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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण का मुद्दा

  • 29 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैट, उत्पाद शुल्क, कच्चे तेल की कीमतें

मेन्स के लिये:

भारत में पेट्रोल और डीज़ल मूल्य निर्धारण का मुद्दा, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा कई विपक्ष शासित राज्यों से नागरिकों पर आर्थिक बोझ को कम करने तथा सहकारी संघवाद की भावना का पालन करते हुए इस वैश्विक संकट के समय में एक टीम के रूप में कार्य  कर पेट्रोल और डीज़ल पर करों में कटौती का आग्रह किया गया है। 

  • महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल तथा झारखंड राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीज़ल पर मूल्यवर्द्धित कर (Value-added tax- VAT) को कम नहीं किया गया है।
  • वैट, उपभोग कर है जिसे आपूर्ति शृंखला के उत्पादन में शामिल हर बिंदु पर जोड़ा जाता है। 

Petrol-Price

प्रमुख बिंदु 

  • ईंधन की खुदरा कीमतों के घटक:
  • पेट्रोल और डीज़ल की खुदरा कीमतें मुख्य रूप से 3 घटकों से मिलकर बनी होती हैं:
    • आधार मूल्य (अंतर्राष्ट्रीय तेल की लागत को दर्शाता है)
    • केंद्रीय उत्पाद शुल्क
    • राज्य कर (वैट)
  • भारत में पेट्रोल और डीज़ल की कीमत का एक बड़ा हिस्सा केंद्रीय और राज्य कर है।
  • उत्पाद शुल्क पूरे भारत में एक समान है, राज्य कर (बिक्री कर और मूल्यवर्द्धित कर) विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए दरों के आधार पर भिन्न होते हैं।
    • ये कर उपभोक्ताओं के लिये ईंधन को और भी महंगा बनाते हैं।
  • केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में ग्राहकों को कुछ राहत देने के लिये पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया था। 
    • उत्पाद शुल्क के रूप में पेट्रोल पर 5 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल पर 10 रुपए प्रति लीटर की कमी की गई।
    • केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती करने के बाद भी ईंधन की कीमतें स्थिर रहीं।
    • हालांँकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण वैश्विक कच्चे तेल की ऊँची कीमतों की वजह से भारत में भी पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
  • वैट दरों में अंतर के कारण विभिन राज्यों के पेट्रोल और डीज़ल की कीमत अलग-अलग हैं। 
    • उच्च वैट वाले राज्यों में पेट्रोल की कीमतों में थोड़ी अधिक कमी देखी गई।
  • पेट्रोल और डीज़ल की खुदरा दरें अंतर्राष्ट्रीय कीमतों द्वारा नियंत्रित होती हैं क्योंकि भारत अपनी 85% तेल ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।

ईंधन की कीमतों से सरकार को राजस्व:

  •  ईंधन पर उत्पाद शुल्क और वैट केंद्र और राज्यों के लिये राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। 
  • बजट 2020-21 के अनुसार, ईंधन पर उत्पाद शुल्क केंद्र के सकल कर राजस्व का लगभग 18.4% है।
    • पेट्रोलियम और अल्कोहल राज्यों के अपने कर राजस्व में औसतन 25-35% का योगदान करते हैं।
      • राज्यों की राजस्व प्राप्तियों में से केंद्रीय कर हस्तांतरण में 25-29% और स्वयं के कर राजस्व में 45-50% शामिल हैं। 
  • अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर करों से केंद्र को 3.10 लाख करोड़ रुपए का राजस्व मिला, जिसमें उत्पाद शुल्क के रूप में 2.63 लाख करोड़ रुपए और कच्चे तेल पर उपकर के रूप में 11,661 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।
    • इसी अवधि  में राज्य के कोष में कुल 2.07 लाख करोड़ रुपए जमा हुए, जिसमें से 1.89 लाख करोड़ रुपए वैट के माध्यम से संगृहीत हुये थे।

ईंधन कर कम करने के संदर्भ में राज्यों की समस्याएँ:

  • राजस्व का प्रमुख स्रोत: 
    • पेट्रोलियम और अल्कोहल पर कर  के माध्यम से राज्य अपने राजस्व का लगभग एक-तिहाई हिस्सा प्राप्त करते हैं, अतः राज्य इन करों में कमी को एक बड़ी हानि के रूप देखते हैं।
  • महामारी का प्रभाव:
    • आर्थिक मंदी और महामारी के कारण राज्य के खर्च में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप राजस्व में कमी आई थी।
      • राज्यों का समेकित राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.6% से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 4.7% हो गया था।

मुद्रास्फीति को कम करने के उपाय: 

  • चूंँकि भारत कच्चे तेल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिये तैयार उत्पाद पर करों को कम करने या सब्सिडी को पुनः वितरित करने के अलावा ऊर्जा मूल्य मुद्रास्फीति को कम करने का कोई तरीका नहीं है।
  • सब्सिडी राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन के खुदरा विक्रेताओं को कम कीमत पर विक्रय में सक्षम बनाती है, जबकि निजी रिफाइनरी जिन्हें सरकार से सब्सिडी प्राप्त नहीं होती है, इस से नुकसान उठाना पड़ता है।
  • यह देखते हुए कि उच्च ईंधन की कीमतों का प्रभाव परिवहन पर भी पड़ा है जिससे अन्य वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है, अतः सख्त मौद्रिक नीति का पालन इस समस्या का सही समाधान होगा।

आगे की राह 

  • भारत अपने तेल और गैस आयात के स्रोत में विविधता लाने, रणनीतिक तेल भंडार बनाने, ऑटो फ्यूल के साथ इथेनॉल मिश्रण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजना पर कार्य कर रहा है।
  • हालांँकि कच्चे तेल, गैस, पेट्रोल और डीज़ल की वैश्विक कीमतों में भारी उछाल की स्थिति में ऊर्जा की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिये इन उपायों को को अपनाना आवश्यक है।  
  • सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों को बढ़ने से रोकने का सबसे आसान तरीका है कि उन पर करों में कटौती की जाए तथा सार्वजनिक क्षेत्र के तेल उपक्रमों से कम लाभांश लिया जाए।.
  • सरकार को ईंधन और अन्य पेट्रो उत्पादों के निर्यात को प्रतिबंधित करना चाहिये।  
    • यह रिफाइनरियों को अपने उत्पाद को घरेलू बाज़ार में बेचने के लिये मजबूर करेगा, जिससे उन्हें सुनिश्चित व्यापार-समानता मूल्य देने से छुटकारा मिलेगा। 

विगत वर्षों का प्रश्न: 

प्रश्न. वैश्विक तेल कीमतों के संदर्भ में "ब्रेंट क्रूड ऑयल" को अक्सर समाचारों में संदर्भित किया जाता है। इस शब्द का क्या अर्थ है? (2011)

  1. यह कच्चे तेल का एक प्रमुख वर्गीकरण है।
  2. यह उत्तरी सागर से प्राप्त होता है।
  3. इसमें सल्फर नहीं होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 2
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)  

  • ब्रेंट क्रूड ऑयल स्रोत की भौगोलिक स्थिति के आधार पर किये गए कच्चे तेल के प्रमुख वर्गीकरणों में से एक है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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