मध्य प्रदेश में भारत की पहली लघु-स्तरीय LNG इकाई | 01 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारत में पहली लघु-स्तरीय तरलीकृत प्राकृतिक गैस इकाई, प्राकृतिक गैस, LNG और CNG की संरचना, BioCNG, LNG के प्रमुख अनुप्रयोग। मेन्स के लिये:LNG से संबंधित चुनौतियाँ, लघु-स्तरीय LNG इकाई की आवश्यकता। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने हाल ही में मध्य प्रदेश में गेल (इंडिया) लिमिटेड के विजयपुर परिसर में भारत की पहली लघु-स्तरीय तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Small-Scale Liquefied Natural Gas- SSLNG) इकाई का उद्घाटन किया।
- यह विकास विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने और वर्ष 2030 तक देश के प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी को 15% तक बढ़ाने की सरकार की व्यापक पहल का हिस्सा है।
LNG और SSLNG क्या है?
- परिचय: तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) एक ऐसी प्राकृतिक गैस है जिसे भंडारण और परिवहन को आसान तथा सुरक्षित बनाने के लिये लगभग -260°F (-162°C) तरल अवस्था में ठंडा किया जाता है।
- प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक मीथेन है, जो इसकी संरचना का 70-90% हिस्सा है।
- प्राकृतिक गैस कोयला और तेल जैसे पारंपरिक हाइड्रोकार्बन का एक स्वच्छ तथा अधिक किफायती विकल्प है, जो इसे भारत के हरित ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण में महत्त्वपूर्ण बनाता है।
- IEA के अनुसार, प्राकृतिक गैस वैश्विक बिजली उत्पादन का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
- वर्तमान में भारत में ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6.7% है।
- शीर्ष प्राकृतिक गैस उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और ईरान हैं।
- प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक मीथेन है, जो इसकी संरचना का 70-90% हिस्सा है।
- लघु-स्तरीय LNG: SSLNG में छोटे पैमाने पर प्राकृतिक गैस को द्रवित करना और परिवहन करना, विशेष ट्रकों तथा जहाज़ों का उपयोग करके पाइपलाइन कनेक्शन के बिना क्षेत्रों में आपूर्ति करना शामिल है।
- बड़े पैमाने पर LNG आयात टर्मिनलों से शुरू होकर, SSLNG क्रायोजेनिक रोड टैंकरों या छोटे जहाज़ों के माध्यम से या तो पारंपरिक उपयोग के लिये तरल या पुनर्गैसीकृत के रूप में उपभोक्ताओं को सीधे LNG की आपूर्ति कर सकता है।
- इससे महँगे गैस आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी, खासकर अगर यह डीज़ल की खपत के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से की भरपाई करती है, जिससे विदेशी मुद्रा की पर्याप्त बचत होगी।
- यह स्वच्छ ऊर्जा को भी बढ़ावा देता है और टिकाऊ ईंधन स्रोतों की ओर भारत के परिवर्तन का समर्थन करता है।
- प्रमुख अनुप्रयोग:
- परिवहन:
- समुद्री ईंधन: पारंपरिक समुद्री ईंधन की तुलना में सल्फर ऑक्साइड (SOx) और पार्टिकुलेट मैटर के कम उत्सर्जन के कारण LNG का उपयोग विशेष रूप से उत्सर्जन-नियंत्रित क्षेत्रों में जहाज़ों के लिये ईंधन के रूप में किया जा रहा है।
- सड़क परिवहन: LNG का उपयोग ट्रकों, बसों और अन्य भारी वाहनों के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है जिसके उपयोग से डीज़ल की तुलना में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), पार्टिकुलेट मैटर तथा ग्रीनहाउस गैसों का कम उत्सर्जन होता है।
- औद्योगिक अनुप्रयोग:
- ऊर्जा उत्पादन: LNG का उपयोग गैस चालित ऊर्जा संयंत्रों से विद्युत का उत्पादन करने के लिये किया जाता है जो प्रदूषकों के कम उत्सर्जन के साथ कोयले अथवा तेल से चलने वाले विद्युत संयंत्रों के लिये एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है।
- तापन और शीतलन: LNG का उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे- विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण और प्रशीतन (Refrigeration) में तापन तथा शीतलन (Heating and Cooling) जैसे उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- ऊर्जा भंडारण और बैकअप:
- नवीकरणीय/अक्षय ऊर्जा एकीकरण: नवीकरणीय उर्जा उत्पादन में रुकावट अथवा अनुपलब्धता की स्थिति में LNG बैकअप पावर प्रदान करके पवन और सौर जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के पूरक की भूमिका निभा सकता है।
- परिवहन:
- संबंधित चुनौतियाँ:
- उच्च लागत: LNG द्रवीकरण एवं पुनर्गैसीकरण सुविधाओं के निर्माण की लागत उच्च होती है। इसके अतिरिक्त, परिवहन प्रक्रिया के लिये विशेष क्रायोजेनिक (सुपर कोल्ड) वाहक की आवश्यकता होती है, जिससे लागत और बढ़ जाती है।
- चीन जैसे देशों ने वाणिज्यिक वाहनों में LNG के प्रयोग को सफलतापूर्वक एकीकृत किया है किंतु भारत को LNG वाहनों की सीमित उपलब्धता, उच्च प्रारंभिक लागत और LNG के लिये वित्तपोषण एवं खुदरा नेटवर्क की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: कोयले की तुलना में स्वच्छ होने के बावजूद, LNG के उत्पादन की प्रक्रिया और परिवहन हेतु इसके प्रयोग से मीथेन उत्सर्जन होता है जो इसके पर्यावरणीय प्रभाव को दर्शाता है।
- CO2 के बाद मानवजनित GHG में दूसरा सबसे बड़ा योगदान मीथेन का है। हालाँकि मीथेन वायुमंडल में CO2 की तुलना में तेज़ी से क्षयित होती है किंतु इसका ग्रहीय तापन प्रभाव कहीं अधिक होता है।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: LPG अत्यधिक ज्वलनशील होती है और उपयुक्त प्रयोग न करने के दशा में सुरक्षा जोखिम उत्पन्न कर सकती है। इसके अनुचित भंडारण, रख-रखाव अथवा उपयोग से रिसाव, आग अथवा विस्फोट जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- उच्च लागत: LNG द्रवीकरण एवं पुनर्गैसीकरण सुविधाओं के निर्माण की लागत उच्च होती है। इसके अतिरिक्त, परिवहन प्रक्रिया के लिये विशेष क्रायोजेनिक (सुपर कोल्ड) वाहक की आवश्यकता होती है, जिससे लागत और बढ़ जाती है।
संपीड़ित प्राकृतिक गैस क्या है?
