अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत- उज़्बेकिस्तान संबंध
- 01 Aug 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:उज़्बेकिस्तान और पड़ोसी देशों का मानचित्र मेन्स के लिये:भारत- उज़्बेकिस्तान संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत-उज़्बेकिस्तान अंतर-सरकारी आयोग के 13वें सत्र में भाग लिया।
- इसके अलावा,उन्होंने भारत-उज़्बेकिस्तान संबंधों को एकीकृत विस्तारित पड़ोस संबंधी भारत के दृष्टिकोण के लिये काफी महत्त्वपूर्ण बताया।
- आईजीसी की बैठक विशेष तौर पर व्यापार एवं निवेश के क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों पर विचार एवं चर्चा करने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच है।
सत्र के मुख्य बिंदु:
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी, डिजिटल भुगतान समाधान और स्टार्टअप जैसे नए क्षेत्रों में संबंधों को आगे ले जाने की आवश्यकता है।
- उन्होंने क्षेत्रीय संपर्क एवं सहयोग के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
- उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग के सात उभरते क्षेत्रों जैसे- डिजिटल भुगतान, अंतरिक्ष सहयोग, कृषि एवं डेयरी, फार्मा, रत्न एवं आभूषण, एमएसएमई और अंतर क्षेत्रीय सहयोग को रेखांकित किया।
भारत- उज़्बेकिस्तान संबंध:
- परिचय:
- भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है।
- उज़्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद भारत इसकी राज्य संप्रभुता को स्वीकार करने वाले पहले देशों में से एक था।
- भारत और उज़्बेकिस्तान ने राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत किया है, साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संबंधों को बढ़ावा मिला है।
- पहल:
- रक्षा सहयोग:
- दोनों पक्षों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास "दस्त्लिक 2019" (Dustlik 2019) के आयोजन का स्वागत किया।
- भारत ने ताशकंद में उज़्बेकिस्तान की सशस्त्र सेना अकादमी में एक इंडिया रूम स्थापित करने में भी सहायता की है।
- सुरक्षा सहयोग:
- भारत और उज़्बेकिस्तान आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध, अवैध तस्करी आदि सहित कई सुरक्षा मुद्दों पर आम दृष्टिकोण साझा करते हैं।
- इस क्षेत्र में जुड़ाव का मुख्य केंद्रबिंदु उज़्बेक सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से सहायता प्रदान करना है।
- व्यापार:
- यह वर्ष 2019-20 में 247 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 34.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो 38.5% की वृद्धि है।
- निवेश:
- भारतीय कंपनियों द्वारा भारतीय निवेश में फार्मास्यूटिकल्स, मनोरंजन पार्क, ऑटोमोबाइल घटकों और आतिथ्य उद्योग के क्षेत्र में निवेश शामिल हैं।
- एमिटी यूनिवर्सिटी और शारदा यूनिवर्सिटी ने क्रमशः ताशकंद और अंदिजान में कैंपस खोले हैं।
- आईक्रिएट जैसे भारतीय संस्थान उज़्बेकिस्तान में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और उद्यमियों को इनक्यूबेटर स्थापित करने में प्रशिक्षण देने के लिये उज़्बेक समकक्षों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।
- पर्यटन:
- उज़्बेक सरकार ने भारतीय पर्यटकों के लिये ई-वीज़ा सुविधा का विस्तार किया है।
- उज़्बेकिस्तान भी चिकित्सा पर्यटन के महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभरा है, जिसमें लगभग 8,000 उज़्बेक प्रतिवर्ष भारत में चिकित्सा उपचार हेतु भारत आतें हैं।
- सौर ऊर्जा:
- उज़्बेकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने में रुचि व्यक्त की है।
- प्रतिस्पर्द्धी बोली के माध्यम से सौर ऊर्जा क्षेत्र के विकास में भारतीय भागीदारी में रुचि दिखाई है।
- रक्षा सहयोग:
- द्विपक्षीय तंत्र:
- राष्ट्रीय समन्वय समितियाँ: भारत और उज़्बेकिस्तान ने परस्पर सहमत परियोजनाओं एवं पहलों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये राष्ट्रीय समन्वय समितियों का गठन किया है।
- बहुपक्षीय पहल:
- भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद: ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, मोटर वाहन, कृषि-प्रसंस्करण, शिक्षा और शहरी बुनियादी ढाँचे, परिवहन, नागरिक उड्डयन, आईटी तथा पर्यटन पर विशेष ध्यान देने के साथ व्यापार एवं निवेश साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिये सभी पाँच मध्य एशियाई देशों की व्यापार परिषदों को एक साथ लाया गया।
- भारत-मध्य एशिया वार्ता: यह राजनीति, अर्थशास्त्र, डिजिटलीकरण एवं सांस्कृतिक व मानवीय क्षेत्रों में भारत तथा मध्य एशिया के देशों के बीच संबंधों को और मज़बूत करने में सक्षम बनाता है।
भारत-उज़्बेकिस्तान संबंधों को लेकर चुनौतियाँ:
- दोनों देशों के मध्य होने वाले व्यापार और वाणिज्य की मात्रा अत्यंत कम है।
- कनेक्टिविटी की कमी, क्योंकि उज़्बेकिस्तान एक भू-आबद्ध देश है और हवाई संपर्क ढाँचा तुलनात्मक रूप से विकसित नहीं है।
- चीन ने उज़्बेकिस्तान समेत सभी मध्य एशियाई देशों को बेल्ट एंड रोड पहल के साथ शामिल कर लिया है।
आगे की राह
- भारतीय कंपनियाँ उज़्बेकिस्तान के साथ विभिन्न व्यापार समझौतों का लाभ उठा सकती हैं और दोनों देशों की आर्थिक एवं व्यापार क्षमता का दोहन करने के लिये क्षेत्र में संयुक्त लाभकारी निवेश परियोजनाओं को लागू कर सकती हैं।
- दोनों देशों के मध्य परस्पर तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत है।
- उज़्बेकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) में शामिल होना चाहिये।
- INSTC के सदस्य के रूप में ईरान और भारत दोनों के साथ उज़्बेकिस्तान के जुड़ने से व्यापार विशेष रूप से कनेक्टिविटी उचित दिशा में आगे बढ़ेंगी।
सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से मानव क्रियाकलापों के कारण हाल में अत्यधिक संकुचित हो गया है/ सूख गया है? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: A व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। मेन्स:प्रश्न. कई बाहरी शक्तियों ने मध्य एशिया में अपनी जड़ें जमा ली हैं, जो भारत के लिये रुचि का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते (2018) में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। |