बाघ संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन | 30 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


28-29 जनवरी, 2019 को नई दिल्ली में बाघ संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन (International Stock Taking Conference on Tiger Conservation) का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि बाघ संरक्षण पर यह तीसरा अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन था।

tiger

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 2012 के बाद भारत में आयोजित होने वाला यह दूसरा समीक्षा सम्मेलन था।
  • तीसरे समीक्षा सम्मेलन में बाघ रेंज के 13 देशों द्वारा वैश्विक बाघ पुनः प्राप्ति कार्यक्रम (Global Tiger Recovery Program-GTRP) की स्थिति और वन्य जीव तस्करी से निपटने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
  • सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum) जो दुनिया में बाघों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर सरकारी संगठन है, के सहयोग से किया गया ।

भारत में बाघों की अनुमानित संख्या

  • सरकार द्वारा बाघ संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर हर चार वर्ष बाद आधुनिक तरीकों से बाघों की संख्या की गिनती की जाती है।
  • बाघ रेंज के देशों ने 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में घोषणा के दौरान 2022 तक अपनी-अपनी रेंज में बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प व्यक्त किया था।
  • सेंट पीटर्सबर्ग चर्चा के समय भारत में 1411 बाघ होने का अनुमान था जो कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2014 के तीसरे चक्र के बाद दोगुना होकर 2226 हो गया है।
  • वर्तमान में अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 (All India Tiger Estimation) का चौथा चक्र जारी है।

बाघ संरक्षण के लिये भारत सरकार के प्रयास


कानूनी उपाय

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन किया गया ताकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और बाघ एवं अन्य लुप्तप्राय प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो) का गठन किया जा सके।
  • बाघ आरक्षित वन क्षेत्र या बाघों की अधिक संख्या वाले क्षेत्र से संबंधित अपराधों के मामले में सजा में बढ़ोत्तरी की गई।

प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger)

  • भारत सरकार ने 1973 में राष्ट्रीय पशु बाघ को संरक्षित करने के लिये 'प्रोजेक्ट टाइगर' लॉन्च किया।
  • 'प्रोजेक्ट टाइगर' पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक सतत केंद्र प्रायोजित योजना है जो नामित बाघ राज्यों में बाघ संरक्षण के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।

ट्रैफिक-इंडिया के सहयोग से एक ऑनलाइन बाघ अपराध डाटा बेस की शुरुआत की गई है और बाघ आरक्षित क्षेत्रों के लिये सुरक्षा योजना बनाने के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये गए हैं।

बाघों का पुनर्वास

  • सक्रिय प्रबंधन के अंतर्गत सरिस्का और पन्ना बाघ आरक्षित वन क्षेत्रों में, जहाँ स्थानीय रूप से बाघ लुप्त हो चुके थे, बाघ और बाघिनों के जोड़ों को वहाँ फिर से बसाया गया है।
  • जिन बाघ आरक्षित वन क्षेत्रों में बाघों और शिकार किये जाने वाले अन्य जीवों की संख्या कम है वहाँ सक्रिय प्रबंधन के ज़रिये उनकी संख्या बढ़ाने के संबंध में विशेष परामर्श और निर्देश जारी किये गए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

  • चीन के साथ बाघ संरक्षण से संबंधित एक समझौते के अलावा सीमापार से वन्य जीवों के गैरकानूनी व्यापार को रोकने और वन्य जीव संरक्षण के लिये भारत ने नेपाल के साथ भी आपसी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • सुंदरवन के रायल बंगाल टाइगर के संरक्षण के लिये बांग्लादेश के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • बाघ/चीता संरक्षण के संबंध में रूसी संघ के साथ सहयोग के लिये एक उप-समूह बनाया गया है।

ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum-GTF)

  • ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) बाघों की रक्षा के लिये इच्छुक देशों द्वारा स्थापित एकमात्र अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है।
  • GTF दुनिया के 13 टाइगर रेंज के देशों में वितरित बाघों की शेष 5 उप प्रजातियों को बचाने पर केंद्रित है।
  • GTF का गठन 1993 में नई दिल्ली, भारत में बाघ संरक्षण पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की सिफारिशों पर किया गया था।
  • फोरम की स्थापना के लिये टाइगर रेंज के देशों की पहली बैठक 1994 में हुई थी, जिसमें भारत को अध्यक्ष चुना गया था और अंतरिम सचिवालय बनाने के लिये कहा गया था।
  • 1997 में, GTF एक स्वतंत्र संगठन बना।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

राष्ट्रीय संरक्षण प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
  • वर्ष 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों में संशोधन कर बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना की गई। प्राधिकरण की पहली बैठक नवंबर 2006 में हुई थी।

स्रोत : पी.आई.बी