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भारतीय इतिहास

आज़ाद हिंद फौज की विरासत

  • 18 Mar 2025
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आज़ाद हिंद फौज (INA), नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कर्तव्य पथ, भारतीय स्वतंत्रता लीग, स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार, रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह, INA पर अभियोग 

मेन्स के लिये:

आज़ाद हिंद फौज की भूमिका और विरासत

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

आज़ाद हिंद फौज (INA) के एक सेवानिवृत्त सैनिक ने कर्तव्य पथ पर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपना 99वाँ जन्मदिन मनाया।

  • ये 17 वर्ष की आयु में 1 नवंबर 1943 को INA में शामिल हुए थे।

आज़ाद हिंद फौज (INA) क्या थी?

  • परिचय: यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन का सामना करने के उद्देश्य से गठित एक सैन्य बल था और इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • गठन:
    • मोहन सिंह: उन्होंने भारतीय युद्धबंदियों (POW) से एक सेना गठित करने का प्रस्ताव किया और जापानी समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने शुरुआत में INA का नेतृत्व किया, जिसमें लगभग 40,000 सैनिकों की भर्ती की गई। 
      • हालाँकि, सैनिकों की संख्या को लेकर जापानियों के साथ संघर्ष के कारण उन्हें हटा दिया गया। 
    • रासबिहारी बोस: यह एक अनुभवी क्रांतिकारी थे और इन्होने INA के लिये समर्थन जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और टोक्यो में भारतीय स्वतंत्रता लीग का गठन किया (1942)।
    • सुभाष चंद्र बोस: 25 अगस्त 1943 को बोस को INA का सुप्रीम कमांडर नियुक्त किया गया और बाद में 21 अक्तूबर 1943 को उन्होंने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार अथवा आज़ाद हिंद की स्थापना की।
      • इसे जापान, जर्मनी, इटली और चीन (वांग जिंगवेई के नेतृत्व में) सहित 9 देशों द्वारा मान्यता दी गई।
      • चलो दिल्ली अभियान के तहत INA ने मणिपुर के मोइरांग में भारतीय धरती पर अपना झंडा फहराया, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के कारण यह अभियान इम्फाल में समाप्त हो गया।
  • पतन: जापान की हार (1944-45) से INA कमज़ोर हो गई। 15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के बाद INA ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। 
    • 18 अगस्त 1945 को, कथित तौर पर ताइवान विमान दुर्घटना में सुभाष बोस की मृत्यु हो गई, जिसके कारण INA को भंग कर दिया गया।
  • INA पर अभियोग: INA की हार के बाद, अनेक INA सैनिकों को युद्धबंदियों के रूप में कोर्ट मार्शल किया गया, जिससे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को बढ़ावा दिया।
    • नवंबर 1945 में लाल किले में हुए पहले मुकदमे में तीन अधिकारी प्रेम कुमार सहगल (एक हिंदू), शाह नवाज खान (एक मुस्लिम) और गुरबख्श सिंह ढिल्लों (एक सिख) शामिल थे, जिन्होंने INA की एकता पर जोर दिया।
    • बॉम्बे कॉन्ग्रेस अधिवेशन (सितंबर 1945) में INA युद्धबंदियों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रख्यात वकील भूलाभाई देसाई, तेज बहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू और आसफ अली ने उनका प्रतिवाद किया।
  • प्रमुख राष्ट्रवादी प्रदर्शन (1945-46): इस अवधि के दौरान तीन प्रमुख हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए:
    • 21 नवंबर 1945: INA मुकदमों के खिलाफ कलकत्ता में छात्र विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस गोलीबारी हुई।
    • 11 फरवरी 1946: INA अधिकारी राशिद अली की सजा के विरोध में कलकत्ता में प्रदर्शन शुरू हो गये।
    • 18 फरवरी 1946: रॉयल इंडियन नेवी (RIN) के सैनिकों ने बॉम्बे में विद्रोह कर दिया।

और पढ़े: 

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आज़ाद हिंद फौज (INA) का महत्त्व क्या है?

  • ब्रिटिश सत्ता को प्रत्यक्ष चुनौती: INA के गठन और सैन्य अभियानों ने धुरी शक्तियों (जापान और जर्मनी) की मदद से भारत को सैन्य रूप से स्वतंत्र कराने का प्रयास करके ब्रिटिश शासन को प्रत्यक्ष चुनौती दी।
  • राष्ट्रवादी एकता: INA मुकदमों ने धार्मिक और राजनीतिक विभाजनों से ऊपर उठकर भारतीयों को एकजुट किया, जिससे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। 
    • काॅन्ग्रेस, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और कम्युनिस्ट जैसे राजनीतिक दल ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ एकजुट थे।
  • भारतीय सशस्त्र बलों पर प्रभाव: INA ने भारतीय सैनिकों के बीच सहानुभूति को प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह (वर्ष 1946) हुआ, जहाँ 20,000 नाविकों ने विद्रोह किया, जो ब्रिटिश नियंत्रण में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था।
  • ब्रिटिशों की वापसी: वर्ष 1956 में, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि INA ब्रिटेन के बाहर निकलने की कुंजी थी, क्योंकि भारतीय सेना के अब ब्रिटिश ताज के प्रति वफादार नहीं होने के डर से स्वतंत्रता में तेज़ी आई।
  • विरासत और प्रतीकात्मकता: INA सशस्त्र प्रतिरोध का प्रतीक बन गया, जिसने भारत की रक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण में भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया।
    • INA का नारा "जय हिंद" राष्ट्रीय एकता का नारा बना हुआ है।

और पढ़ें: रास बिहारी बोस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

निष्कर्ष

  • आज़ाद हिंद फौज (INA) ने ब्रिटिश शासन को प्रत्यक्ष चुनौती देकर, राष्ट्रवादी एकता को बढ़ावा देकर और सशस्त्र बलों के विद्रोह को प्रेरित करके भारत की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके प्रभाव ने ब्रिटिश वापसी को तेज़ कर दिया और इसकी विरासत भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण, सैन्य लोकाचार और राष्ट्रीय पहचान को प्रभावित करती रही है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में आज़ाद हिंद फौज (INA) की भूमिका पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. औपनिवेशिक भारत के संदर्भ में शाह नवाज खान, प्रेम कुमार सहगल और गुरबख्श सिंह ढिल्लों किस रूप में याद किये जाते हैं? (2021) 

(a) स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के नेता के रूप में
(b) 1946 में अंतरिम सरकार के सदस्यों के रूप में
(c) संविधान सभा में प्रारूप समिति के सदस्यों के रूप में
(d) आज़ाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) के अधिकारियों के रूप में

उत्तर: (d)


प्रश्न . भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान निम्नलिखित में से किसने 'फ्री इंडियन लीजन' नामक सेना स्थापित की थी? (2008)

(a) लाला हरदयाल
(b) रासबिहारी बोस
(c) सुभाष चंद्र बोस
(d) वी.डी. सावरकर

उत्तर: (c)


मेन्स 

प्रश्न: गांधीवादी प्रावस्था के दौरान विभिन्न स्वरों ने राष्ट्रवादी आंदोलन को सुदृढ़ एवं समृद्ध बनाया था। विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिये। (2019) 

प्रश्न: स्वतंत्रता के लिये संघर्ष में सुभाषचंद्र बोस एवं महात्मा गांधी के मध्य दृष्टिकोण की भिन्नताओं पर प्रकाश डालिये। (2016) 

प्रश्न: महात्मा गांधी के बिना भारत की स्वतंत्रता की उपलब्धि कितनी भिन्न हुई होती? चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न: किन प्रकारों से नौसैनिक विद्रोह भारत में अंग्रेज़ों की औपनिवेशिक महत्त्वाकांक्षाओं की शव-पेटिका में लगी अंतिम कील साबित हुआ था? (2014)

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