भारत का पशुधन क्षेत्र | 20 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), पशुधन क्षेत्र, पशुपालन, आर्थिक सर्वेक्षण-2021, सकल मूल्यवर्द्धित, दुग्ध उत्पाद, LSD, ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण। मेन्स के लिये:भारत के पशुधन क्षेत्र की स्थिति, भारत में पशुधन से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) द्वारा पशु नस्ल पंजीकरण प्रमाणपत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
- इस अवसर पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने अपने संबोधन में कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र को समृद्ध बनाने हेतु भारत में बड़ी संख्या में स्वदेशी पशुधन नस्लों की पहचान करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
भारत में पशुधन क्षेत्र की स्थिति:
- परिचय:
- पशुपालन ऐतिहासिक रूप से भारत में कृषि का एक अभिन्न अंग रहा है और वर्तमान में भी प्रासंगिक है क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग सक्रिय रूप से कृषि कार्य में संलग्न एवं इस पर निर्भर है।
- भारत पशुधन जैवविविधता में समृद्ध है और इसने विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल कई विशिष्ट नस्लों को विकसित किया है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान:
- भारत का पशुधन क्षेत्र वर्ष 2014-15 से 2020-21 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.9% की CAGR दर से बढ़ा और कुल कृषि GVA (स्थिर कीमतों पर) में इसका योगदान वर्ष 2014-15 के 24.3% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 30.1% हो गया।
- पशुधन न केवल आर्थिक रूप से लाभप्रद और परिवारों के लिये भोजन एवं आय का एक विश्वसनीय स्रोत है, बल्कि यह ग्रामीण परिवारों को रोज़गार भी प्रदान करता है, जो फसल के खराब होने की स्थिति में बीमा के रूप में कार्य करता है। साथ ही एक किसान के स्वामित्त्व वाले पशुधन की संख्या समुदाय के बीच उसकी सामाजिक स्थिति को भी निर्धारित करती है।
- भारत में दुग्ध (Dairy) सबसे बड़ा एकल कृषि उत्पाद है। इसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान है और यह 80 मिलियन डेयरी किसानों को रोज़गार प्रदान करता है।
- मान्यता प्राप्त स्वदेशी पशुधन प्रजातियाँ:
- हाल ही में ICAR ने पशुधन प्रजातियों की 10 नई नस्लों को पंजीकृत किया है। इससे जनवरी 2023 तक देशी नस्लों की कुल संख्या 212 हो गई है।
- स्वदेशी पशुधन प्रजातियों की 10 नई नस्लें निम्नलिखित हैं:
- कथानी मवेशी (महाराष्ट्र), सांचोरी मवेशी (राजस्थान) और मासिलम मवेशी (मेघालय)।
- पूर्णाथाड़ी भैंस (महाराष्ट्र)।
- सोजत बकरी (राजस्थान), करौली बकरी (राजस्थान) और गुजरी बकरी (राजस्थान)।
- बाँदा सुअर (झारखंड), मणिपुरी काला सुअर (मणिपुर) और वाक चंबिल सुअर (मेघालय)।
- भारत में पशुधन से संबंधित मुद्दे:
- पारदर्शिता की कमी:
- देश के लगभग आधे पशुधन अभी भी वर्गीकृत नहीं हैं। इसके अलावा भारतीय पशुधन उत्पाद बाज़ार ज़्यादातर अविकसित, अनिश्चित, पारदर्शिता की कमी और अनौपचारिक बाज़ार मध्यस्थों के प्रभुत्त्व वाले हैं।
- पशुओं में बीमारी में वृद्धि:
- पशुओं में संचारी रोगों में वृद्धि हुई है। हाल ही में भारत के विभिन्न राज्यों में मवेशियों में गाँठदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease- LSD) के अनेक मामले देखे गए हैं।
- सेवाओं के विस्तार का अभाव:
- हालाँकि फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हेतु सेवाओं के विस्तार को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है, लेकिन पशुधन के विस्तार पर कभी भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया एवं यह भारत में पशुधन क्षेत्र की कम उत्पादकता के प्रमुख कारणों में से एक रहा है।
- पारदर्शिता की कमी:
पशुधन क्षेत्र से संबंधित सरकारी योजनाएँ:
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF): इस योजना के तहत केंद्र सरकार उधारकर्त्ता को 3% की ब्याज सहायता और कुल उधार के 25% तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM): इस योजना को वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिये पुनर्गठित किया गया है।
- यह योजना उद्यमिता विकास और चारा विकास सहित मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सुअर पालन में नस्ल सुधार पर केंद्रित है।
- पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (LH&DC) योजना: यह टीकाकरण द्वारा आर्थिक और ज़ूनोटिक महत्त्व के पशुओं में रोगों की रोकथाम, नियंत्रण तथा इस दिशा में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के प्रयासों को बल प्रदान करने हेतु कार्यान्वित की जा रही है।
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP): इसे खुरपका और मुँहपका रोग एवं ब्रूसेलोसिस के खिलाफ मवेशियों, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी तथा ब्रुसेलोसिस के खिलाफ 4-8 माह के मादा गोजातीय बछड़ों का पूरी तरह से टीकाकरण करने हेतु लागू किया जा रहा है।
भारत अपने पशुधन क्षेत्र को कैसे बढ़ा सकता है?
- नई नस्लों का पंजीकरण: राज्य विश्वविद्यालयों, पशुपालन विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य के सहयोग से देश में सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों का दस्तावेज़ीकरण करने का ICAR का मिशन इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
- इसके अलावा कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) ने इन स्वदेशी नस्लों पर संप्रभुता का दावा करने हेतु वर्ष 2019 से राजपत्र में सभी पंजीकृत नस्लों को अधिसूचित करना शुरू कर दिया है।
- पशु चिकित्सा एम्बुलेंस सेवा और अनिवार्य पशुधन टीकाकरण: घायल पशुओं को तत्काल प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिये पशु चिकित्सालयों में एम्बुलेंस सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिये।
- इसके अलावा पशुधन प्राथमिक टीकाकरण अनिवार्य किया जाना चाहिये और समयबद्ध तरीके से नियमित पशु चिकित्सा निगरानी की जानी चाहिये।
- ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण: एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण सुनिश्चित करने हेतु लोगों, पशु-पौधों तथा उनके साझा पर्यावरण के मध्य अंतर्संबंध को समझने, अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तथा मानव स्वास्थ्य को लेकर कई स्तरों पर ज्ञान साझा करने की आवश्यकता है। पौधे, मिट्टी, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य स्थिरता तथा ज़ूनोटिक(zoonotic) रोगों से निपटने में भी मदद कर सकते हैं।
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