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सामाजिक न्याय

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस

  • 03 May 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष विश्व के कई हिस्सों में 1 मई को ‘मई दिवस’ (May Day) अथवा ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

  • यह दिवस नए समाज के निर्माण में श्रमिक और श्रमिकों के योगदान के रूप में मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने की दिशा में काम करती है।

प्रमुख बिंदु

इतिहास और महत्त्व:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • 19वीं शताब्दी में अमेरिका के ऐतिहासिक श्रमिक संघ आंदोलन में श्रमिक दिवस को मान्यता मिली।
      • हालाँकि अमेरिका और कनाडा में श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष सितंबर माह के पहले सोमवार को मनाया जाता है।
    • सर्वप्रथम वर्ष 1889 में समाजवादी समूहों और ट्रेड यूनियनों के एक अंतर्राष्ट्रीय महासंघ ने शिकागो में हुई ‘हे मार्केट’ (Haymarket, 1886) घटना को याद करते हुए श्रमिकों के समर्थन में 1 मई को ‘मई दिवस’ के रूप में नामित किया था। 
      • हे मार्केट घटना श्रमिकों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली थी जिसमें पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई, जिसमें कई लोगों की मृत्यु हुई और कुछ लोग  गंभीर रुप से घायल हुए। जिन लोगों की इस झड़प में मृत्यु हुई उन्हें "हे मार्केट शहीदों" के रूप में सम्मानित किया गया।
    • कई आंदोलनकारी, जो श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन का विरोध कर रहे थे तथा काम के घंटे कम करने एवं अधिक मज़दूरी की मांग कर रहे थे उन्हें गिरफ्तार किया गया और आजीवन कारावास अथवा मौत की सजा दी गई।
  • यूरोप:
    • जुलाई 1889 में यूरोप में पहली ‘इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस ऑफ़ सोशलिस्ट पार्टीज़’ द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस/मई दिवस के रूप मनाया जाएगा। इसके बाद 1 मई, 1890 को पहला मई दिवस मनाया गया था।
  • यूएसएसआर (USSR):
    • रूसी क्रांति, 1917 के पश्चात् सोवियत संघ और पूर्वी ब्लॉक राष्ट्रों ने मज़दूर दिवस मनाना शुरू किया।
      • मार्क्सवाद और समाजवाद जैसी नई विचारधाराओं ने कई समाजवादी और कम्युनिस्ट समूहों को प्रेरित किया और किसानों, श्रमिकों से संबंधित मुद्दों की तरफ ध्यान आकर्षित किया और उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का एक अभिन्न अंग बनाया।

भारत

  • भारत में 1 मई, 1923 को पहली बार चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में मज़दूर दिवस का आयोजन किया गया। यह पहल सर्वप्रथम हिंदुस्तान की ‘लेबर किसान पार्टी’ के प्रमुख सिंगारावेलु द्वारा की गई थी।
  • लेबर किसान पार्टी के प्रमुख मलयपुरम सिंगारावेलु चेट्टियार ने इस अवसर पर दो बैठकों का आयोजन किया। 
  • इन बैठकों में सिंगारावेलु ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया था कि ब्रिटिश सरकार को भारत में मई दिवस या मज़दूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा करनी चाहिये।
  • मज़दूर दिवस या मई दिवस को भारत में 'कामगार दिन’, कामगार दिवस और अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 

श्रम से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान श्रम अधिकारों की सुरक्षा के लिये कई सुरक्षा उपाय प्रदान करता है। ये सुरक्षा उपाय मौलिक अधिकारों और राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांत के रूप में हैं।

अनुच्छेद 14 के अंतर्गत विधि के समक्ष समता एवं विधियों के समान संरक्षण का उपबंध किया गया है। संविधान का यह अनुच्छेद भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर भारतीय नागरिकों एवं विदेशी दोनों के लिये समान व्यवहार का उपबंध करता है।

अनुच्छेद 19(1) (ग) नागरिकों को संघ या सहकारी समिति बनाने का अधिकार देता है।

अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्रदान करता है।

अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध।

अनुच्छेद 24 कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध अर्थात् चौदह वर्ष से कम आयु के बालकों के किसी कारखाने, खान या किसी अन्य जोखिमयुक्त व्यवसाय में कार्य करने पर रोक लगाता है। 

अनुच्छेद 39 (क) राज्य अपने नागरिकों को आजीविका के पर्याप्त साधनों हेतु समान कार्य के लिये समान वेतन का प्रावधान करता है।

अनुच्छेद 41 के अनुसार, राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने, शिक्षा प्राप्त करने और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी एवं नि:शक्तता तथा अन्य प्रकार के अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।

अनुच्छेद 42 के अनुसार, राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिये तथा प्रसूति सहायता के लिये उपबंध करेगा।

अनुच्छेद 43 राज्य उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि, उद्योग या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मज़दूरी, शिष्ट जीवन स्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएँ तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक और सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा।

अनुच्छेद 43 क राज्य को उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के अधिकार देता है।

क़ानूनी प्रावधान :

    स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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