विक्रम लैंडर के साथ इसरो का संपर्क टूटा | 07 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के लैंडर 'विक्रम' (Vikram) से संपर्क टूट जाने के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट यान उतारने वाला पहला देश बनकर इतिहास रचने का भारत का प्रयास संभवत: निराशा में बदल गया।
प्रमुख बिंदु
- विक्रम लैंडर योजना इसरो द्वारा पूर्व निर्धारित योजना के अनुरूप ही उतर रहा था और निर्धारित गंतव्य से 2.1 किलोमीटर (1.3 मील) पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था। उसके बाद लैंडर (विक्रम) से संपर्क टूट गया।
- सॉफ्ट लैंडिंग के लिये यान की गति 6048 किमी. प्रतिघंटा से कम कर 7 किमी. प्रति घंटा या उससे भी कम करने की उम्मीद की जा रही थी।
- यदि चंद्रयान -2 मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड करता तो भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा राष्ट्र बन जाता।
- हालाँकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया। इससे मिशन को पूरी तरह से विफल नहीं कहा जा सकता है। चंद्रयान 2 ने अपना 95 प्रतिशत काम पूरा किया है। चंद्रयान 2 ऑर्बिटर के रूप में सफलतापूर्वक चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
- ऑर्बिटर का मिशन कार्यकाल एक वर्ष है।
- ऑर्बिटर का मुख्य कार्य चंद्रमा का नक्शा तैयार करना, सौर विकिरण की तीव्रता का परीक्षण करना और मैग्नीशियम, एल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन एवं सोडियम आदि जैसे प्रमुख तत्त्वों की उपस्थिति की जाँच करना है।
- यह चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी-बर्फ का मात्रात्मक अनुमान लगाने का प्रयास करेगा।
- चंद्रयान-2, चंद्रयान-1 मिशन की ही अगली कड़ी है। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा पर उतकर उसकी सतह के अध्ययन के लिए रोवर फिट करना था ताकि चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों का दायरा और बढ़ाया जा सके।