- परिचय: CNG का तात्पर्य उच्च दबाव में संपीड़ित की गई प्राकृतिक गैस से है जिससे ईंधन टैंक में कम मात्रा में इसका भंडारण संभव होता है।
- यह सामान्य रूप से 200 से 250 किग्रा/सेमी.² के दबाव पर संपीड़ित होती है, जिससे वायुमंडलीय दबाव पर इसकी मात्रा इसके आकार के 1% से भी कम हो जाती है।
- LPG के विपरीत, जो संपीड़ित प्रोपेन एवं ब्यूटेन का मिश्रण है, CNG में मुख्य रूप से गैसीय अवस्था में 80 से 90% मीथेन होता है।
- CNG और LNG के बीच अंतर उनकी भौतिक अवस्था में निहित होता है: CNG एक गैस के रूप में जबकि LNG एक तरल के रूप में होती है जिसे बाद में उपयोग के लिये पुन: गैसीकृत किया जाता है।
- यह सामान्य रूप से 200 से 250 किग्रा/सेमी.² के दबाव पर संपीड़ित होती है, जिससे वायुमंडलीय दबाव पर इसकी मात्रा इसके आकार के 1% से भी कम हो जाती है।
- CNG के लाभ:
- हवा से हल्की, रिसाव की स्थिति में तेज़ी से फैल जाती है।
- न्यूनतम अवशिष्टों के साथ स्वच्छ दहन, इंजन रखरखाव को कम करना।
- पेट्रोल या डीज़ल की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन।
- इसके उच्च ऑटो-इग्निशन तापमान के कारण उच्च सुरक्षा।
- पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में उच्च कैलोरी मान के साथ लागत प्रभावी।
- CNG के नुकसान:
- बड़े ईंधन टैंक की आवश्यकता है।
- प्रति भरण सीमित सीमा।
- कम फिलिंग स्टेशन उपलब्ध हैं।
- पुराने वाहनों को CNG के लिये रेट्रोफिट करना चुनौतीपूर्ण है।
- BioCNG: बायोसीएनजी, जिसे बायोमेथेन के रूप में भी जाना जाता है, जैविक अपशिष्ट से बना एक नवीकरणीय, स्वच्छ जलने वाला परिवहन ईंधन है। इसका उत्पादन बायोगैस को प्राकृतिक गैस की गुणवत्ता में अपग्रेड करके किया जाता है।
आगे की राह
- LNG अवसंरचना विकास: LNG उपलब्धता बढ़ाने के लिये LNG आयात टर्मिनलों और पुनर्गैसीकरण सुविधाओं के विस्तार में निवेश करना चाहिये।
- इसके अलावा, पाइपलाइन कनेक्शन के बिना क्षेत्रों तक पहुँचने के लिये विशेष ट्रकों, जहाज़ों और भंडारण सुविधाओं सहित एक मज़बूत SSLNG बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना चाहिये।
- बाज़ार विकास: उद्योगों, वाणिज्यिक उपयोगकर्त्ताओं और परिवहन क्षेत्र के बीच LNG तथा SSLNG के लाभों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना एवं उन्हें बढ़ावा देना चाहिये।
- LNG से चलने वाले वाहनों और उपकरणों में निवेश को प्रोत्साहित करना, अपनाने के लिये प्रोत्साहन तथा वित्तपोषण विकल्प की पेशकश करनी चाहिये।
- नियामक समर्थन: LNG और SSLNG संचालन के लिये स्पष्ट नियामक ढाँचे तथा मानकों का विकास करना, सुरक्षा, पर्यावरण अनुपालन व गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहिये।
- नवाचार हेतु निवेश: दक्षता में सुधार और लागत कम करने के लिये क्रायोजेनिक भंडारण व परिवहन समाधान जैसी उन्नत LNG प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये दबाव: COP28 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ने प्राकृतिक गैस की ओर संकेत करते हुए पहले ग्लोबल स्टॉकटेक के अपने परिणाम में ऊर्जा सुरक्षा के लिये "संक्रमणकालीन ईंधन" का उल्लेख किया।
- LNG व्यापार, बुनियादी ढाँचे के विकास और नीति सामंजस्य के लिये क्षेत्रीय एवं वैश्विक पहल में भाग लेने से वैश्विक LNG बाज़ार में भारत की स्थिति मज़बूत हो सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) प्रश्न. "वहनीय (ऐफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (एस० डी० जी०) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।" भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |