अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक
- 20 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत-नेपाल संयुक्त आयोग (India-Nepal Joint Commission) की छठी बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें नेपाल ने भारत के साथ कालापानी सीमा विवाद के मुद्दे को उठाया। इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने बिजली, तेल, गैस, जल संसाधन, क्षमता निर्माण और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
- भारत ने संयुक्त आयोग में सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा से स्वयं को दूर रखा क्योंकि सीमा विवादों पर चर्चा के लिये दोनों देशों के बीच पहले से ही एक समर्पित विदेश सचिव स्तरीय तंत्र मौजूद है।
प्रमुख बिंदु:
- इस बैठक के दौरान COVID-19 महामारी से निपटने के लिये नेपाल की वैक्सीन ज़रूरत के बारे में चर्चा की गई, क्योंकि नेपाल द्वारा पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोवीशील्ड वैक्सीन को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
- दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने विकास साझेदारी की समीक्षा की और बीरगंज तथा बिराटनगर (नेपाल) में एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) के फायदे पर चर्चा की। इन चौकियों या चेक पोस्ट्स ने दोनों देशों के बीच लोगों के निर्बाध आवागमन और व्यापार संचालन में सहायता की है।
- तीसरे और चौथे ICP के विकास का कार्य क्रमशः नेपालगंज और भैरहवा में शुरू किया जाना है।
- भारत द्वारा अनुदान सहायता के माध्यम से नेपाल में 'पशुपतिनाथ रिवरफ्रंट डेवलपमेंट’ और पाटन दरबार में ‘भंडारखाल गार्डन रेस्टोरेशन’ नामक दो सांस्कृतिक विरासत परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा।
- इस मौके पर नेपाल के विदेश मंत्री ने 'विश्व मामलों की भारतीय परिषद’ (ICWA) को संबोधित किया।
- 'विश्व मामलों की भारतीय परिषद’ की स्थापना वर्ष 1943 में एक थिंक टैंक के रूप में हुई थी। यह विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और विदेशी मामलों के अध्ययन के लिये समर्पित है। भारत का उपराष्ट्रपति ICWA का पदेन अध्यक्ष है।
भारत-नेपाल संबंध:
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और यह सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण भारत की विदेश नीति में विशेष महत्त्व रखता है।
- भारत और नेपाल हिंदू तथा बौद्ध धर्म के संदर्भ में कई समानताएँ साझा करते हैं, जैसे कि भगवान बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी वर्तमान में नेपाल में स्थित है।
- दोनों देश न सिर्फ एक खुली सीमा और लोगों की निर्बाध आवाजाही को साझा करते हैं, बल्कि उनके बीच विवाह और पारिवारिक संबंधों के माध्यम से घनिष्ठ संबंध भी हैं, जिसे 'रोटी-बेटी के रिश्ते' के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि ने भारत और नेपाल के बीच मौजूद विशेष संबंधों की आधारशिला रखी।
- भारत के संदर्भ में भारत-नेपाल संबंधों के महत्त्व को दो अलग-अलग स्तरों पर समझा जा सकता है: a. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये इसका रणनीतिक महत्त्व और b. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका में इसका महत्त्व।
- नेपाल से निकलने वाली नदियाँ भारत की बारहमासी नदी प्रणालियों में महत्त्वपूर्ण योगदान (पारिस्थितिकी और जलविद्युत क्षमता के संदर्भ में) देती हैं।
व्यापार और आर्थिक संबंध:
- भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार होने के साथ विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है, इसके अतिरिक्त यह नेपाल के लगभग एक-तिहाई व्यापार के लिये पारगमन सुविधा प्रदान करता है।
संपर्क:
- नेपाल एक लैंडलॉक देश है और यह भारत से तीन तरफ से घिरा हुआ है, हालाँकि इसकी एक सीमा तिब्बत की ओर खुलती है, परंतु वहाँ वाहनों की पहुँच बहुत ही सीमित है।
- भारत-नेपाल द्वारा दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क को मज़बूत करने, आर्थिक प्रगति और विकास को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न कनेक्टिविटी कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है।
