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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वेस्ट बैंक में इज़राइली बस्तियाँ

  • 20 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

वेस्ट बैंक की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अरब-इज़राइल संघर्ष तथा अमेरिकी हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने इज़राइल के वेस्ट बैंक (West Bank) पर किये गए कब्ज़े का समर्थन किया है, हालाँकि विश्व के अन्य देश अमेरिका के इस दावे के विरुद्ध हैं।

West Bank

वेस्ट बैंक बस्तियाँ क्या हैं?

  • वेस्ट बैंक, इज़राइल के पूर्व में इज़राइल-जॉर्डन सीमा पर स्थित लगभग 6,555 वर्ग किमी. के भू-भाग में फैला है। जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर स्थित होने की वजह से इसे वेस्ट बैंक कहा जाता है।
  • वर्ष 1948 में हुए प्रथम अरब-इज़राइल युद्ध में जॉर्डन ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया परंतु वर्ष 1967 में हुए तीसरे अरब-इज़राइल युद्ध (छः दिवसीय युद्ध) में अरब देशों की हार के बाद इज़राइल ने इसे पुनः प्राप्त कर लिया।
  • तभी से इस क्षेत्र पर इजराइल का अधिकार है तथा इजराइल ने वेस्ट बैंक में लगभग 130 स्थायी बस्तियाँ बसाई हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों में अनेकों छोटी-बड़ी बस्तियाँ स्थापित हुई हैं।
  • इस क्षेत्र में लगभग 4 लाख इज़राइली (यहूदी) निवास करते हैं तथा उनका मानना है कि धार्मिक आधार पर यह क्षेत्र उनके पूर्वजों का है। वहीं इस क्षेत्र में 24 लाख से अधिक फिलिस्तीनी (मुसलमान) रहते हैं।

इज़राइली बस्तियों की अवैधानिकता:

  • दुनिया के अधिकतर देशों ने इज़राइल द्वारा बसाई गईं इन बस्तियों को अमान्य घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तथा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भी इसे चौथे जेनेवा कन्वेंशन के प्रावधानों का उल्लंघन माना है।
  • वर्ष 1949 में हुए चौथे जेनेवा कन्वेंशन के अनुसार, “एक विजेता शक्ति अपने क्षेत्र के असैन्य नागरिकों को विजित किये गये क्षेत्र में स्थानांतरण या निर्वासन नहीं करेगी।”
  • रोम विधान (Rome Statute), जिसके आधार पर वर्ष 1998 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) की स्थापना हुई, के अंतर्गत इस प्रकार के स्थानांतरण को युद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाता है।
  • वर्ष 1990 में हुई ओस्लो संधि (Oslo Accord) में इज़राइल तथा फिलिस्तीन दोनों ने ही आपसी समझौते के माध्यम से इन बस्तियों की स्थिति (Status) तय करने का निर्णय लिया लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
  • वर्ष 1967 में इज़राइल ने पूर्वी येरुसलम पर कब्ज़ा कर लिया। फिलिस्तीनी भविष्य में येरुसलम को अपनी राजधानी के रूप में देखते हैं इसलिये यह मुद्दा और भी विवादित हो गया।

अमेरिका की प्रतिक्रिया:

  • वर्ष 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने वेस्ट बैंक में बसी इज़राइली बस्तियों को अवैधानिक माना तथा इनको अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध बताया था।
  • वर्ष 1981 में रोनाल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने जिमी कार्टर के रवैये के विरुद्ध इज़राइल द्वारा वेस्ट बैंक में बसाई गई बस्तियों को वैध माना तथा उसके बाद संयुक्त राष्ट्र में पारित होने वाले प्रत्येक प्रस्तावों पर इज़राइल का साथ दिया।
  • वर्ष 2016 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने अमेरिका की इस नीति का त्याग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में वेस्ट बैंक के मामले पर वीटो करने से इनकार किया।
  • वहीं हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्त्व वाली अमेरिकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रीगन के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि वेस्ट बैंक में इज़राइली नागरिकों का बसना अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध नहीं है।

आगे की राह:

  • इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि यह एक जटिल विवाद है जिसका निपटारा न्यायालय में नहीं हो सकता। पहले भी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों द्वारा किये गए फैसलों से इस क्षेत्र में शांति नहीं स्थापित हो सकी है। अतः इसे आपसी बातचीत द्वारा ही हल किया जा सकता है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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