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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल हेतु भारत-अमेरिका समझौता

  • 08 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये :

मानव रहित विमान अथवा  ड्रोन स्वार्म, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन

मेन्स के लिये :

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और अमेरिका ने एक एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) या ड्रोन को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिये एक परियोजना समझौते (PA) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसे विमान से लॉन्च किया जा सकता है।

  • भारत के रक्षा मंत्रालय (MoD) तथा अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) को लेकर संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणाली के तहत परियोजना समझौते (PA) पर हस्ताक्षर किये गए थे।

प्रमुख बिंदु

  • परियोजना समझौते (PA) के बारे में: 
    • लक्ष्य: सहयोग के तहत दोनों देश ALUAV प्रोटोटाइप के सह-विकास के लिये सिस्टम के डिज़ाइन, विकास, प्रदर्शन, परीक्षण और मूल्यांकन की दिशा में काम करेंगे।
      • एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) के लिये यह परियोजना समझौते (PA), भारत के रक्षा मंत्रालय (MoD) और अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) के बीच अनुसंधान, विकास, परीक्षण एवं मूल्यांकन (RDT&E) हेतु हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का हिस्सा है।
        • इसे पहली बार जनवरी 2006 में हस्ताक्षरित किया गया था और जनवरी 2015 में इसे नवीनीकृत किया गया था। 
    • भारतीय प्रतिभागी: यह परियोजना समझौता (PA), वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला, भारतीय वायु सेना तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बीच सहयोग हेतु रूपरेखा तैयार करता है।
    • निष्पादन: भारतीय और अमेरिकी वायु सेना के साथ परियोजना समझौता (PA) के निष्पादन के लिये डीआरडीओ में स्थापित वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) तथा वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला ( AFRL ) में स्थापित एयरोस्पेस सिस्टम निदेशालय प्रमुख संगठन हैं।
    • महत्त्व:  यह समझौता रक्षा उपकरणों के सह-विकास के माध्यम से दोनों राष्ट्रों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
      • यह भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समर्थित ड्रोन स्वार्म (Drone Swarm) को संयुक्त निर्माण की ओर ले जा सकता है जो विमान से लॉन्च होने में सक्षम है ताकि विरोधी की वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट कर सके।
  • रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल (DTTI): 
    • गठन: ‘रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल’ (DTTI) को वर्ष 2012 में सैन्य प्रणालियों के सह-उत्पादन और सह-विकास के लिये एक महत्त्वाकांक्षी पहल के रूप में घोषित किया गया था, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद इस पहल में वास्तव में कोई प्रगति नहीं की जा सकी है।
    • उद्देश्य: पारंपरिक ‘क्रेता-विक्रेता’ की धारणा के बजाय सहयोगी दृष्टिकोण की ओर आगे बढ़ते हुए अमेरिका और भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को मज़बूत करना।
      • यह कार्य सह-विकास और सह-उत्पादन के माध्यम से तकनीकी सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज कर किया जाएगा।
    • परियोजाएँ: DTTI के तहत परियोजनाओं की पहचान निकट, मध्यम और दीर्घकालिक के रूप में की गई है।
      • निकट अवधि की परियोजनाओं में ‘एयर-लॉन्च स्मॉल अनमैन्ड सिस्टम’ (ड्रोन स्वार्म), ‘लाइटवेट स्मॉल आर्म्स टेक्नोलॉजी’ और ‘इंटेलिजेंस-सर्विलांस-टारगेटिंग एंड रिकोनिसेंस’ (ISTAR) सिस्टम शामिल हैं।
      • मध्यम अवधि की परियोजनाओं में ‘समुद्री डोमेन जागरूकता समाधान’ और ‘वर्चुअल ऑगमेंटेड मिक्स्ड रियलिटी फॉर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस’ (VAMRAM) शामिल हैं।
      • दीर्घकालिक परियोजनाओं में भारतीय सेना के लिये ‘टेरेन शेपिंग ऑब्सटेकल (लीथल एम्युनिशन) और काउंटर-यूएएस, रॉकेट, आर्टिलरी एवं मोर्टार (CURAM) प्रणाली नामक एंटी-ड्रोन तकनीक शामिल हैं।
    • संयुक्त कार्यसमूह: DTTI के तहत संबंधित डोमेन में पारस्परिक रूप से सहमत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने हेतु थल, नौ, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है।

भारत और अमेरिका के बीच अन्य प्रमुख समझौते

  • मूलभूत विनिमय तथा सहयोग समझौता ( Basic Exchange and Cooperation Agreement - BECA) बड़े पैमाने पर भू-स्थानिक खुफिया जानकारी और रक्षा के लिये मानचित्रों एवं उपग्रह छवियों पर जानकारी साझा करने से संबंधित है।
    • भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2020 में इस पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement- COMCASA) पर वर्ष 2018 में हस्ताक्षर किये गए थे।
    • इसका उद्देश्य दो सशस्त्र बलों के हथियार प्लेटफाॅर्मों (Weapons Platforms) के बीच संचार की सुविधा प्रदान करना है।
  • लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर पूरे 14 साल बाद वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये गए थे।
    • इसका उद्देश्य विश्व भर में आपसी रसद सहायता प्रदान करना है।
  • वर्ष 2002 में सरकार द्वारा सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • इसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा साझा की गई सैन्य जानकारी की रक्षा करना है।

स्रोत: द हिंदू

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