प्रीलिम्स फैक्ट्स : 02 मई, 2018
अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस
1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर गूगल ने दुनिया भर के श्रमिकों को याद करते हुए विशेष डूडल तैयार किया। इस डूडल में हर क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के उपकरणों को शामिल किया गया। गूगल द्वारा किताब, चम्मच, पाइप, सुरक्षा हेलमेट, बैटरी, नट बोल्ट जैसी छोटी-छोटी चीजों को शामिल करते हुए यह डूडल तैयार किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस की शुरुआत 1 मई, 1886 से हुई। 1886 में अमेरिकी मज़दूर संघों द्वारा यह निश्चय किया गया कि वे 8 घंटे से अधिक काम नहीं करेंगे, अपनी मांग के समर्थन में उन्होंने हड़ताल शुरू कर दी।
- इस हड़ताल के दौरान शिकागो के हेमार्केट में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें 100 से अधिक लोग घायल हुए। इस घटना की प्रतिक्रिया में पुलिस द्वारा जवाबी कार्यवाही में मज़दूरों पर गोली चला दी गई और इसमें कई मज़दूरों की मौत हो गई।
- इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में हेमार्केट हत्याकांड में मारे गए निर्दोष श्रमिकों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। तब से दुनिया भर में यह दिवस सभी कामगारों व श्रमिकों के सम्मान में आयोजित किया जाता है।
भारत में मज़दूर दिवस की शुरुआत
- भारत में मज़दूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान द्वारा 1 मई, 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की गई। हालाँकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया गया था।
आईआईटी कानपुर का नया आविष्कार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने बिना लकड़ी के इस्तेमाल से ऐसा कागज निर्मित किया है जिस पर कई बार लिखा जा सकता है। विशेष बात यह है कि इस पर लिखे शब्दों और चित्रों को सामान्य गीले कपड़े से साफ़ किया जा सकता है।
- आईआईटी कानपुर द्वारा इस खोज का पेटेंट करा लिया है, साथ ही इसके अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट की प्रक्रिया प्रगति पर है।
- इस कागज के निर्माण में रसायनों के अलावा पॉलीमर कोटिंग का इस्तेमाल किया गया है।
- वर्तमान में संस्थान में आयोजित सभी परीक्षाओं में इन्हीं कागजों का इस्तेमाल करते हुए प्रश्न-पत्रों को तैयार किया गया है। परीक्षा के बाद छात्रों से इन प्रश्न-पत्रों को वापस ले लिया जा रहा है ताकि इनका पुन: इस्तेमाल किया जा सके।
- इतनी अधिक संख्या में इन कागजों को साफ करने के लिये सस्ते केमिकल की खोज कर रही है। हालांकि पानी व गीले कपड़े से इस प्रिंटेड पेपर को साफ किया जा सकता है।
- डी-प्रिंटर बनाने के लिये सिंगापुर से करार कंप्यूटर से छपे खास तरह के पेपर को साफ करने के लिये डी-प्रिंटर बनाया जा रहा है।
- आईआईटी कानपुर और सिंगापुर के तकनीकी इंस्टीट्यूट से करार हुआ है। इसमें खास तरह की सस्ती स्याही का इस्तेमाल होगा, जो छपे हुए कागजों को फिर से साफ कर सकेगी।
पुंगनूर नस्ल
आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू का भोग चढ़ाने की परंपरा है। इस भोग को श्रीवारी कहा जाता हैं। यहाँ ऐसा माना जाता है कि यह भोग चढ़ाए बीना दर्शन पूरे नहीं होते है। इस भोग की विशेष बात यह है कि ये लड्डू केवल पुंगनूर नस्ल की गाय के दूध से बने मावे/खोये से तैयार किये जाते हैं। परंतु, समस्या यह है कि इस नस्ल की गायों की संख्या में बहुत तेज़ी से गिरावट आ रही है, वर्तमान में इस नस्ल की बहुत कम गाय ही बची है। ऐसे में भोग की इस परंपरा को लेकर चिंता की स्थिति बन गई है।
- मुख्य समस्या यह है कि इस विशेष प्रकार की नस्ल की वंशवृद्धि नहीं हो पा रही है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश में केवल 130 गाय ही बची है।
- इस समस्या की गंभीरता पर विचार करते हुए बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के पशु चिकित्सकों के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा सरोगेसी तकनीक के माध्यम से पुंगनूर गाय की वंशवृद्धि करने का प्रयास किया जा रहा है।
- सरोगेसी तकनीक में परखनली विधि से नर-मादा (डोनर) के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल कराकर भ्रूण को किसी अन्य कोख (सरोगेट मदर) में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
- पुंगनूर नस्ल को डोनर के रूप में इस्तेमाल करते हुए पोंगुल नस्ल की गाय को सरोगेट माँ बनाया गया।
- विशेष बात यह है कि इस तकनीक से उत्पन्न हुए बच्चे में पुंगनूर (डोनर) के शत-प्रतिशत गुणसूत्र पाए गए हैं। इस तकनीक की सहायता से अभी तक पुंगनूर नस्ल की 20 बछिया पैदा की जा चुकी हैं।
गैनीमीड पर तूफानी पर्यावरण
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ‘गैलीलियो’ से प्राप्त डेटा में बृहस्पति के चंद्रमा गैनीमीड पर तूफानी पर्यावरण की जानकारी मिली है। 1995-2003 की अवधि के मध्य गैलीलियो प्रोब को ब्रहस्पति ग्रह की कक्षा में भेजा गया था। इसके बाद ब्रहस्पति ग्रह की परिक्रमा करने के लिये जूनो नामक अंतरिक्ष यान को भेजा गया।
- ‘गैलीलियो’ ने बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए आठ वर्ष बिताए हैं। गैलीलियो ने बृहस्पति के चंद्रमा के विषय में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इससे प्राप्त नए डेटा में गैनीमीड के वातावरण के विषय में जानकारी प्राप्त हुई है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से इस रहस्य को सुलझाने में मदद मिलेगी कि गैनीमीड का सूर्योदय इतना चमकदार क्यों होता है।
बृहस्पति ग्रह
- बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसके अब तक 67 उपग्रह ज्ञात हैं, जो सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक हैं।
- ‘गैनीमीड’ बृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह है। उल्लेखनीय है कि बृहस्पति को लघु सौर तंत्र कहा जाता है। इसके पास स्वयं की रेडियो ऊर्जा है।
- वृत्तीय प्रकाश (Circular light), अंधेरी पट्टी (Dark band) और बारह उपग्रहों द्वारा वृत्तीय रूप से घिरे रहना बृहस्पति की अद्वितीय विशेषताएँ हैं। बृहस्पति की ये विशेषताएँ उसे अन्य ग्रहों से विभेदित करती हैं।