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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-जापान सुरक्षा वार्ता

  • 03 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

भारत तथा जापान के रक्षा मंत्रियों ने टोक्यो में भारत-जापान सुरक्षा वार्ता (India-Japan Defence dialogue) में भाग लिया। बैठक के दौरान परस्‍पर सरोकार के अनेक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग को सशक्‍त करना तथा क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा कायम करने की दिशा में नई पहलें शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक में हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के बारे में विस्‍तार से चर्चा की गई। भारत की ओर से आसियान देशों को केंद्र में रखते हुए एक नियम आधारित व्‍यवस्‍था, समावेशी विकास और सबके लिये सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया। क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्‍थायित्‍व के संदर्भ में भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के महत्त्व पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा दोनों मंत्रियों ने उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्‍य के बारे में विस्तृत चर्चा की।
  • उन्‍होंने जापानी कंपनियों और अन्‍य हितधारकों को लखनऊ में आयोजित होने वाले द्विवार्षिक डेफ-एक्‍सपो (Def-Expo) 2020 में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया।
  • बैठक में इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और अधिक सहयोग किया जाना चाहिये।

भारत-जापान संबंधों में इस बैठक का महत्त्व

  • वर्तमान में चीन जो सैन्य शक्ति तथा क्षेत्रीय उत्कृष्टता प्रदर्शित कर रहा है उसको काउंटर करने के लिये भारत और जापान के बीच आपसी सहयोग ज़रूरी है और यह अच्छी बात है कि दोनों देश आपस में सहयोग की भावना से आगे बढ़ रहे है।
  • सामरिक स्तर पर गहन बातचीत के साथ-साथ रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग भी दुनिया में द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख और निर्णायक कारक है। इस संदर्भ में इन दो एशियाई ताकतों के बीच सामरिक रिश्ते बेहतर करने में सामुद्रिक क्षेत्र महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • दुनिया में इन दोनों देशों के इस क्षेत्र में सहयोग करने की सबसे ज़्यादा संभावना है। संबंधों में इस तरह का तालमेल हासिल करने के बाद दोनों देश अब सैन्य सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
  • दोनों देश गहरे सामुद्रिक हित, सैन्य उपकरण तथा तकनीक के क्षेत्र में भावी सहयोग को लेकर विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।\
  • इस संदर्भ में जापान के समुद्री आत्म रक्षा बल (JMSDF) और भारतीय नौसेना (IN) के बीच द्विपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य भी समझ में आता है।
  • भारत, अमेरिका और जापान के बीच मालाबार में वर्ष 2015 से आयोजित संयुक्त नौसैनिक अभ्यास भारत-प्रशांत क्षेत्र में वर्तमान सुरक्षा माहौल को लेकर भारत के बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • भारत-जापान प्रशांत क्षेत्र के दो प्रमुख सामुद्रिक देश होने के कारण सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग का यह स्वाभाविक क्षेत्र है।
  • दोनों ही देश हिंद महासागर एवं प्रशांत महासागर के कुछ इलाकों और विवादित पूर्वी वियतनाम सागर में व्यापारिक और नौसैनिक जहाजों की आवाज़ाही को लेकर आँकड़ों को आपस में साझा करने के समर्थक रहे हैं।

निष्कर्ष : जापान आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग के मामले में भारत का सबसे भरोसेमंद साझीदार रहा है। इन दिनों जिस प्रकार की वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति है, उसमें दोनों देशों का साथ होना बहुत ज़रूरी है। खासकर एशिया पैसिफिक क्षेत्र में ताकतवर बने रहने के लिये भी दोनों देशों की साझेदारी महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: PIB

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