- काठमांडू (नेपाल) और रक्सौल (भारत) को इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक के माध्यम से जोड़ने के लिये दोनों देशों की सरकारों के बीच एक ‘समझौता ज्ञापन’ (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- भारत द्वारा व्यापार और पारगमन व्यवस्था के ढाँचे के तहत अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास पर विचार किया जा रहा है, जो नेपाल को समुद्र तक अतिरिक्त पहुँच प्रदान करेगा इसे भारत द्वारा ‘लिंकिंग सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) विथ सागर (हिंद महासागर)’ [linking Sagarmatha (Mt. Everest) with Sagar (Indian Ocean)] की संज्ञा दी गई है।
रक्षा सहयोग:
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में उपकरण और प्रशिक्षण के प्रावधान के माध्यम से नेपाली सेना के आधुनिकीकरण में सहायता प्रदान करना शामिल है।
- भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट में आंशिक रूप नेपाल के पहाड़ी ज़िलों से भर्ती किये गए युवाओं को शामिल किया जाता है।
- वर्ष 2011 से भारत प्रतिवर्ष नेपाल के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन करता है जिसे सूर्य किरण के नाम से जाना जाता है।
सांकृतिक संबंध:
- कला, संस्कृति, शिक्षा तथा मीडिया के क्षेत्र में भारत और नेपाल के बीच लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिये नेपाल के विभिन्न स्थानीय निकायों के साथ कई पहलों की शुरुआत की गई है।
- भारत ने नेपाल के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान, ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने एवं लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिये तीन ‘सिस्टर सिटी समझौतों’ (Sister City Agreements) पर हस्ताक्षर किये हैं। ये हैं- काठमांडू-वाराणसी, लुम्बिनी-बोधगया और जनकपुर-अयोध्या।
मानवीय सहायता:
- नेपाल एक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में आता है जहाँ भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं की प्रवणता देखी जाती है, साथ ही इन आपदाओं के कारण जीवन और धन दोनों की भारी क्षति होती है, जिससे यह भारत से मानवीय सहायता प्राप्तकर्त्ता/लाभार्थी सबसे बड़ा देश बना हुआ है।
बहुपक्षीय साझेदारी:
- भारत और नेपाल कई बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं, जैसे- BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (BIMSTEC), गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) आदि।
विवाद और चुनौतियाँ:
- चीन का हस्तक्षेप:
- एक Landlocked देश होने के नाते नेपाल वर्षों तक भारतीय आयात पर निर्भर रहा और भारत ने नेपाल के मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- हालाँकि हाल के वर्षों में नेपाल भारत के प्रभाव से दूर हुआ है तथा चीन ने धीरे-धीरे निवेश, सहायता व ऋण के माध्यम से इस रिक्त स्थान को भरने का प्रयास किया है।
- चीन, नेपाल को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक प्रमुख भागीदार मानता है और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये अपनी व्यापक योजनाओं के तहत नेपाल के बुनियादी ढाँचे में निवेश करना चाहता है।
- नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग में हो रही वृद्धि भारत तथा चीन के बीच नेपाल की एक बफर राज्य की भूमिका को कमज़ोर कर सकता है।
- वहीं दूसरी ओर चीन नेपाल में रह रहे तिब्बतियों में चीन विरोधी विचारधारा को पनपने से बचना चाहता है।
- सीमा विवाद:
- यह मुद्दा नवंबर 2019 में उस समय भड़क उठा जब नेपाल द्वारा अपने देश का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया, जिसमें उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा बताया गया। इस मानचित्र में सुस्ता (पश्चिम चंपारण ज़िला, बिहार) क्षेत्र को भी देखा जा सकता है।
आगे की राह:
- भारत को 'सीमा-पार जल विवाद के मामले में अंतर्राष्ट्रीय कानून' के तहत नेपाल के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिये कूटनीतिक रूप से बातचीत करनी चाहिये। इस संदर्भ में भारत और बांग्लादेश के बीच हुए सीमा विवाद समाधान को एक मॉडल के रूप में लिया जा सकता है।
- भारत को नागरिक संपर्क, राजनयिक और राजनीतिक संबंधों के माध्यम से नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिये।
- किसी छोटे मतभेद को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिये बल्कि दोनों देशों को शांति से ऐसे मुद्दों के समाधान हेतु मिलकर कार्य करना चाहिये।