अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-इज़रायल संबंध
- 08 Jun 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:इज़रायल की अवस्थिति मेन्स के लिये:भारत और इज़रायल संबंध, संबंधित मुद्दे और आगे की राह |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इज़रायल के उप-प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री ने भारत का दौरा किया और इस दौरान आयोजित द्विपक्षीय बैठक में रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ करने पर सहमति व्यक्त की।
यात्रा के प्रमुख बिंदु:
- संयुक्त घोषणा:
- दोनों मंत्रियों ने इज़रायल-भारत संबंधों के 30 साल पूरे होने पर एक संयुक्त घोषणापत्र पेश किया।
- यह घोषणापत्र रक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिये दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
- रक्षा सहयोग पर भारत-इज़रायल विज़न:
- दोनों पक्षों ने भारत-इज़रायल रक्षा सहयोग, वास्तुकला के मौजूदा ढाँचे को और मज़बूत करने के लिये रक्षा सहयोग पर भारत-इज़रायल विज़न को अपनाया।
- आशय पत्र का आदान-प्रदान:
- भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर एक आशय पत्र का आदान-प्रदान किया गया।
- द्विपक्षीय सहयोग भारत के मेक इन इंडिया विज़न के अनुरूप होगा।
- सैन्य गतिविधियाँ:
- दोनों देशों ने मौजूदा सैन्य गतिविधियों की समीक्षा की, जिनमें कोविड-19 महामारी के चुनौतियों के बावजूद वृद्धि हुई।
- उन्होंने रक्षा सह-उत्पादन में भविष्य की प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की।
- पारस्परिक सुरक्षा चुनौतियों की स्वीकृति:
- दोनों मंत्रियों ने कई सामरिक और रक्षा मुद्दों पर आपसी सुरक्षा चुनौतियों एवं उनके अभिसरण को स्वीकार किया।
- उन्होंने सभी मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिये मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
भारत-इज़रायल संबंध:
- राजनयिक गठबंधन:
- हालाँकि भारत ने वर्ष 1950 में इज़रायल को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध 29 जनवरी, 1992 को स्थापित हुए। दिसंबर 2020 तक भारत संयुक्त राष्ट्र के 164 सदस्य देशों में से एक था, जिसके इज़रायल के साथ राजनयिक संबंध थे।
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- वर्ष 1992 में द्विपक्षीय व्यापार 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2020- फरवरी 2021 की अवधि के दौरान 4.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) हो गया, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में था।
- हीरे का व्यापार द्विपक्षीय व्यापार का लगभग 50% है।
- भारत एशिया में इज़रायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
- इजरायल की कंपनियों ने भारत में ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, रियल एस्टेट, जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है और भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र या उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
- भारत एक मुक्त व्यापार समझौता के समापन के लिये इज़रायल के साथ भी बातचीत कर रहा है।
- वर्ष 1992 में द्विपक्षीय व्यापार 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2020- फरवरी 2021 की अवधि के दौरान 4.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) हो गया, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में था।
- रक्षा:
- भारत, इज़रायल से सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है, जो बदले में रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्त्ता है।
- भारतीय सशस्त्र बलों ने पिछले कुछ वर्षों में इज़रायली हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला को अपने बेड़े में शामिल किया है, जिसमें फाल्कन ‘AWACS’ (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स) और हेरॉन, सर्चर-II व हारोप ड्रोन, बराक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम एवं स्पाइडर क्विक-रिएक्शन एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
- इस अधिग्रहण में कई इज़रायली मिसाइलें और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री भी शामिल है, जिसमें पायथन तथा डर्बी हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर क्रिस्टल मेज़ (Crystal Maze) एवं स्पाइस-2000 बम (Spice-2000 Bombs) शामिल हैं।
- भारत और इज़रायल के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) की 15वीं बैठक में सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने के लिये एक व्यापक 10 वर्षीय रोडमैप तैयार करने हेतु टास्क फोर्स बनाने पर सहमति व्यक्त की गई।
- कृषि में सहयोग:
- मई 2021 में कृषि विकास में सहयोग के लिये "तीन वर्ष के कार्य समझौते" पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- कार्यक्रम का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, सीओई की मूल्य शृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों व सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
- विज्ञान प्रौद्योगिकी:
- हाल ही में भारत और इज़रायल के विशेषज्ञों ने अपनी 8वीं शासी निकाय की बैठक में भारत-इज़रायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (I4F) के दायरे को व्यापक बनाने पर विचार-विमर्श किया।
- उन्होंने 5.5 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की 3 संयुक्त रिसर्च एंड डेवलपमेंट परियोजनाओं को मंज़ूरी दी और एक व्यापक भारत-इज़रायल सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उपायों का सुझाव दिया गया।
- I4F 'प्रमुख क्षे त्रो' में चुनौतियों का समाधान करने के लिये भारत और इज़रायल की कंपनियों के बीच संयुक्त औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने, सुविधा प्रदान करने एवं समर्थन करने हेतु दोनों देशों के बीच एक सहयोग है
- अन्य:
- इज़रायल, भारत के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में भी शामिल हो रहा है, जो दोनों देशों के ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा में भागीदारी के उद्देश्यों के साथ बहुत अच्छी तरह से संरेखित है।
आगे की राह
- मुख्य रूप से साझा रणनीतिक हितों और सुरक्षा खतरों के चलते दोनों देशों के बीच संबंधों में वर्ष 1992 से मज़बूती देखी गई।
- भारतीय लोग इज़रायल के प्रति सहानुभूति रखते हैं और सरकार अपने राष्ट्रीय हित के आधार पर अपनी पश्चिम एशिया नीति को संतुलित एवं पुनर्गठित कर रही है।
- भारत और इज़रायल को अपने धार्मिक चरमपंथी पड़ोसियों की भेद्यता को दूर करने तथा जलवायु परिवर्तन, जल की कमी, जनसंख्या विस्फोट एवं भोजन की कमी जैसे वैश्विक मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
- अधिक आक्रामक और सक्रिय मध्य-पूर्वी नीति समय की मांग है ताकि भारत अब्राहम एकॉर्ड द्वारा धीरे-धीरे लाए जा रहे भू-राजनीतिक पुनर्गठन का अधिकतम लाभ उठा सके।