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भारतीय टेलीग्राफ अधिकार-संशोधन नियम, 2022

  • 29 Aug 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

5 जी, फाइबराइज़ेशन, संबंधित सरकारी पहल, डिजिटल इंडिया मिशन और भारतनेट प्रोजेक्ट, डिजिटल डिवाइड।

मेन्स के लिये:

इंडियन टेलीग्राफ राइट ऑफ वे-संसोधन नियम 2022।

चर्चा में क्यों?

देश में 5G नेटवर्क के रोलआउट/सार्वजानिक उपलब्धता सुनिश्चित करने में तेज़ी लाने के लिये संचार मंत्रालय ने राइट ऑफ वे (RoW) में संशोधन की घोषणा की।

संशोधन

  • संशोधनों में शुल्क का युक्तिकरण, एकल खिड़की निकासी प्रणाली की शुरुआत और निजी संपत्ति पर बुनियादी ढाँचा स्थापित करने के लिये सरकारी प्राधिकरण से सहमति की आवश्यकता को समाप्त करना शामिल है।
  • दूरसंचार लाइसेंसधारी निजी संपत्ति के मालिकों के साथ समझौता कर सकते हैं और दूरसंचार बुनियादी ढाँचे जैसे टाॅवर, पोल/खंभे या ऑप्टिकल फाइबर स्थापित करने के लिये किसी भी सरकारी प्राधिकरण से किसी भी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
  • केंद्र सरकार द्वारा अपने स्वामित्त्व/नियंत्रण वाली भूमि पर खंभे लगाने के लिये कोई प्रशासनिक शुल्क नहीं लिया जाएगा।
    • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये यह शुल्क 1,000 रुपए प्रति पोल तक सीमित होगा। ओवरग्राउंड ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का शुल्क 1,000 रुपए प्रति किलोमीटर तक सीमित होगा।
  • दूरसंचार कंपनियों को निजी भवन या संपत्ति पर मोबाइल टावर या खंभे की स्थापना से पहले, जहाँ मोबाइल टॉवर या पोल की स्थापना का प्रस्ताव है, उपयुक्त प्राधिकरण को लिखित में जानकारी देने तथा दूरसंचार कंपनियों को संबंधित इमारत या संपत्ति का विवरण देने के साथ प्राधिकरण से अधिकृत इंजीनियर द्वारा प्रमाणित प्रमाणपत्र की एक प्रति देने की ज़रूरत होगी।
  • संशोधन RoW अनुप्रयोगों के लिये एकल खिड़की निकासी प्रणाली की सुविधा प्रदान करते हैं।
  • संचार मंत्रालय का गति शक्ति संचार पोर्टल सभी दूरसंचार संबंधी RoW एप्लीकेशन के लिये एकल खिड़की पोर्टल होगा।
  • दूरसंचार लाइसेंस ग्रामीण क्षेत्रों में सालाना 150 रुपए और शहरी क्षेत्रों में सालाना 300 रुपए की मामूली लागत पर दूरसंचार उपकरणों को तैनात करने के लिये स्ट्रीट इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने में सक्षम होंगे।

इन संशोधनों की घोषणा आवश्यकता:

  • संशोधनों की घोषणा दूरसंचार नेटवर्क के उन्नयन और विस्तार में तीव्रता लाने तथा मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर 5G छोटे सेल की तैनाती का मार्ग प्रशस्त करने के लिये की गई है।
  • मौजूदा बुनियादी ढाँचा सेवाओं के रोलआउट को बनाए रखने में सक्षम हो सकता है। हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 70% टेलीकॉम टावरों को 5G को इस तरह से रोल आउट करने के लिये मौजूदा 33 के स्तर से फाइबरयुक्त करने की आवश्यकता है जो इसकी पूरी क्षमता का उपयोग करता है।
    • 2G और 3G वायरलेस प्रौद्योगिकियों की तुलना में भारत में बढ़ती डेटा खपत और विकास के कारण 5G के लिये फाइबरीकरण आवश्यक है, जो एक साझा नेटवर्क पर काम करते हैं और डेटा भार में वृद्धि को संभालने की सीमित क्षमता रखते हैं।
  • मौजूदा बुनियादी ढाँचे तक पहुँच  नए बुनियादी ढाँचे की तैनाती और इसमें शामिल उच्च लागत, दूरसंचार क्षेत्र के सामने हमेशा प्रमुख चुनौतियों के रूप में व्याप्त थीं, जिनका समाधान किया जा सकेगा।

इस कदम का महत्त्व:

  • दूरसंचार उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों को समान महत्त्व दे रहा है, यह अनुमान है कि अगले 2-3 वर्षों में 5G सेवाएँ देश के लगभग सभी हिस्सों में पहुँच जाएँगी।
  • संशोधन प्रौद्योगिकी का तेज़ी से रोल-आउट सुनिश्चित करेगा और 5G के सपने को भारत को साकार करने में सक्षम बनाएगा।
  • डिजिटल इंडिया मिशन और भारतनेट परियोजना के अनुरूप ग्रामीण-शहरी और अमीर-गरीब के बीच की डिजिटल डिवाइड को समाप्त कर दिया जाएगा।
  • ई-गवर्नेंस और वित्तीय समावेशन को मजबूत किया जाएगा।
  • व्यापार करने में आसानी होगी।
  • नागरिकों और उद्यमों की सूचना और संचार ज़रूरतों (5G सहित) को पूरा किया जाएगा।
  • भारत के डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था और समाज में परिवर्तन के सपने को हकीकत में तब्दील किया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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