केरल में अवसंरचना को प्रोत्साहन | 19 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP), प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, विश्व बैंक द्वारा भारत की शहरी अवसंरचना आवश्यकताओं का वित्तपोषण, राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (NBFID), विकसित भारत, अमृत काल, मेक इन इंडिया मेन्स के लिये:भारत का बुनियादी ढाँचा क्षेत्र- महत्त्व, चुनौतियाँ और संबंधित पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री (Prime Minister- PM) ने कोच्चि, केरल में तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जिसमें कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में न्यू ड्राई डॉक (NDD), CSL की अंतर्राष्ट्रीय जहाज़ मरम्मत सुविधा (International Ship Repair Facility- ISRF) एवं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) का LPG आयात टर्मिनल शामिल हैं।
- ये प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएँ भारत के बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र को बदलने तथा इसमें क्षमता सृजन एवं आत्मनिर्भरता के लिये प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप हैं।
केरल में उद्घाटन की गई तीन विभिन्न परियोजनाएँ क्या हैं?
- न्यू ड्राई डॉक:
- 310 मीटर की लंबाई के साथ न्यू ड्राई डॉक (NDD) अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया गया है।
- यह राष्ट्रीय गौरव इंजीनियरिंग का चमत्कार है जो INS विक्रांत अथवा अन्य बड़े जहाज़ों के विस्थापन से दोगुने विमान वाहक को संभालने में सक्षम है।
- भारत के इंजीनियरिंग कौशल और परियोजना प्रबंधन क्षमताओं को दर्शाने वाली एक प्रमुख परियोजना NDD इस क्षेत्र के सबसे बड़े समुद्री अवसंरचना में से एक है।
- इसमें दक्षता, सुरक्षा और पर्यावरणीय संधारणीयता सुनिश्चित करने के लिये नवीनतम तकनीक तथा नवाचारों को शामिल किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय जहाज़ मरम्मत सुविधा:
- अंतर्राष्ट्रीय जहाज़ मरम्मत सुविधा (ISRF) भारत का पहला पूर्ण रूप से विकसित शुद्ध जहाज़ मरम्मत पारिस्थितिकी तंत्र है जो जहाज़ मरम्मत उद्योग की क्षमता में 25% की वृद्धि करेगा।
- ₹970 करोड़ के निवेश पर निर्मित यह आपातकालीन स्थिति के दौरान भारत के नौसेना और तटरक्षक जहाज़ों के लिये त्वरित टर्नअराउंड (जहाज़ पर से माल उतारने व लादने की क्रिया) प्रदान करेगा।
- ISRF, CSL की वर्तमान जहाज़ मरम्मत क्षमताओं का आधुनिकीकरण तथा विस्तार करेगा एवं इसे एक वैश्विक जहाज़ मरम्मत केंद्र के रूप में परिवर्तित करेगा।
- IOCL के लिये LPG आयात टर्मिनल:
- IOCL के लिये एक LPG आयात टर्मिनल का भी कोच्चि में उद्घाटन किया गया, जिसमें 3.5 किमी. लंबी क्रॉस कंट्री पाइपलाइन के माध्यम से मल्टी-यूज़र लिक्विड टर्मिनल जेट्टी से जुड़े अत्याधुनिक अवसंरचना के साथ काम किया गया है।
- टर्मिनल का लक्ष्य 1.2 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) का कारोबार प्राप्त करना है। यह सड़क व पाइपलाइन हस्तांतरण के माध्यम से LPG वितरण सुनिश्चित करेगा, जिससे केरल और तमिलनाडु में बॉटलिंग संयंत्रों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
- यह LPG की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करके भारत के ऊर्जा अवसंरचना को भी महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे क्षेत्र और उसके आसपास के लाखों परिवारों एवं व्यवसायों को लाभ होगा।
- यह परियोजना सभी के लिये सुलभ और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत के प्रयासों को और मज़बूत करेगी।
इन परियोजनाओं का महत्त्व क्या है?
