शासन व्यवस्था
‘फोर्स मेजर’ के तहत रेलवे शुल्क पर राहत
- 31 Mar 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:‘फोर्स मेजर’ मेन्स के लिये:COVID-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु भारत सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रेल मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 22 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 तक के समय को ‘फोर्स मेजर’ (Force Majeure) के रूप में माना जायेगा और इस दौरान भारतीय रेलवे से जुड़ी कुछ सेवाओं के लिये कोई भी शुल्क नहीं लगाया जायेगा।
मुख्य बिंदु:
- ‘फोर्स मेजर’ (Force Majeure):
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 19 फरवरी, 2020 को COVID-19 महामारी को ‘Force Majeure’ के रूप में स्वीकार करने की घोषणा की थी।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, ‘Force Majeure’ से आशय ऐसी असाधारण घटनाओं और परिस्थितियों से है, जो मानव नियंत्रण से परे हों। साथ ही वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोरोनावायरस को प्राकृतिक आपदा माना जाना चाहिये और इसके लिये ‘फोर्स मेजर’ के प्रावधानों का उपयोग किया जा सकता है।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, इसके तहत सरकारी अनुबंध से जुड़ी वे कंपनियाँ जो आपूर्ति के लिये प्रभावित इलाकों पर निर्भर हैं, पर अनुबंध की शर्तें न पूरी कर पाने पर कोई दंड या अन्य नकारात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी।
- ‘फोर्स मेजर’ से संबंधित नियम ‘भारतीय संविदा अधिनियम, 1872’ की धारा 32 और 56 के तहत निर्धारित किये गए हैं।
- 27 मार्च, 2020 रेल मंत्रालय दी गई जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय द्वारा 19 फरवरी को की गई घोषणा को ध्यान में रखते हुए 22 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 तक ढुलाई सेवाओं से जुड़े कई प्रकार के शुल्क नहीं लिये जाएंगे। जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- विलंब-शुल्क (Demurrage)
- घाट या लोडिंग स्टेशन का सेवा शुल्क (Wharfage)
- स्टैकिंग (Staking) चार्ज
- पार्सल के आवागमन पर विलंब-शुल्क (Demurrage on parcel traffic)
- कंटेनर यातायात के मामले में भू-उपयोग शुल्क
- गौरतलब है कि 23 मार्च, 2020 को रेलवे बोर्ड ने निर्देश जारी किये थे कि 24 मार्च, .2020 से 30 अप्रैल, 2020 तक खाली कंटेनरों/खाली फ्लैट वैगनों की आवाजाही के लिये कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
- ध्यातव्य है कि देश में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने 24 मार्च 2020 को पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की थी।
- प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पूरे भारत में सभी प्रकार की औद्योगिक गतिविधियों यातायात (सड़क, रेल, हवाई यात्रा) आदि पर रोक लगा दिया गया था।
- परंतु इस दौरान ‘अति आवश्यक वस्तुओं’ (Essential Commodities) की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये कुछ मालवाहक सेवाओं जैसे-रेलवे द्वारा तेल या अन्य वस्तुओं की ढुलाई को जारी रखा गया है।
अतिआवश्यक वस्तुओं’ की आपूर्ति में रेलवे का योगदान:
- रेल मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में लगभग 1.6 लाख रेलवे डिब्बों/बोगियों के माध्यम से पूरे भारत में आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई की जा रही है।
- रेल मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में प्रतिदिन औसतन लगभग 25000 बोगियों (Wagons) के माध्यम से अति आवश्यक वस्तुओं जैसे-दूध, अनाज, खाद्य तेल, चीनी, सब्ज़ियाँ, फल और नमक आदि की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
- इसके अतिरिक्त प्रतिदिन लगभग 20000 बोगियों का उपयोग कोयला और लगभग 1700 बोगियों का उपयोग पेट्रोलियम पदार्थों की ढुलाई के लिये किया जा रहा है।
- रेल मंत्रालय के अनुसार, COVID-19 के कारण लागू हुए अनेक प्रतिबंधों के बीच आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति के लिये रेलवे राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाये हुए है।
- साथ ही रेलवे तंत्र पर आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही के लिये रेल मंत्रालय में एक ‘इमरजेंसी फ्रेट कंट्रोल’ (Emergency Freight Control) काम कर रहा है और वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों द्वारा माल ढुलाई पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।