भारत की वृद्ध होती जनसंख्या | 22 Oct 2024
प्रिलिम्स:कार्यशील आयु वाली जनसंख्या, विश्व स्वास्थ्य संगठन, निर्भरता अनुपात, विश्व बैंक, प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर, वन चाइल्ड पॉलिसी, पेंशन प्रणाली, आंतरिक प्रवास। मेन्स:वृद्ध होती जनसंख्या और जनसंख्या में गिरावट से संबंधित चिंताएँ, उनसे निपटने के लिये आवश्यक उपाय। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण भारत के कुछ राजनेताओं ने वृद्ध होती और घटती जनसंख्या से संबंधित चिंता व्यक्त की तथा राज्य के निवासियों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु एक कानून बनाने पर बल दिया है।
- वृद्ध होती जनसंख्या एक जनसांख्यिकीय प्रवृत्ति है, जिसमें कार्यशील आयु वर्ग (15-64) की जनसंख्या की तुलना में 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों का अनुपात बढ़ रहा है।
भारत में वृद्धावस्था और समग्र जनसंख्या आकार पर आँकड़े क्या कहते हैं?
- समग्र जनसंख्या वृद्धि: वर्ष 2011 और वर्ष 2036 के बीच भारत की जनसंख्या में 31.1 करोड़ (311 मिलियन) की वृद्धि होने का अनुमान है।
- विकास का संकेंद्रण: लगभग आधा यानि 17 करोड़ पाँच राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश भी शामिल होंगे।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: अनुमानतः उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या वृद्धि में 19% की वृद्धि होगी, जबकि पाँच दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु केवल 29 मिलियन या कुल वृद्धि में 9% का योगदान देंगे।
- वृद्ध जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ: 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2011 में 10 करोड़ (100 मिलियन) से दोगुनी होकर वर्ष 2036 तक 23 करोड़ (230 मिलियन) हो जाने की उम्मीद है, तथा कुल जनसंख्या में उनकी भागीदारी 8.4% से बढ़कर 14.9% हो जाएगी।
- वृद्ध होती जनसंख्या में राज्य स्तर पर भिन्नताएँ: केरल में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों का अनुपात वर्ष 2011 में 13% से बढ़कर वर्ष 2036 तक 23% होने का अनुमान है, अर्थात् लगभग 4 में से 1 व्यक्ति इस आयु समूह में आता है।
- उत्तर प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या का हिस्सा वर्ष 2011 में 7% से बढ़कर वर्ष 2036 में 12% होने की उम्मीद है ।
- उत्तर-दक्षिण विभाजन: 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के अनुपात में वृद्धि दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में उत्तरी राज्यों में कम होगी।
- दक्षिण भारतीय राज्यों ने प्रजनन दर कम करने की दिशा में पहले ही कदम बढ़ा दिये हैं। उदाहरण के लिये अनुमानतः उत्तर प्रदेश वर्ष 2025 में प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (प्रति महिला 2.1 बच्चे) तक पहुँच जाएगा, जो आंध्र प्रदेश (वर्ष 2004) में दो दशक बाद देखने को मिलेगा।
नोट: उपरोक्त डेटा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक तकनीकी समूह की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के नवीनतम जनसंख्या अनुमानों पर आधारित है।
वृद्धावस्था और घटती जनसंख्या के क्या कारण हैं?
- गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन: गर्भनिरोधक और गर्भपात सेवाओं की बढ़ती उपलब्धता से व्यक्तियों को अपने प्रजनन विकल्पों पर अधिक नियंत्रण रखने की सुविधा मिलती है।
- महिलाओं की आर्थिक भागीदारी: चूँकि महिला कार्यबल में तीव्र वृद्धि देखने को मिल रही है, इसलिये उनमें से कई ने बच्चे पैदा करने में विलंब करने या बच्चे पैदा करने से पूर्ण रूप से परहेज करने का विकल्प चुना है।
- यह बदलाव प्रायः कैरियर की आकांक्षाओं, वित्तीय स्थिरता और व्यक्तिगत लक्ष्यों की खोज से प्रेरित है।
- बाल जीवन दर में सुधार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर मृत्यु) वर्ष 1990 की तुलना में 126 से घटकर वर्ष 2019 में 34 हो गई।
- वर्ष 1990 और 2019 के बीच, भारत ने पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 4.5% वार्षिक कमी दर्ज़ की गई, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1990 में मृत्यु दर 3.4 मिलियन से घटकर वर्ष 2019 में 824,000 हो गई।
- पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आने के कारण लोगों द्वारा अधिक बच्चे पैदा करने की संभावना कम हो गई है।
- शहरीकरण: जैसे-जैसे ज़्यादा लोग शहरी इलाकों की ओर जा रहे हैं, जीवन-यापन की लागत प्रायः बढ़ती जा रही है, जिससे परिवारों के लिये बच्चों का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। शहरी जीवनशैली में परिवार के विस्तार की तुलना में करियर को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- प्रवासन: संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे विदेशी देशों के कारण भारतीयों के प्रवासन से भी भारत की जनसंख्या में गिरावट आती है।
वृद्ध होती जनसंख्या से संबंधित क्या चिंताएँ हैं?
- संसद में न्यूनतम प्रतिनिधित्व: वृद्ध होती जनसंख्या तथा कम जनसंख्या वाले दक्षिणी राज्यों को आशंका है कि उत्तर भारत से पहले जनसांख्यिकीय परिवर्तन करने के कारण उन्हें लोकसभा में कम सीटों के रूप में दंडित किया जा सकता है।
- बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को दक्षिणी राज्यों की तुलना में अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है, जिससे नीतिगत प्राथमिकताएँ प्रभावित होंगी।
- सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में कमी: वृद्ध होती जनसंख्या के कारण प्रायः GDP की वृद्धि दर में गिरावट आती है, जिसका मुख्य कारण श्रम शक्ति में कमी है।
- उदाहरण के लिये अमेरिका में 20 से 64 वर्ष की आयु की जनसंख्या की वृद्धि दर 1.24% प्रति वर्ष (1975-2015) से घटकर केवल 0.29% (2015-2055) रहने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद और समग्र उपभोग की वृद्धि दर में भी गिरावट आएगी।
- उच्च निर्भरता अनुपात: जैसे-जैसे जनसंख्या की आयु बढ़ती है, कार्यशील आयु वाले व्यक्तियों की तुलना में आश्रितों (बुजुर्गों और बच्चों दोनों) का अनुपात अधिक होता है, जिससे कार्यशील आयु वाली जनसंख्या (15 से 64 वर्ष के लोगों) पर बोझ बढ़ता है।
- विश्व बैंक के विकास संकेतकों के अनुसार, भारत का वर्तमान आयु निर्भरता अनुपात, जो वर्ष 2023 में 47% है, में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
- उच्च सार्वजनिक व्यय: जनसंख्या की आयु बढ़ने के साथ स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन और दीर्घकालिक देखभाल के लिये सार्वजनिक कार्यक्रमों की लागत में काफी वृद्धि होगी।
- इन बढ़ती लागतों को प्रबंधित करने के लिये सरकारों को करों में वृद्धि करनी होगी या लाभों में कटौती करनी होगी।
- अंतर-पीढ़ीगत समानता के मुद्दे: युवा आबादी को यह लग सकता है कि पुरानी पीढ़ी का भरण-पोषण करने के लिये उन पर अनुचित कर लगाया जा रहा है, जिसके कारण सामाजिक विभाजन की संभावना है तथा संसाधन आवंटन के संबंध में अन्याय की भावना उत्पन्न हो सकती है।
- संस्थागत सुधार के लिये दबाव: जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, सेवानिवृत्ति की आयु, सामाजिक सुरक्षा लाभ और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में सुधार की मांग बढ़ सकती है।
जनसंख्या विस्फोट से जनसंख्या संकुचन की ओर बदलाव
- लगभग पाँच दशक पहले, भारत के समक्ष मुख्य चिंता तीव्र जनसंख्या वृद्धि थी, जो प्रजनन क्षमता (प्रति महिला जन्म) के उच्च स्तर से प्रेरित थी।
- पिछले कई दशकों में भारत जनसंख्या वृद्धि की गति को रोकने में सफल रहा है, जिसका नेतृत्व कई दक्षिण भारतीय राज्य कर रहे हैं।
- आंध्रप्रदेश ने वर्ष 2004 में प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर हासिल कर लिया, जिससे वह केरल (1988), तमिलनाडु (2000), हिमाचल प्रदेश (2002) और पश्चिम बंगाल (2003) के बाद ऐसा करने वाला 5वाँ भारतीय राज्य बन गया।
- आंध्रप्रदेश में एक कानून था, जिसके तहत दो से अधिक बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने पर रोक थी। बाद में इस कानून को निरस्त कर दिया गया।
- अलग-अलग राज्यों में प्रजनन दर कम होने के बावजूद, भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
वृद्ध होती जनसंख्या के प्रति देश क्या प्रतिक्रिया देते हैं?
