फ्रांँस के समर्थन में भारत | 29 Oct 2020
प्रिलिम्स के लियेफ्रांँस और तुर्की की अवस्थिति मेन्स के लियेभारत-फ्रांँस संबंध के दृष्टिकोण से हालिया घटनाक्रम का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारत ने फ्रांँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन का खुले तौर पर समर्थन किया है, ध्यातव्य है कि पाकिस्तान और तुर्की द्वारा फ्रांँस के लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव करने के लिये उनकी आलोचना की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
भारत का समर्थन
- अंतर्राष्ट्रीय विमर्श के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन का विरोध करते हुए भारत ने तुर्की और पाकिस्तान द्वारा की जा रही फ्रांँस के राष्ट्रपति की व्यक्तिगत आलोचना की निंदा की।
- साथ ही भारत ने क्रूर आतंकवादी हमले के रूप में एक स्कूल शिक्षक की हत्या की घटना की भी निंदा की।
- जबकि फ्रांँस में एक वर्ग विशेष को अपमानजनक लगने वाले कैरिकेचर या कार्टून को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं, किंतु भारत के लिये दूसरे देशों में धर्म संबंधी विवाद पर अपना पक्ष देना काफी असामान्य घटना है।
- ज्ञात हो कि वर्ष 2015 में भी फ्रांँस की चार्ली हेब्दो पत्रिका के पत्रकारों और कार्टूनिस्टों पर हुए हमले के बाद भारत ने इस घटना की निंदा की थी।
- फ्रांँस के राष्ट्रपति को भारत का समर्थन इस तथ्य से भी प्रेरित है कि उनकी आलोचना मुख्य तौर पर पाकिस्तान और तुर्की द्वारा की जा रही है, ये वही दो देश हैं जो जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर बार-बार भारत पर हमला करते रहते हैं।
पृष्ठभूमि
- असल में इस पूरे विवाद की शुरुआत फ्रांँस के एक स्कूल में हुई, जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आयोजित क्लास में सैमुअल पैटी नाम के एक शिक्षक ने अपने छात्रों को पैगंबर (Prophet) के कुछ कैरिकेचर दिखाए, जो कि व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो द्वारा वर्ष 2015 में प्रकाशित किये गए थे।
- इसके अगले ही दिन एक चरमपंथी द्वारा सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई, इस घटना में एक 18 वर्षीय चरमपंथी युवक मुख्य आरोपी है।
- इस हत्या की निंदा करते हुए फ्रांँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने अभिव्यक्ति और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की स्वतंत्रता का बचाव किया था।
- इसके जवाब में तुर्की और पाकिस्तान ने फ्रांँसीसी राष्ट्रपति पर इस्लाम-विरोधी एजेंडा चलाने और मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया था।
- ज्ञात हो कि ईरान और सऊदी अरब ने भी कार्टून की निंदा की है तथा अब संपूर्ण मुस्लिम जगत में फ्रांँस के उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग की जा रही है।
भारत-फ्रांँस संबंध
भारत और फ्रांँस के संबंध विशेष तौर पर आतंकवाद, रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे पारस्परिक हित के मुद्दों पर पारंपरिक रूप से काफी घनिष्ट और मैत्रीपूर्ण रहे हैं।
- वाणिज्यिक संबंध: भारत और फ्रांँस के बीच द्विपक्षीय निवेश और व्यापार तथा वाणिज्य के क्षेत्र में संबंध काफी महत्त्वपूर्ण हैं। ध्यातव्य है कि फ्रांँस, भारत के लिये विदेशी निवेश का एक प्रमुख स्रोत बन कर सामने आया है और वर्ष 2018 में फ्रांँस की तकरीबन 1000 कंपनियाँ भारत में कार्य कर रही थीं। आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से दिसंबर 2018 के बीच फ्रांँस से भारत में कुल 6.59 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था।
- रक्षा संबंध: मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) के क्षेत्र में सुधार के प्रयासों के तहत फ्रांँस भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) में एक संपर्क अधिकारी तैनात करने वाला पहला देश है।
- दोनों देशों के बीच समय-समय पर मंत्रिस्तरीय रक्षा संबंधी वार्ता का आयोजन किया जाता है। दोनों देशों के बीच कुल तीन सैन्य अभ्यासों- अभ्यास वरुण (नौसेना), अभ्यास गरुण (वायु सेना) और अभ्यास शक्ति (थल सेना) का आयोजन किया जाता है।
- हाल ही में फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) कंपनी द्वारा निर्मित पाँच राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) फ्रांँस से हरियाणा स्थित अंबाला एयर बेस (Ambala Air Base) पहुँचे थे।
- अंतरिक्ष: भारत और फ्रांँस के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग का एक समृद्ध इतिहास रहा है और इसरो, फ्रांँस की अंतरिक्ष एजेंसी, सीएनईएस (CNES) के साथ मिलकर बीते पचास से भी अधिक वर्षों से विभिन्न संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।
- फ्रांँस ने वर्ष 2025 के लिये निर्धारित भारत के शुक्र ग्रह से संबंधित मिशन का हिस्सा बनने हेतु सहमति व्यक्त की है।
आगे की राह
- फ्रांँस और भारत के संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव पर टिके हुए हैं तथा दोनों देश सतत् विकास एवं जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न मुद्दे साझा करते हैं।
- फ्रांँस, भारत के लिये वैश्विक मुद्दों पर यूरोप के साथ गहरे जुड़ाव का रास्ता भी खोलता है, खासकर ब्रेक्जिट के कारण इस क्षेत्र में अनिश्चितता के बाद यह और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है।