- समुद्री विकास हेतु रणनीतिक दृष्टिकोण:
- प्रधानमंत्री ने 'सबका साथ, सबका विकास' दृष्टिकोण से जुड़ी परियोजनाओं द्वारा स्थापित वैश्विक बेंचमार्क पर ज़ोर दिया।
- मैरीटाइम अमृत काल विज़न- 2047 कोच्चि को एक प्रमुख समुद्री क्लस्टर और ग्रीन शिप हेतु एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करता है, जो उत्कृष्टता एवं नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- समुद्री क्षेत्र में निवेश और रोज़गार:
- इस पहल का लक्ष्य 45,000 करोड़ रुपए का महत्त्वपूर्ण निवेश प्राप्त कर समुद्री क्षेत्र में 50,000 से अधिक लोगों के लिये रोज़गार सृजन करना है।
- ये प्रयास भारत के टन भार को बढ़ाने, आत्मनिर्भर बनने और विदेशी जहाज़ों पर भारत की निर्भरता को कम करने पर केंद्रित हैं।
- कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) की भूमिका:
- CSL, जिसे नॉर्वे में स्वायत्त इलेक्ट्रिक नौकाएँ/जहाज़ (Barges) उपलब्ध कराने के लिये विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, एक प्रमुख समुद्री/मैरीटाइम अग्रणी के रूप में भारत के पुनरुत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- अगली पीढ़ी के हरित प्रौद्योगिकी (Next-Generation Green Technology) जहाज़ों सहित शिपयार्ड का प्रभावशाली उत्पाद पोर्टफोलियो इसे भारत के समुद्री उद्योग में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता के रूप में स्थापित करता है।
- राष्ट्रीय गौरव और पर्यावरणीय प्रभाव:
- कोच्चि में राष्ट्रीय गौरव की प्रतीक परियोजनाएँ भारत की अभियांत्रिकी शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। इनसे पर्यावरणीय दायित्व पर ज़ोर देते हुए महत्त्वपूर्ण लॉजिस्टिक बचत और CO2 उत्सर्जन को कम करने की उम्मीद की जाती है।
- वैश्विक दृष्टि के साथ संरेखण:
- मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (MEEEC) के संबंध में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान किये गए समझौतों पर प्रकाश डालते हुए, PM ने रेखांकित किया कि MEEEC भारत की तटीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर विकसित भारत के निर्माण को और भी मज़बूत करेगा।
- समुद्री बुनियादी ढाँचे के लिये भविष्य की योजनाएँ:
- बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय इन परियोजनाओं के आधार पर भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें शामिल हैं:
- जहाज़ निर्माण एवं मरम्मत में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना।
- रणनीतिक स्थानों पर जहाज़ मरम्मत समूहों का निर्माण।
- जहाज़ मरम्मत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये व्यापार शर्तों में छूट।
- वाडिनार में जहाज़ मरम्मत सुविधा के लिये चर्चा चल रही है।
- बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय इन परियोजनाओं के आधार पर भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें शामिल हैं:
प्रमुख एवं छोटे बंदरगाह:
- भारत के प्रमुख बंदरगाह:
- देश में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह (छोटे बंदरगाह) हैं।
- प्रमुख बंदरगाहों में दीनदयाल (पूर्ववर्ती कांडला), मुंबई, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, मरमुगाओ, न्यू मैंगलोर, कोचीन, चेन्नई, कामराजर (पहले एन्नोर), वी. ओ. चिदंबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) शामिल हैं।
- प्रमुख बंदरगाह बनाम छोटे बंदरगाह:
- भारत में बंदरगाहों को भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत परिभाषित केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अनुसार प्रमुख एवं छोटे बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- सभी 12 बंदरगाह, प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत शासित हैं और केंद्र सरकार के स्वामित्व और प्रबंधन में हैं।
- सभी छोटे बंदरगाह, भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत शासित हैं और राज्य सरकारों के स्वामित्व तथा प्रबंधन में हैं।
- हाल में हुए विकास:
- भारतीय बंदरगाहों ने पिछले 10 वर्षों में दोहरे अंक की वार्षिक वृद्धि हासिल की है।
- जब बदलाव के समय की बात आती है तो भारत कई विकसित देशों से आगे निकल गया है।
