भारत का अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र | 14 Oct 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिवहन नीति (NSTP), इन-स्पेस, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) मेन्स के लिये:अंतरिक्ष क्रांति की आवश्यकता और संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) की वर्षगाँठ मनाने के लिये इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।
- अर्नस्ट एंड यंग (EY) और भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) द्वारा तैयार की गई संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 तक 13 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुँचने के लिये तैयार है।
प्रमुख बिंदु:
- स्पेस-लॉन्च सेगमेंट 13% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ेगा, जो निजी भागीदारी बढ़ने, नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाने और लॉन्च सेवाओं की कम लागत से प्रेरित है।
- उपग्रह सेवाएँ और अनुप्रयोग खंड वर्ष 2025 तक अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के 36 प्रतिशत के साथ अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा होगा।
- वर्ष 2025 तक देश का उपग्रह विनिर्माण 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा। वर्ष 2020 में यह 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- उपग्रह निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में दूसरा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला क्षेत्र होगा।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA):
- परिचय:
- इसे वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था, यह अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों का प्रमुख उद्योग संघ है।
- अंतरिक्ष सुधार के चार स्तंभ:
- निजी क्षेत्र को नवाचार की स्वतंत्रता की अनुमति देना।
- सरकार की भूमिका प्रवर्तक के रूप में।
- युवाओं को भविष्य के लिये तैयार करना।
- अंतरिक्ष क्षेत्र को आम आदमी की प्रगति के लिये एक संसाधन के रूप में देखना।
- ISpA को भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को एकीकृत करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया है। ISpA का प्रतिनिधित्व प्रमुख घरेलू और वैश्विक निगमों द्वारा किया जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष तथा उपग्रह प्रौद्योगिकियों में उन्नत क्षमताएँ हैं।
- उद्देश्य:
- ISpA भारत को आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से उन्नत और अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिये सरकार तथा उसकी एजेंसियों सहित भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में सभी हितधारकों के साथ नीतिगत एकीकरण एवं परामर्श करेगा।
- ISpA भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिये वैश्विक संबंध बनाने की दिशा में भी काम करेगा ताकि देश में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और निवेश लाया जा सके तथा अधिक उच्च कौशल वाली नौकरियाँ सृजित की जा सकें।
- महत्त्व:
- संगठन के मुख्य लक्ष्यों में से एक भारत को वाणिज्यिक अंतरिक्ष-आधारित क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों को पूरा करना है।
- ISRO के रॉकेट द्वारा विभिन्न देशों के पेलोड और संचार उपग्रहों को ले जाने में लंबा समय लगता है, निजी हितधारकों के प्रवेश से इसमें तेज़ी आएगी।
- निजी क्षेत्र की कई कंपनियों ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में रुचि दिखाई है, जिसमें अंतरिक्ष आधारित संचार नेटवर्क सामने आ रहे हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता:
- अंतरिक्ष क्षेत्र के बाज़ार को बढ़ाने की आवश्यकता:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) केंद्र द्वारा वित्तपोषित है और इसका वार्षिक बजट 14,000 से 15,000 करोड़ रुपए के मध्य है, इसका अधिकांश उपयोग रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण में किया जाता है।
- भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार छोटा है। इस क्षेत्र के आकार को बढ़ाने के लिये निजी हितधारकों का बाज़ार में प्रवेश करना अनिवार्य है।
- इसरो सभी निजी हितधारकों के लिये ज्ञान और प्रौद्योगिकी, जैसे कि रॉकेट एवं उपग्रहों की निर्माण तकनीक को साझा करने योजना बना रहा है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, रूस जैसे देशों में बोइंग, स्पेसएक्स, एयरबस, वर्जिन गैलेक्टिक आदि बड़ी निजी कंपनियाँ अंतरिक्ष उद्योग में संलग्न हैं।
- निजी क्षेत्रं में सुधार:
- इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की हमेशा से भागीदारी रही है, लेकिन यह पूरी तरह से पुर्जों और उप-प्रणालियों के निर्माण तक सीमित है। रॉकेट एवं उपग्रहों के निर्माण में सक्षम होने के लिये उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।
- निजी हितधारक अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों और सेवाओं के विकास के लिये आवश्यक नवाचार कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त इन सेवाओं की मांग विश्व स्तर पर बढ़ रही है, अधिकांश क्षेत्रों में उपग्रह डेटा, इमेजरी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
संबंधित पहलें:
- इन-स्पेस (IN-SPACe):
- इन-स्पेस को निजी कंपनियों को भारतीय अंतरिक्ष अवसंरचना का उपयोग करने के एक समान अवसर प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया था।
- यह ISRO और अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में भाग लेने या भारत के अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करने वाले सभी लोगों के मध्य सिंगल-पॉइंट इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
- न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL):
- बजट 2019 में घोषित NSIL का उद्देश्य भारतीय उद्योग भागीदारों के माध्यम से वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये ISRO द्वारा वर्षों से किये जा रहे अनुसंधान और विकास का उपयोग करना है।
आगे की राह
- भारतीय अंतरिक्ष उद्योग पर ISRO के एकाधिकार को ख़त्म करने के लिये एक नई नीति के निर्माण की आवश्यकता है जिसके तहत इच्छुक एवं सक्षम निजी अभिकर्त्ताओं के साथ उपग्रहों एवं रॉकेटों को बनाने के लिये आवश्यक ज्ञान और प्रौद्योगिकी को साझा किया जा सकता है।
- भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष कार्यक्रमों में से एक है, इस क्षेत्र में FDI की अनुमति देने का कदम भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) विदेशी अभिकर्त्ताओं को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्यम करने की अनुमति देगा, इससे राष्ट्रीय और विदेशी भंडार में योगदान प्राप्त होगा, साथ ही प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं नवाचारों हेतु अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
- इसके आलावा भारतीय अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक पेश किये जाने से निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र का अभिन्न अंग बनने के बारे में अधिक स्पष्टता मिल सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: ISRO द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान:
उपुर्यक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 मेन्सप्रश्न. भारत की अपने अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019) प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक विकास में कैसे मदद की है? (2016) |