- चीन की थ्री चाइल्ड पॉलिसी: वर्ष 2016 में चीन ने अपने नागरिकों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी और वर्ष 2021 में, चीन ने घोषणा की कि परिवारों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति है।
- वर्ष 1980 से 2016 तक चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की, जिससे जनसंख्या वृद्धि धीमी हो गई।
- जापान का पैतृक अवकाश: इसमें बारह माह का पैतृक अवकाश अनिवार्य करना, माता-पिता को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करना, तथा सब्सिडीयुक्त बाल देखभाल में भारी निवेश करना शामिल है।
- विस्तारित सेवानिवृत्ति आयु: फ्राँस और नीदरलैंड जैसे कुछ देशों ने पेंशन प्रणालियों पर दबाव कम करने के लिये सेवानिवृत्ति की आयु या वह आयु जिस पर लोग पेंशन के लिये पात्र होते हैं, बढ़ा दी है ।
- खुली आव्रजन नीति: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य देशों ने अपनी घटती जनसंख्या के कारण श्रम की कमी से निपटने के लिये अधिक खुली आव्रजन नीतियों को अपनाया है।
वृद्धावस्था और घटती जनसंख्या को रोकने के लिये क्या किया जा सकता है?
- प्रजनन-समर्थक नीतियाँ: स्कैंडिनेवियाई देशों ने प्रदर्शित किया है कि पारिवारिक समर्थन, बच्चों की देखभाल, लैंगिक समानता और पैतृक अवकाश नीतियाँ प्रजनन दर को बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं।
- बाल स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिये उचित सरकारी वित्तपोषण लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिये प्रेरित कर सकता है ।
- आंतरिक प्रवास का लाभ उठाना: अधिक जनसंख्या वाले उत्तरी राज्यों और अधिक विकसित दक्षिण भारतीय राज्यों के बीच आंतरिक प्रवास से कार्यशील आयु के व्यक्तियों का आगमन हो सकता है, जिससे वृद्ध होती जनसंख्या के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- प्रवासियों को शरण देने वाले राज्यों को युवा परिवारों के लिये शिक्षा और पालन-पोषण में निवेश करने की आवश्यकता के बिना ही श्रमिकों के तत्काल आगमन से लाभ होगा।
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: साझा पालन-पोषण ज़िम्मेदारियों को बढ़ावा देने वाली लैंगिक समानता संबंधी पहल से प्रजनन दर में वृद्धि हो सकती है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत के कुछ राज्यों में घटती जनसंख्या के कारणों पर चर्चा कीजिये। इस जनसांख्यिकीय परिवर्तन के संभावित सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)मुख्य परीक्षा:Q. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021) Q. ''महिला सशक्तीकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।'' चर्चा कीजिये। (2019) Q. समालोचनात्मक जाँच कीजिये कि क्या बढ़ती जनसंख्या गरीबी का कारण है या गरीबी भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (2015) |