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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत-अमेरिका डिजिटल कर समझौता

  • 26 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव, इक्वलाइज़ेशन लेवी, न्यूनतम कॉर्पोरेट कर

मेन्स के लिये:

भारत-अमेरिका डिजिटल कर समझौता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका 1 अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाली ई-कॉमर्स आपूर्ति पर समान लेवी या डिजिटल कर को लेकर एक संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर सहमत हुए हैं।

  • इससे पहले जनवरी 2021 में ‘यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव’ (USTR) के कार्यालय ने कहा था कि भारत, इटली और तुर्की द्वारा अपनाए गए डिजिटल सेवा कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव करते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि:
    • 8 अक्तूबर, 2021 को भारत सहित 136 देश उन बाज़ारों में जहाँ बड़ी कंपनियाँ आय अर्जित करती हैं, में 15% की न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर (वैश्विक कर समझौता) लागू करने के लिये सहमत हुए, यह बड़ी कंपनियों के मुनाफे पर कर लगाने की यह एक समान प्रणाली है।
      • इस समझौते के लिये देशों को सभी डिजिटल सेवा कर और अन्य समान एकतरफा उपायों को हटाने की आवश्यकता है।
    • उसके बाद अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फ्राँस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम ने इसके प्रथम स्तंभ को लागू करते हुए मौजूदा एकतरफा उपायों हेतु संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर एक समझौता किया।
  • वैश्विक कर समझौता:
    • यह एप्पल, अल्फाबेट और फेसबुक जैसी ‘बिग टेक’ कंपनियों सहित दुनिया के कुछ सबसे बड़े निगमों द्वारा लागू किये गए कर की कम प्रभावी दरों को संबोधित करने के लिये तैयार किया गया है।
    • वैश्विक न्यूनतम कर की दर वैश्विक स्तर पर बिक्री में 868 मिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ बहुराष्ट्रीय फर्मों के विदेशी मुनाफे पर लागू होगी।
      • स्तंभ 1 (न्यूनतम कर और कर नियमों के अधीन): सरकारें अभी जो भी स्थानीय कॉर्पोरेट कर दर चाहती हैं, निर्धारित कर सकती हैं, लेकिन अगर कंपनियाँ किसी विशेष देश में कम दरों का भुगतान करती हैं, तो उनकी गृह सरकारें अपने करों को न्यूनतम 15% तक "टॉप अप", मुनाफे को स्थानांतरित करने के लाभ को समाप्त कर सकती हैं। 
      • स्तंभ 2 (बाज़ार के अधिकार क्षेत्र में लाभ के अतिरिक्त हिस्से का पुन: आवंटन): यह उन देशों को इसकी अनुमति देता है जहाँ राजस्व अर्जित किया जाता है, सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के तथाकथित अतिरिक्त लाभ के 25% पर कर लगाया जाता है, जिसे राजस्व के 10% से अधिक लाभ के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • भारत-अमेरिका समझौता:
    • भारत और अमेरिका इस बात पर सहमत हुए हैं कि समान शर्तों के आधार पर (जैसा कि यूएस, ऑस्ट्रिया, फ्राँस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम द्वारा सहमति व्यक्त की गई है) भारत के ई-कॉमर्स आपूर्ति पर 2% इक्वलाइज़ेशन लेवी शुल्क लागू होगा।
    • समझौते के तहत भारत मार्च 2024 तक या बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सीमा पार डिजिटल लेन-देन हेतु कर लगाने पर आर्थिक सहयोग और विकास संगठन समझौते के स्तंभ 1 के लागू होने तक लेवी लगाता रहेगा।
      • भारत और अमेरिका संबंधित प्रतिबद्धताओं की एक समान समझ विकसित करने तथा रचनात्मक वार्ता के माध्यम से इससे संबंधित किसी भी मतभेद को हल करने हेतु निकट संपर्क में रहेंगे।
      • अमेरिका लेवी के जवाब में घोषित व्यापार टैरिफ कार्रवाइयों को समाप्त कर देगा और आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
  • भारत-अमेरिका समझौते का महत्त्व:
    • यह भारत के लिये फायदेमंद है, क्योंकि इससे भारत वर्तमान 2% लेवी को निश्चित रूप से तब तक जारी रख सकता है जब तक कि ‘पिलर वन’ प्रभावी नहीं हो जाता, साथ ही इसमें सभी प्रस्तावित कार्रवाइयों को समाप्त करने और आगे किसी प्रकार की कार्रवाई न करने की प्रतिबद्धता भी शामिल है।
    • यह ऑनलाइन लेन-देन के कारण होने वाले कर नुकसान को रोकने में मदद करेगा, क्योंकि भारत को ‘पिलर-1’ के बाद ‘इक्वलाइज़ेशन लेवी 2.0’ को वापस लेना होगा।
      • यह ध्यान में रखा जाना चाहिये कि ‘पिलर-1’ केवल 20 बिलियन यूरो से ऊपर के वैश्विक कारोबार वाली कंपनियों पर लागू होता है, जो कि शीर्ष 100 कंपनियाँ हैं।

डिजिटल सेवा कर (DSTs)

  • यह कर गूगल, अमेज़न और एप्पल जैसी डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के बदले प्राप्त राजस्व पर अधिरोपित किया जाता है। 
  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) वर्तमान में 130 से अधिक देशों के साथ वार्ता कर रहा है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली को अनुकूलित करना है। इस वार्ता का एक लक्ष्य अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की कर चुनौतियों का समाधान करना है।
    • कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि किसी एक विशिष्ट क्षेत्र या गतिविधि को लक्षित करने के लिये डिज़ाइन की गई कर नीति पूर्णतः अनुचित होगी और इसके जटिल परिणाम हो सकते हैं।
    • इसके अलावा डिजिटल अर्थव्यवस्था को बाकी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से आसानी से अलग नहीं किया जा सकता है।

डिजिटल कंपनियों पर भारत का कर

  • बीते दिनों सरकार ने 2 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले गैर-निवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा प्रदान किये गए व्यापार और सेवाओं पर 2 प्रतिशत डिजिटल सेवा कर (DST) लगाते हुए वित्त विधेयक 2020-21 में एक संशोधन किया था।
    • इसके माध्यम से इक्विलाइज़ेशन लेवी के दायरे को प्रभावी ढंग से विस्तारित किया गया, जो कि बीते वर्ष तक केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर ही लागू था।
    • इससे पहले इक्विलाइज़ेशन लेवी (6 प्रतिशत) वर्ष 2016 में प्रस्तुत की गई थी और रेज़िडेंट सर्विस प्रोवाइडर के बिज़नेस-टू-बिज़नेस डिजिटल विज्ञापनों एवं संबद्ध सेवाओं से उत्पन्न राजस्व पर लगाया जाता था।
  • नई लेवी 1 अप्रैल, 2020 से लागू हुई, जिसके तहत ई-कॉमर्स ऑपरेटर प्रत्येक तिमाही के अंत में कर का भुगतान करने के लिये बाध्य हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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