- भारतीय नाविकों से संबंधित कानूनों में समय पर बदलाव से उनकी संख्या में 140% की वृद्धि हुई है।
बुनियादी ढाँचा क्षेत्र को मज़बूत करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- नीति/नियामक ढाँचे में निरंतरता सुनिश्चित करना:
- निविदा प्रक्रिया में एक बेहतर नियामक वातावरण और निरंतरता की आवश्यकता है। विभिन्न सरकारी विभागों में निरंतरता और नीतिगत सामंजस्य की कमी को प्राथमिकता से संबोधित किया जाना चाहिये।
- तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की समस्या से निपटने के लिये सरकार और RBI के मध्य एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिये।
- गैर-निष्पादित संपत्तियों, PSUs के पुनरुद्धार के लिये सभी क्षेत्रों में एक समर्पित नीति का निर्माण करने की आवश्यकता है।
- उचित उपयोगकर्त्ता शुल्क:
- यह अवसंरचन वित्तपोषण, अवसंरचना सेवा प्रदाताओं की वित्तीय व्यवहार्यता और पर्यावरण एवं संसाधन उपयोग संवहनीयता को बढ़ाने के लिये यह आवश्यक है।
- उपयोगकर्त्ता शुल्क महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि देश भर के कई क्षेत्रों में आंशिक रूप से शून्य या बहुत कम उपयोगकर्त्ता शुल्क के कारण कीमती संसाधनों (जैसे- भूजल) का अत्यधिक उपयोग एवं अपव्यय होता है।
- उचित उपयोगकर्त्ता मूल्यों से प्रेरित पर्यावरणीय संवहनीयता एवं संसाधन उपयोग दक्षता के अलावा इस नीति प्राथमिकता में अपार संसाधन सृजन क्षमता भी है।
- स्वायत्त अवसंरचना के विनियमन:
- जैसे-जैसे भारत और विश्व निजी भागीदारी के लिये अधिक क्षेत्रों को खोलेंगे, निजी क्षेत्र अनिवार्य रूप से स्वायत्त अवसंरचना के विनियमन की मांग करेगा।
- विश्व में रुझान बहु-क्षेत्रीय नियामकों की ओर है क्योंकि बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में नियामक भूमिका आम है और ऐसे संस्थान नियामक क्षमता का निर्माण करते हैं, संसाधनों का संरक्षण करते हैं तथा नियामक कब्ज़े को रोकते हैं।
- परिसंपत्ति पुनर्चक्रण (AR) और BAM:
- ब्राउनफील्ड परिसंपत्ति मुद्रीकरण (Brownfield Asset Monetisation - BAM) का मूल विचार जोखिम रहित ब्राउनफील्ड सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों में बँधे धन को मुक्त करके त्वरित ग्रीनफील्ड निवेश के लिये ब्राउनफील्ड AR के माध्यम से अवसंरचना के संसाधनों को बढ़ाना है।
- इन परिसंपत्तियों को एक ट्रस्ट {इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT)} या एक कॉर्पोरेट संरचना (टोल ऑपरेट ट्रांसफर (TOT) मॉडल) में स्थानांतरित किया जा सकता है, जो पूंजीगत विचार के बदले में संस्थागत निवेशकों का निवेश प्राप्त करता है (जो इन अंतर्निहित परिसंपत्तियों से भविष्य के नकदी प्रवाह के मूल्य को प्राप्त करता है)।
- भारत के पास बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में ब्राउनफील्ड परिसंपत्तियों का एक बड़ा भंडार है।
- घरेलू निधियों का उपयोग:
- भारतीय पेंशन फंड जैसे घरेलू स्रोत, जो निष्क्रिय पड़े हैं, यदि कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए तो इस क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा मिल सकता है।
- भारत अवसंरचना के विकास को बढ़ावा देने के लिये घरेलू धन के कुशल उपयोग पर कनाडा, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों की प्रथाओं का अनुकरण कर सकता है।
अवसंरचना से संबंधित विभिन्न सरकारी पहल क्या हैं?
- प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन
- शहरी अवसंरचना विकास निधि
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
- सागरमाला परियोजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न1. 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी अवसंरचना कोष' के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (वर्ष 2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1 उत्तर: (D) प्रश्न 2. भारत में "सार्वजनिक रूप से महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है (वर्ष 2020) (A) डिजिटल सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना उत्तर: (A) मेन्सप्रश्न. “अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (वर्ष 2021) |