इस्पात उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क | 24 Jun 2020
प्रीलिम्स के लियेडंपिंग और एंटी-डंपिंग शुल्क का अर्थ मेन्स के लियेभारत के इस निर्णय के निहितार्थ, घरेलू उद्योगों पर डंपिंग का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने चीन, वियतनाम और कोरिया से कुछ प्रकार के विशिष्ट इस्पात उत्पादों के आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क (Anti-Dumping Duty) लगाने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- आयात पर लागू किये जाने वाला यह शुल्क 13.07 डॉलर प्रति टन से लेकर 173.1 डॉलर प्रति टन हो सकता है।
- इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार, चीन, वियतमान और कोरिया पर अधिरोपित किया गया एंटी-डंपिंग शुल्क पाँच वर्ष की अवधि के लिये प्रभावी होगा।
कारण
- ध्यातव्य है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की जाँच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) ने अपनी जाँच में यह निष्कर्ष निकाला कि उक्त देशों (चीन, वियतनाम और कोरिया) द्वारा भारत में अपने उत्पादों का निर्यात सामान्य मूल्य से भी से कम मूल्य पर किया गया, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा।
व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR)
- भारत सरकार ने वर्ष 2018 में ‘डंपिंग रोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय’ (Directorate General of Anti-Dumping and Allied Duties-DGAD) के स्थान पर ‘व्यापार उपाय महानिदेशालय’ (DGTR) का सृजन किया।
- DGTR का सृजन देश में एक व्यापक एवं त्वरित व्यापार सुरक्षा व्यवस्था के निर्माण के उद्देश्य से किया गया था।
निहितार्थ
- सरकार के इस कदम का उद्देश्य चीन, वियतनाम और कोरिया जैसे देशों से आने वाले सस्ते आयात से घरेलू इस्पात उद्योग और निर्माताओं की रक्षा करना है।
- आधिकारिक सूचना के अनुसार, सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना और विदेशी उत्पादकों तथा निर्यातकों के समक्ष घरेलू उत्पादकों को एक समान अवसर प्रदान करना है।
- ध्यातव्य है कि भारत सरकार द्वारा यह एंटी-डंपिंग शुल्क ऐसे समय में अधिरोपित किया गया है, जब भारत-चीन के संबंधों में तनाव काफी अधिक बढ़ गया है, भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद खास तौर पर भारत में चीन विरोधी स्वर तेज़ हो रहे हैं, ऐसे में भारत के इस निर्णय को चीन के लिये एक संकेत के रूप में भी देखा जा सकता है।
डंपिंग और एंटी-डंपिंग शुल्क का अर्थ?
- प्रायः डंपिंग शब्द का प्रयोग सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून के संदर्भ में ही किया जाता है, जहाँ डंपिंग का अभिप्राय किसी देश के एक निर्माता द्वारा किसी उत्पाद को या तो इसकी घरेलू कीमत से नीचे या इसकी उत्पादन लागत से कम कीमत पर किसी दूसरे देश में निर्यात करने करने से होता है।
- उल्लेखनीय है कि डंपिंग, आयात करने वाले देश में उस वस्तु की कीमत को प्रभावित करने के साथ-साथ वहाँ के घरेलू उद्योग के लाभ को कम करती हैं।
- वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुसार, एक देश को अपने घरेलू निर्माताओं की रक्षा करने और उन्हें एक समान अवसर प्रदान करने के लिये इस प्रकार की डंपिंग पर शुल्क लगाने की अनुमति है।
- हालाँकि यह शुल्क किसी अर्द्ध-न्यायिक निकाय जैसे- भारत में व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) द्वारा गहन जाँच के बाद ही अधिरोपित किया जा सकता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO-World Trade Organisation) की स्वीकृति से, जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड General Agreement on Tariff & Trade-GATT) का अनुच्छेद VI देशों को डंपिंग के खिलाफ कार्रवाई करने का विकल्प चुनने की अनुमति देता है।
- इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब कोई देश अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करने और उनके नुकसान को कम करने के लिये निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ उत्पाद के मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा दे तो इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी-डंपिंग शुल्क कहा जाता है।