भूगोल
IMD का मानसून संबंधी अनुमान
- 16 Apr 2020
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प्रीलिम्स के लिये:सामान्य मानसून के आधार, सामान्य वर्षा की परिभाषा, हिंद महासागर द्विध्रुव, मानसून पूर्वानुमान के मॉडल मेन्स के लिये:मानसून को प्रभावित करने वाले कारक |
चर्चा में क्यों?
- 'भारत मौसम विज्ञान विभाग' ( India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, वर्ष 2020 में सामान्य मानसून रहने की संभावना है।
मुख्य बिंदु:
- IMD के अनुसार वर्ष 2020 में सामान्य मानसून (अगस्त तथा सितंबर में सामान्य से अधिक) रहने की संभावना है।
- IMD दो-चरणीय मानसून पूर्वानुमान जारी करता है:
- पहला पूर्वानुमान अप्रैल माह में जबकि दूसरा मई माह के अंतिम सप्ताह में जारी किया जाता है। मई माह में विस्तृत मानसून पूर्वानुमान जारी किया जाता है।
सामान्य वर्षा की परिभाषा में बदलाव:
- 'लंबी अवधि के औसत' (Long Period Average- LPA) वर्षा का उपयोग, मानसून की ‘सामान्य वर्षा’ की गणना करने में किया जाता है। LPA वर्ष 1961-2010 की अवधि के दौरान हुई वर्षा का औसत मान है। LPA के आधार पर पूरे देश में मानसून की सामान्य वर्षा 88 सेमी है।
- 'सामान्य वर्षा' (Normal Rainfall) की परिभाषा को फिर से परिभाषित किया गया है। इसे 89 सेमी. से घटाकर 88 सेमी. कर दिया गया है। मानसून मौसमी में वर्षा के सामान्य से ± 5% विचलन के साथ के ‘सामान्य वर्षा’ होने की संभावना है।
सामान्य मानसून के आधार:
- मानसून पूर्वानुमान के मॉडल:
- मानसून पूर्वानुमान के ‘गतिकीय मॉडल’ (Dynamical Model) जो सुपर कंप्यूटर पर आधारित है, के अनुसार, इस बार मानसून के समय सामान्य से अधिक वर्षा होने की उच्च संभावना (70%) है।
- ‘सांख्यिकीय मॉडल’ (Statistical Models) के अनुसार, इस बार सामान्य मानसून की 41% संभावना है जबकि इस मॉडल पर पूर्ववर्ती वर्षों में 33% संभावना रहती थी।
- अल-नीनो (El-Nino):
- हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole- IOD):
- IOD भी भारतीय मानसून को प्रभावित करता है। सकारात्मक IOD के दौरान मानसून की वर्षा पर सकारात्मक और नकारात्मक IOD के दौरान मानसून की वर्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- पूर्वानुमान के अनुसार, ‘हिंद महासागर द्विध्रुव’ के 'तटस्थ' रहने की उम्मीद है।
सामान्य मानसून का महत्त्व:
- खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि:
- वर्षा अच्छी होने का सबसे अच्छा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ता है। जहाँ सिंचाई की सुविधा मौजूद नहीं है, वहाँ वर्षा होने से अच्छी फसल होने की संभावना बढ़ जाती है।
- विद्युत संकट में कमी:
- यदि वर्षा कम हो और जलस्तर कम हो जाए तो बिजली उत्पादन भी प्रभावित होता है।
- जल संकट का समाधान:
- अच्छे मानसून से पीने के पानी की उपलब्धता संबंधी समस्या का भी काफी हद तक समाधान होता है। दूसरे, भूजल का भी पुनर्भरण होता है।
आगे की राह:
- वर्षा के पूर्वानुमान से, सरकार तथा किसानों को बेहतर रणनीति बनाने में सहायता मिलती है। सरकार इसके माध्यम से सूखा या बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिये सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए बेहतर तैयारियाँ कर सकती है।