सिंधु जल संधि | 27 Jun 2024
प्रिलिम्स के लिये:किशनगंगा एवं रतले जलविद्युत परियोजना, सिंधु जल संधि (IWT), सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ मेन्स के लिये:सिंधु जल संधि तथा संबंधित विवाद |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) के अंर्तगत शामिल नदियों पर स्थापित विद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिये पाँच सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू के किश्तवाड़ में भेजा गया था।
सिंधु जल संधि (IWT) क्या है?
- परिचय:
- 19 सितंबर, 1960 को विश्व बैंक (World Bank) की मध्यस्थता के माध्यम से भारत एवं पाकिस्तान के बीच कराची (पाकिस्तान) में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये गए।
- यह संधि सिंधु नदी तथा इसकी पाँच सहायक नदियों सतलुज, व्यास, रावी, झेलम एवं चिनाब के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिये एक तंत्र स्थापित करती है।
- प्रमुख प्रावधान:
- जल बँटवारा:
- इसमें निर्धारित किया गया है कि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों का जल भारत एवं पाकिस्तान के बीच किस प्रकार विभाजित किया जाएगा।
- इसने तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब तथा झेलम को भारत द्वारा कुछ गैर-उपभोग्य, कृषि एवं घरेलू उपयोगों को छोड़कर अप्रतिबंधित उपयोग के लिये पाकिस्तान को आवंटित किया तथा तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास एवं सतलुज को अप्रतिबंधित उपयोग के लिये भारत को आवंटित किया गया।
- इसका अर्थ यह है कि 80% जल पाकिस्तान को चला गया, जबकि शेष 20% जल भारत के उपयोग के लिये रहेगा।
- स्थायी सिंधु आयोग:
- सिंधु जल संधि के अंर्तगत दोनों देशों को एक स्थायी सिंधु आयोग का गठन करना होगा, जिसकी वार्षिक बैठक अनिवार्य होगी।
- विवाद समाधान तंत्र:
- IWT एक तीन-चरणीय विवाद समाधान तंत्र प्रदान करता है जिसके अंर्तगत दोनों पक्षों के "प्रश्नों" को स्थायी आयोग द्वारा हल किया जा सकता है, अथवा इसे अंतर-सरकारी स्तर पर भी उठाया जा सकता है।
- जल-बंटवारे पर देशों के मतभेदों को विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ (NE) द्वारा सुलझाया जा सकता है।
- विश्व बैंक के किसी तटस्थ विशेषज्ञ की अपील को विश्व बैंक द्वारा स्थापित मध्यस्थता न्यायालय (Court of Arbitration) में भेजा जा सकता है।
- जल बँटवारा:
- IWT के अंर्तगत विभिन्न परियोजनाओं का निरीक्षण:
- पाकल दुल एवं लोअर कलनाई: पाकल दुल जलविद्युत परियोजना, चिनाब की सहायक नदी मरुसुदर पर निर्मित है। लोअर कलनाई चिनाब नदी पर निर्मित है।
- किशनगंगा जलविद्युत परियोजना: यह जम्मू-कश्मीर में स्थित एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है।
- पाकिस्तान ने इस परियोजना पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि इससे किशनगंगा नदी (जिसे पाकिस्तान में नीलम नदी कहा जाता है) का प्रवाह प्रभावित होगा।
- वर्ष 2013 में, हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (CoA) ने निर्णय दिया कि भारत कुछ शर्तों के साथ संपूर्ण जल प्रवाह मोड़ सकता है।
- रतले जलविद्युत परियोजना: यह जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित एक जलविद्युत स्टेशन है।
सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियाँ
- उद्गम:
- सिंधु (तिब्बती-सेंगगे चू, 'लायन नदी'), दक्षिण एशिया की एक प्रमुख नदी, ट्रांस-हिमालय में मानसरोवर झील के पास तिब्बत से निकलती है।
- यह नदी तिब्बत, भारत और पाकिस्तान से होकर बहती है तथा इसके जल निकासी बेसिन के क्षेत्र में लगभग 200 मिलियन लोग निवास करते हैं।
- मार्ग और प्रमुख सहायक नदियाँ:
- यह नदी लद्दाख के माध्यम से भारत में प्रवेश करती है और पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में पहुँचने से पहले जम्मू-कश्मीर से होकर बहती है।
- सिंधु नदी की प्रमुख बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ ज़स्कर, सुरू, सोन, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज और पंजनाद नदियाँ हैं।
- इसके दाहिने किनारे की प्रमुख सहायक नदियाँ श्योक, गिलगित, हुंजा, स्वात, कुन्नार, कुर्रम, गोमल और काबुल नदियाँ हैं।
- सिंधु नदी दक्षिणी पाकिस्तान में कराची शहर के पास अरब सागर में गिरती है।
नदी |
उद्गम |
शामिल है |
झेलम |
कश्मीर घाटी के वेरीनाग में वसंत |
त्रिम्मु, पाकिस्तान में चिनाब |
चिनाब |
बारा लाचा दर्रे के पास चंद्रा और भागा धाराएँ |
झेलम और रावी के बाद सतलुज |
रावी |
रोहतांग दर्रे के पास कुल्लू की पहाड़ियाँ |
रंगपुर, पाकिस्तान के निकट चिनाब |
ब्यास |
रोहतांग दर्रे के पास |
सतलुज, हरिके बैराज, भारत |
सतलुज |
मानसरोवर-राकस झीलें, तिब्बत |
पाकिस्तान के मिथनकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी |
आगे की राह
- तकनीकी विवाद समाधान पर ध्यान: दोनों पक्षों को तकनीकी विवादों को हल करने के लिये संधि के मौजूदा ढाँचे के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- पारदर्शिता और डेटा साझाकरण: दोनों देश आपसी चिंताओं को दूर करने के लिये जल विज्ञान संबंधी डेटा साझा कर सकते हैं।
- संयुक्त बेसिन प्रबंधन: जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि सिंधु बेसिन में आम चुनौतियाँ पेश करती हैं, जिससे जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण और सतत उपयोग के लिये संयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- राजनीतिक प्रतिबद्धता और संवाद: स्थायी समाधान के लिये दोनों सरकारों की ओर से टकराव की तुलना में संवाद तथा सहयोग को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. सिंधु जल संधि के प्रमुख प्रावधानों और भारत-पाकिस्तान संबंधों में इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सिंधु नदी प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित चार नदियों में से तीन नदियाँ इनमें से किसी एक नदी में मिलती हैं जो सीधे सिंधु से मिलती है। निम्नलिखित में से वह नदी कौन-सी है जो सीधे सिंधु से मिलती है? (2021) (a) चिनाब उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये (2019) हिमनद नदी
उपर्युक्त में से कौन-से युग्म सही सुमेलित हैं? (a) 1, 2 और 4 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. नदियों को आपस में जोड़ना सूखा, बाढ़ और बाधित जल- परिवहन जैसी बहु-आयामी अंतर-संबंधित समस्याओं का व्यवहार्य समाधान दे सकता है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) |