सतत् कृषि के संवर्द्धन हेतु पहल | 13 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

कृषि सखी अनुकूलन कार्यक्रम, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नाबार्ड, प्राकृतिक कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन

मेन्स के लिये:

सतत् कृषि, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप एवं उनके डिज़ाइन तथा  कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने और सतत्/संधारणीय कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहन प्रदान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित सम्मलेन में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के साथ संयुक्त रूप से चार प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया।

  • इन पहलों में संशोधित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम, कृषि सखी कन्वर्जेंस कार्यक्रम (KSCP) तथा उर्वरक नमूना/प्रतिदर्श परीक्षण के लिये CFQCTI पोर्टल का शुभारंभ शामिल है। इन पहलों का उद्देश्य देश के कृषि क्षेत्र में परिवर्तन लाना है।

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये आरंभ की गई पहल क्या हैं?

  • संशोधित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन:
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल में संशोधन किया गया है और मृदा को प्रतिदर्श एकत्र करने एवं  उसका परीक्षण करने के लिये एक मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया है। इस पोर्टल में मृदा प्रयोगशाला रजिस्ट्री है तथा प्रयोगशालाओं की स्थिति वास्तविक समय के आधार पर देखी जा सकती है। प्रयोगशालाओं को पोर्टल पर भू-निर्देशांक के साथ मैप किया जाता है।
    • इस पोर्टल में मृदा नमूना संग्रह, प्रयोगशालाओं में परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण का वास्तविक समय डेटा प्रदर्शित करने की सुविधा है।
    • इस संशोधित पोर्टल में राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया है तथा साथ ही इसमें भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) विश्लेषण भी शामिल है।
    • इस पोर्टल में उर्वरक प्रबंधन, पोषक तत्त्व डैशबोर्ड और पोषक तत्त्वों के हीट मैप जैसी सुविधाएँ भी शामिल हैं।
    • इस पहल के माध्यम से प्रगति की वास्तविक समय के आधार पर निगरानी की जा सकती है और साथ ही इसमें मृदा का नमूना एकत्र करने के दौरान मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से भू-निर्देशांक को स्वचालित रूप से कैप्चर करने की सुविधा है। इस ऐप के माध्यम से प्लॉट विवरण का पंजीकरण भी किया जा सकता है।
  • स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम:
    • कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW) ने स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सहयोग से, इस पायलट परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना के तहत  ग्रामीण केंद्रीय विद्यालयों तथा नवोदय विद्यालयों में 20 मृदा प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।
      • इसके तहत अध्ययन मॉड्यूल विकसित किये गए और विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। स्कूल कार्यक्रम के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया गया गया था और पोर्टल में कार्यक्रम के लिये एक अलग खंड है जहाँ विद्यार्थियों की सभी गतिविधियों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
      • इस कार्यक्रम के तहत स्कूल के विद्यार्थी मिट्टी के नमूने एकत्र करेंगे, स्कूलों में स्थापित प्रयोगशालाओं में उनका परीक्षण करेंगे तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाएंगे। 
        • मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के बाद, वे किसानों के पास जाएँगे और उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा के बारे में शिक्षित करेंगे। 
      • मृदा प्रयोगशाला कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी और सम्मान की भावना पैदा करना तथा उन्हें सतत् कृषि एवं मृदा के स्वास्थ्य पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के बारे में जागरूक करना है।
    • अब, इस कार्यक्रम को 1000 स्कूलों तक विस्तारित किया गया है तथा केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एकलव्य मॉडल स्कूलों को इसके अंतर्गत शामिल किया गया है। 
  • कृषि सखी अनुकूलन कार्यक्रम (KSCP):
    • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन के साथ कृषि सखी अनुकूलन कार्यक्रम (Krishi Sakhi Convergence Programme- KSCP) की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य कृषि सखी के सशक्तीकरण के माध्यम से ग्रामीण भारत में परिवर्तन लाना है।
      • कार्यक्रम में 70,000 कृषि सखियों को "पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स" के रूप में प्रमाणित करने हेतु कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल है।
      • कृषि सखियाँ किसानों और प्रशिक्षित पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स का अभ्यास कर रही हैं। वे किसान-मित्रों के रूप में काम करती हैं तथा प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के संबंध में उनका मार्गदर्शन करती हैं।
      • कृषि सखियाँ राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission of Natural Farming- NMNF), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसी विभिन्न योजनाओं को लागू करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं
      • प्रमाणित कृषि सखियाँ किसानों में जागरूकता पैदा करने और क्षमता निर्माण के लिये पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स के रूप में कार्य करती हैं।
      • ये किसानों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) तथा कृषि एवं संबद्ध विभागों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं।
      • कृषि सखियों को कृषि विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल-विविधता तथा स्वास्थ्य एवं पोषण सुरक्षा आदि के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
      • ये जनभागीदारी के हिस्से के रूप में प्राकृतिक खेती तथा मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे विषयों पर जागरूकता सृजन बैठकें आयोजित करती हैं। 
      • इस कार्यक्रम के तहत लगभग 3500 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया है और इसे 13 राज्यों में लागू किया जा रहा है, जो सतत् कृषि एवं ग्रामीण विकास में योगदान देगा।
      • ये परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती हैं तथा सतत् कृषि के भविष्य का पोषण करते हुए ग्रामीण भारत को नया आकार प्रदान कर रही हैं।
  • CFQCTI पोर्टल:
    • केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान (CFQCTI) पोर्टल उर्वरक प्रबंधन में गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये नमूना संग्रह एवं परीक्षण की सुविधाएँ प्रदान करता है।
    • पोर्टल नमूना सत्यापन, प्रयोगशालाओं को स्वचालित आवंटन एवं विश्लेषण रिपोर्ट जारी करने, गुणवत्ता मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिये OTP जेनरेट करने की सुविधा भी प्रदान करता है।

इन पहलों से किस प्रभाव की परिकल्पना की गई है?

  • धारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना: 
    • इन पहलों का उद्देश्य दीर्घकालिक पर्यावरणीय तथा आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने हेतु जैविक कृषि जैसी धारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
  • कृषकों की आजीविका में वृद्धि: 
    • मृदा स्वास्थ्य, उर्वरक गुणवत्ता एवं धारणीय कृषि से संबंधित चिंताओं का समाधान करके, ये पहल किसानों की आजीविका बढ़ाने के साथ-साथ उनके आर्थिक कल्याण में भी सुधार करने का प्रयास करती हैं।
  • जैविक कृषि की विश्वसनीयता: 
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल तथा कृषि सखी अभिसरण कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से जैविक कृषि की विश्वसनीयता में वृद्धि के प्रयासों से जैविक उत्पादों में विश्वास बढ़ने के साथ-साथ उन्हें अपनाने हेतु प्रोत्साहित होने की आशा है।
  • उर्वरकों की गुणवत्ता एवं दक्षता:
    • उर्वरकों की गुणवत्ता एवं दक्षता से संबंधित चिंताओं को दूर करने की पहल, जैसे कि CFQCTI पोर्टल का उद्देश्य विश्वसनीय इनपुट के उपयोग को सुनिश्चित करके किसानों के हितों की रक्षा करना है।

भारत में मृदा स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ क्या हैं?

  • मृदा एवं जल जीविका के मूलभूत संसाधन हैं, 95% से अधिक भोजन इन्हीं से निर्मित होता है।
    • कृषि प्रणालियों एवं संयुक्त राष्ट्र एजेंडा 2030 को प्राप्त करने के लिये मृदा और जल के बीच सहजीवी संबंध महत्त्वपूर्ण है।
    • वर्तमान जलवायु परिवर्तन एवं मानवीय गतिविधियों के कारण मृदा और जल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है।
  • भारत में देश के कुल बोए गए क्षेत्र का लगभग 50% वर्षा आधारित है, जो कुल खाद्य उत्पादन में 40% का योगदान देता है।
  • भारत में मृदा स्वास्थ्य के न्यूनतम पोषक तत्त्व स्तर जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, औसत मृदा कार्बनिक कार्बन (SOC) लगभग 0.54% है।
  • भूमि क्षरण एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, जिससे कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 30% प्रभावित होता है, जिससे पौधों में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है और साथ ही आबादी के बीच पोषण स्तर को प्रभावित करता है।
  • पोषक तत्त्वों की कमी एवं कमी के साथ-साथ अनुचित उर्वरक अनुप्रयोग के परिणामस्वरूप उत्पादकता में गिरावट आती है।
    • सतत् खाद्य उत्पादन के लिये पोषक तत्त्वों की पर्याप्त पुनःपूर्ति, मृदा के विश्लेषण के आधार पर उर्वरकों का उपयुक्त अनुप्रयोग एवं मृदा में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना जैसी विधियों  की आवश्यकता होती है।
  • भारत में जल एवं वायु के द्वारा कटाव के कारण प्रतिवर्ष अनुमानित 3 अरब टन मृदा नष्ट हो जाती है

मृदा संरक्षण से संबंधित अन्य पहल

  • मृदा संरक्षण का पाँच-स्तरीय कार्यक्रम:
    • मृदा संरक्षण के लिये भारत की पाँच-स्तरीय रणनीति जिसमें मृदा को रसायन मुक्त बनाना, मिट्टी की जैवविविधता का संरक्षण करना, मृदा के कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाना, मृदा की नमी बनाए रखना, मृदा के क्षरण को कम करना और साथ ही मृदा के कटाव को रोकना भी शामिल है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
    • वर्ष 2015 में शुरू की गई भारत सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मृदा स्वास्थ्य संकेतक एवं संबंधित वर्णनात्मक शब्द प्रदर्शित करती है, जो किसानों को आवश्यक मृदा सुधार के लिये मार्गदर्शन प्रदान करती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत की काली कपासी मृदा का निर्माण किसके अपक्षय के कारण हुआ है? (2021)

(a) भूरी वन मृदा
(b) विदरी ज्वालामुखीय चट्टान
(c) ग्रेनाइट और शिस्ट
(d) शेल और चूना-पत्थर

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत की लेटराइट मिट्टियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2013)

  1. यह साधारणतः लाल रंग की होती है।
  2.  यह नाइट्रोजन और पोटाश से समृद्ध होती है।
  3.  उनका राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अच्छा विकास हुआ है।
  4.  इन मिट्टियों में टैपियोका और काजू की अच्छी उपज होती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. 1 विज्ञान हमारे जीवन में गहराई तक कैसे गुथा हुआ है? विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन क्या हैं? (2020)

प्रश्न. 2 सिक्किम भारत में प्रथम ‘जैविक राज्य’ है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक एवं आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (2018)

प्रश्न. एकीकृत कृषि प्रणाली (आई.एफ.एस.) किस सीमा तक कृषि उत्पादन को संधारित करने में सहायक है? (2019)