भारत-मालदीव संबंध | 12 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:मालदीव की भौगोलिक अवस्थिति, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मेन्स के लिये:भारत और मालदीव के प्रगाढ़ होते संबंध |
चर्चा में क्यों?
9 नवंबर, 2020 को भारत के विदेश सचिव ने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की और भारत की सहायता से वहाँ शुरू हो रही बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में हुई प्रगति की गति पर चर्चा की।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय विदेश सचिव की दो दिवसीय माले (मालदीव की राजधानी) यात्रा 'भारत से मालदीव की इस वर्ष की पहली उच्च स्तरीय द्विपक्षीय यात्रा है।
बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में भागीदारी:
- गौरतलब है कि इस अवसर पर दिसंबर 2018 और जून 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री और मालदीव के राष्ट्रपति के बीच आयोजित उच्च स्तरीय बातचीत के दौरान लिये गए निर्णयों के कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई।
- भारतीय विदेश सचिव ने भारत की तरफ से ‘लाइन्स ऑफ क्रेडिट’ के तहत मालदीव में आठ बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर हुई प्रगति पर विस्तार से जानकारी दी।
- उम्मीद जताई गई है कि इनमें से पाँच बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ अगले दो महीनों में शुरू हो जाएंगी।
- इस यात्रा के दौरान भारतीय विदेश सचिव ने मालदीव के विदेश मंत्री के साथ ग्रेटर माले की कनेक्टिविटी परियोजना (Greater Male Connectivity Project) के वित्तपोषण हेतु मालदीव को $100 मिलियन का अनुदान देने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- ध्यातव्य है कि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) मालदीव में सबसे बड़ी नागरिक बुनियादी ढाँचा परियोजना होगी, जिसके माध्यम से मालदीव की राजधानी माले (Malé) को पड़ोस के तीन द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) और थिलाफूसी (Thilafushi) से जोड़ा जाएगा।
- मालदीव के अड्डू शहर (Addu City) में एक ड्रग-डिटॉक्स सेंटर (Drug-Detox Centre) की स्थापना और हनीमाधू (Hanimaadhoo) में कृषि अनुसंधान केंद्र (Agricultural Research Centre) को अपग्रेड करने को लेकर भी दोनों देशों के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- COVID-19 के दौरान मालदीव को भारत की मदद:
- मालदीव के राष्ट्रपति ने COVID-19 महामारी से निपटने में भारत से प्राप्त समर्थन के लिये आभार व्यक्त किया विशेष रूप से $250 मिलियन की वित्तीय सहायता जो सितंबर, 2020 में बजट समर्थन के रूप में प्रदान की गई थी।
- भारतीय विदेश सचिव ने वर्ष 2021-22 के लिये 76वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के अध्यक्ष पद के लिये मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की उम्मीदवारी का समर्थन करने के भारत के निर्णय से अवगत कराया।
- मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद के साथ अपनी बैठक के दौरान भारतीय विदेश सचिव ने भारत-मालदीव के द्विपक्षीय मज़बूत संबंधों को चर्चा की। मालदीव के स्पीकर ने भारत की संसद द्वारा ‘पीपुल्स मजलिस’ (People’s Majlis) को प्रदान की जा रही क्षमता निर्माण सहायता के बारे में अवगत कराया।
- रक्षा क्षेत्र में सहयोग: भारतीय विदेश सचिव ने मालदीव के रक्षा मंत्री से मिलकर उन्हें संयुक्त ईईजेड निगरानी (Joint EEZ Surveillance), संयुक्त सैन्य अभ्यास और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) सहित द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की स्थिति के बारे में जानकारी दी।
- दोनों पक्षों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में अपने साझा हितों पर प्रकाश डाला।
- विदेश सचिव ने क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये मालदीव के साथ मिलकर कार्य करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- पर्यटन क्षेत्र: मार्च 2019 में हस्ताक्षरित वीज़ा मुक्त समझौते और अगस्त, 2020 में स्थापित द्विपक्षीय ‘एयर ट्रैवल बबल’ (Air Travel Bubble) के कामकाज पर भी दोनों देशों ने संतोष व्यक्त किया। जो अब 13 साप्ताहिक उड़ानों के माध्यम से पाँच भारतीय शहरों को माले से जोड़ता है।
- भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में अक्तूबर, 2020 के बाद से वृद्धि देखी गई है।
आगे की राह:
- ध्यातव्य है कि मालदीव, भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को दी गई आर्थिक सहायता का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, जब वैश्विक स्तर पर महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया था तो भारत ने मई माह में 580 टन खाद्य पदार्थ समेत मालदीव को आवश्यक खाद्य और निर्माण सामग्री की आपूर्ति की थी। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में और मज़बूती आई थी।
- ध्यातव्य है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान भारत-मालदीव संबंधों में कुछ गिरावट दर्ज की गई थी और मालदीव चीन के काफी करीब जाता दिखाई दे रहा था, हालाँकि मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का कार्यकाल शुरू होने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में सुधार आया है।
- मालदीव रणनीतिक रूप से भारत के नज़दीक और हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर स्थित है। मालदीव में चीन जैसी किसी प्रतिस्पर्द्धी शक्ति की मौजूदगी भारत के सुरक्षा हितों के संदर्भ में उचित नहीं है, इसलिये ऐसे निर्णय काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
- चीन वैश्विक व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान के माध्यम से मालदीव जैसे देशों में तेज़ी से अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। ऐसे में मालदीव के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) में निवेश करके मालदीव में चीन के वर्चस्व को कम करने में मदद मिल सकती है।