अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत विश्व की 40वीं सबसे बड़ी प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था
- 28 Sep 2017
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संदर्भ
हाल ही में विश्व आर्थिक फोरम द्वारा जारी किये गए ‘वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक’ (global competitiveness index) में भारत को 40वीं सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था’ (competitive economy) की श्रेणी में रखा गया है। विदित हो कि स्विट्ज़रलैंड को इस रिपोर्ट में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- 137 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में स्विट्ज़रलैंड के बाद क्रमशः अमेरिका और सिंगापुर को दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है।
- वस्तुतः प्रतिस्पर्द्धा के अनेक मानकों में भारत के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है। इन मानकों में अवसंरचना (जिसमें भारत को 66वाँ स्थान प्राप्त है), उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण (75वाँ स्थान) और तकनीकी योग्यता (107वाँ स्थान) आदि शामिल हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे सूचकांकों में भी भारत के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है, जिनमें मुख्यतः प्रति उपभोक्ता इंटरनेट बैंडविड्थ, मोबाइल फोन, ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन और स्कूलों में इंटरनेट की शिक्षा आदि शामिल हैं।
- विश्व आर्थिक फोरम का मानना है कि भारत के निजी क्षेत्रों में आज भी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जोकि यहाँ व्यवसाय करने में आने वाली समस्या का सबसे बड़ा कारण है।
- भारत के लिये सबसे चिंताजनक पहलू इसकी ‘अभिनव क्षमता’ और ‘तकनीकी तत्परता’ के मध्य किसी प्रकार का संबंध न होना है। जैसे ही इस अंतराल में वृद्धि होगी, भारत विशाल अर्थव्यवस्था में अपनी पूर्ण तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं हो पाएगा।
- ब्रिक्स देशों में चीन और रूस को भारत की तुलना में उच्च स्थान प्राप्त हुआ है। ध्यातव्य है कि इन दोनों ही देशों को 38वाँ स्थान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील को क्रमशः 61वाँ और 80वाँ स्थान प्राप्त है।
- दक्षिण एशिया में भारत को उच्चतम स्थान प्राप्त हुआ है, जिसके बाद क्रमशः भूटान (85वाँ), श्री लंका (85वाँ), नेपाल (88वाँ), बांग्लादेश (99वाँ) और पाकिस्तान (115वाँ) का स्थान आता है।
- विश्व आर्थिक फोरम के मुताबिक, सूचना और संचार तकनीकी अवसंरचना में सुधार इस क्षेत्र के लिये सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस सूचकांक के प्रथम 10 देशों में शामिल अन्य देश क्रमशः नीदरलैंड (चौथा स्थान), जर्मनी (पाँचवा स्थान), हांगकांग, स्वीडन, ब्रिटेन, जापान और फिनलैंड आदि हैं।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक को राष्ट्र स्तरीय आँकड़ों के आधार पर तैयार किया जाता है। यह प्रतिस्पर्द्धा की 12 श्रेणियों को कवर करता है।
- भारत के समक्ष दूसरी सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय पहुँच हैं, जिसके बाद क्रमशः कर की दरों, अवसंरचना की अपर्याप्त आपूर्ति, देश के श्रम बल में अनैतिकता का वातावरण और अपर्याप्त शिक्षित कार्य आदि प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
आर्थिक प्रतिस्पर्धा क्या है?
- विश्व आर्थिक फोरम ने आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा को संगठनों, नीतियों और ऐसे कारकों के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया है, जो किसी देश की उत्पादकता के स्तर का निर्धारण करते हैं।
- संस्थान, अवसंरचना, व्यापक आर्थिक परिवेश, स्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण, वस्तु बाज़ार की गुणवत्ता, श्रम बाज़ार की कुशलता, वित्तीय बाज़ार का विकास, तकनीकी तत्परता, बाज़ार का आकार, व्यावसायिक विशेषज्ञता और नवाचार आदि आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक के 12 मानक हैं।
विश्व आर्थिक फोरम
- विश्व आर्थिक फोरम सार्वजनिक-निजी सहयोग के लिये स्थापित किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- इस फोरम में वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योगों हेतु एजेंडा तैयार करने के लिये महत्त्वपूर्ण राजनीतिक, व्यावसायिक और अन्य व्यक्ति शामिल होते हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1971 में एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन के रूप में की गई थी।
- इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। यह एक स्वतंत्र व निष्पक्ष संगठन है। इसके कार्यों में नैतिकता और सत्यनिष्ठा परिलक्षित होती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
- भारत विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- हाल ही में इसकी जी.डी.पी वृद्धि दर कम होकर 5.7% पर पहुँच गई है, परन्तु फिर भी भारत किसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था (चीन को छोड़कर) की तुलना में तेज़ी से उभर रहा है।
- वर्ष 2020 तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
- भारत में विश्व की 18% जनसंख्या रहती है। अनुमान है कि यह वर्ष 2024 तक चीन को पछाड़कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।
- भारत में विश्व की सबसे अधिक युवा आबादी रहती है, परन्तु यह इस युवा क्षमता का भलीभाँति लाभ नहीं उठा पाया है।
- आज भी 30% से अधिक भारतीय लोग रोज़गार, शिक्षा अथवा प्रशिक्षण (not in employment, education or training- NEETs) में संलग्न नहीं है।
निष्कर्ष
आज देश चौथी औद्योगिक क्रांति (Fourth Industrial Revolution) के लिये तैयार हो रहे हैं और एक साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक तंत्र को मज़बूत कर रहे हैं। अतः निश्चित ही वे निकट भविष्य में ऐसी प्रतिस्पर्द्धी दौड़ के विजेता होंगे।