इज़राइल-सूडान शांति समझौता | 26 Oct 2020
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में इज़राइल और सूडान ने अमेरिका के 'वाशिंगटन-ब्रोकेड समझौते' (Washington-brokered Deal) के तहत रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की है।
प्रमुख बिंदु:
- इस समझौते के तहत सूडान, पिछले दो माह में इज़राइल के साथ सामान्य संबंध स्थापित करने वाला तीसरा अरब देश बन जाएगा।
- इससे पहले 13 अगस्त, 2020 को ‘इज़राइल-यूएई शांति समझौते’ की घोषणा के बाद 11 सितंबर को बहरीन-इज़राइल समझौते की घोषणा की गई थी। अन्य देशों में मिस्र ने वर्ष 1979 में तथा जॉर्डन ने वर्ष 1994 में इज़राइल के साथ ‘शांति समझौते’ किये थे।
- समझौते के हिस्से के रूप में सूडान को अमेरिकी सरकार की 'ब्लैक लिस्ट' से हटाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
- हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा सूडान को आतंकवाद की 'ब्लैक लिस्ट' से औपचारिक रूप से हटाने की घोषणा की गई थी। हालाँकि राष्ट्रपति के निर्णय को अभी काॅन्ग्रेसकी मंज़ूरी मिलना आवश्यक है।
- सूडान और इज़राइल द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक नीति का त्याग करने और आर्थिक एवं व्यापार संबंधों को शुरू करने पर सहमति व्यक्त की गई है। समझौते के तहत मुख्यत: कृषि पर प्रारंभिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सूडान-इज़राइल संबंध:
- सूडान द्वारा वर्ष 1948 में इज़राइल के निर्माण और वर्ष 1967 के 'छह दिवसीय युद्ध' के दौरान युद्ध में इज़राइल के खिलाफ लड़ने के लिये सेना भेजी गई थी।
- वर्ष 1948 में हुए प्रथम अरब-इज़राइल युद्ध में जॉर्डन ने 'वेस्ट बैंक' क्षेत्र पर अधिकार कर लिया परंतु वर्ष 1967 में हुए तीसरे अरब-इज़राइल युद्ध (छः दिवसीय युद्ध) में अरब देशों की हार के बाद इज़राइल ने इसे पुनः प्राप्त कर लिया।
- 1970 के दशक में इज़राइल द्वारा सूडानी विद्रोहियों को खार्तूम (सूडान की राजधानी) सरकार के खिलाफ लड़ने का समर्थन किया गया था।
- वर्ष 2019 में सूडान के तानाशाह शासक उमर अल-बशीर द्वारा अपने पतन से पूर्व ईरान के स्थान पर सऊदी अरब के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किये गए।
- हाल के वर्षों में इज़राइल और सूडान की खुफिया सेवाओं के बीच संपर्क में वृद्धि हुई है। सूडान द्वारा इज़राइल को अपने क्षेत्र में उड़ान भरने की अनुमति दी गई है।
वैश्विक प्रतिक्रिया:
- अमेरिकी सहयोगी देश: जर्मनी, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन सहित अमेरिकी सहयोगियों ने समझौते का स्वागत किया है। इन देशों का मानना है कि पश्चिम एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से समझौता महत्त्वपूर्ण है।
- फिलिस्तीन: फिलिस्तीनी नेताओं द्वारा समझौते की कड़ी आलोचना की गई है। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि पूर्व में भी फिलिस्तीन ने यूएई और बहरीन द्वारा इज़राइल के साथ किये गए शांति समझौते की आलोचना की थी।
- ईरान: ईरान, फिलिस्तीन का प्रमुख समर्थक रहा है। ईरान ने कहा कि सूडान ने समझौते का समर्थन करके शर्मनाक कार्य किया है। ईरान का मानना है कि सूडान द्वारा समझौते का समर्थन इसलिये किया गया है क्योंकि इसके बाद उसे आतंकवादियों की 'ब्लैक लिस्ट' से बाहर कर दिया जाएगा तथा फिलिस्तीनियों के खिलाफ अपराधों पर ईरान अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करेगा।
समझौते का महत्त्व:
- यूएई और बहरीन के अलावा सूडान के साथ किये जाने वाले शांति समझौते का इज़राइल पर सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा। जो देश पूर्व में इज़राइल का व्यापक विरोध करते थे, वे देश वर्तमान में इसके मज़बूत समर्थक बनकर उभरे हैं।
- सूडान वर्तमान में आंतरिक संघर्ष, राजनीतिक उथल-पुथल, चरमराती अर्थव्यवस्था, भोजन और ईंधन की कीमतों में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। समझौते के क्रियान्वयन से सूडान अब अमेरिका से ऋण और आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकेगा।
समझौते के समक्ष चुनौतियाँ:
- अमेरिका और सूडान के बीच आतंकवाद के प्रायोजकों की 'ब्लैक लिस्ट' के निर्धारण पर टकराव देखने को मिल सकता है क्योंकि अमेरिका चाहता है कि शांति समझौते के आवश्यक कानूनी दावों का निपटान 'ब्लैक लिस्ट' के निर्धारण से पहले ही कर लिया जाए।
- यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अमेरिका द्वारा सूडान के तानाशाह पर ओसामा बिन लादेन समूह सहित अनेक अन्य आतंकवादियों को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करने का आरोप लगाया गया था
निष्कर्ष:
- शांति समझौते को लागू किया जाना पूर्वी अफ्रीका में अमेरिका की भूमिका को निर्धारित करेगा परंतु सूडान में आतंकवाद के खिलाफ प्रतिरोध को देखते हुए सूडान को आतंकवादियों की 'ब्लैक लिस्ट' से हटाने का निर्णय सूडान- इज़राइल शांति समझौते के आधार पर नहीं किया जाना चाहिये।