6% था, जबकि भारत का हिस्सा केवल 10.4 फीसदी है।
- चीन, श्रीलंकाई सामानों के लिये सबसे बड़े निर्यात स्थलों में से एक है और श्रीलंका के विदेशी ऋण के 10% हेतु उत्तरदायी है।
- श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक हित और परिणाम के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
- श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन:
- यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिये तमिल लोगों की उचित मांग को पूरा करने हेतु प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्तियों के हस्तांतरण की परिकल्पना करता है।
आगे की राह
- अपने नागरिकों की क्षमता का निर्माण करना और उनके सशक्तीकरण की दिशा में काम करना श्रीलंका के सर्वोत्तम हित में है, जिसके लिये ज़मीनी स्तर पर सत्ता का हस्तांतरण एक पूर्व-आवश्यकता है।
- भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने हेतु श्रीलंका के साथ नेबरहुड फर्स्ट पाॅलिसी का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रिलिम्स: प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (B) सही है। प्रश्न. भारत-श्रीलंका संबंधों में घरेलू कारक विदेश नीति को कैसे प्रभावित करते हैं? चर्चा कीजिये। (2013) |