भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के डिजिटल कर की जाँच
- 04 Jun 2020
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प्रीलिम्स के लियेयूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव, डिजिटल कर मेन्स के लियेडिजिटल कर से संबंधित निर्णय का प्रभाव, भारत-अमेरिका संबंधों पर अमेरिकी जाँच के प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी वाणिज्य मामलों की एजेंसी ‘यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव’ (United States Trade Representative-USTR) नेटफ्लिक्स (Netflix), उबर (Uber), लिंक्डइन (LinkedIn) और स्पॉटिफाई (Spotify) जैसी अमेरिकी डिजिटल सेवा कंपनियों के राजस्व पर भारत सहित 10 देशों द्वारा अपनाए गए या विचाराधीन करों की जाँच शुरू करने पर विचार कर रही है।
प्रमुख बिंदु
- अमेरिकी एजेंसी के अनुसार, बीते दो वर्षों में विभिन्न सरकारों ने उस प्रकार के राजस्वों पर कर अधिरोपित किया है अथवा करने पर विचार कर रही हैं, जिसे कंपनियों द्वारा उस देश की सीमा में मौजूदा उपयोगकर्त्ताओं को कुछ डिजिटल सेवाएँ प्रदान करके अथवा उन्हें लक्षित करके उत्पन्न किया गया है।
- इन्हें डिजिटल कर के रूप में लागू किया जा रहा है। जिनके कारण कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
- उल्लेखनीय है कि बीते दिनों भारत सरकार ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल, 2020 से देश में प्रदान की जाने वाली डिजिटल सेवाओं के लिये सभी विदेशी बिलों पर 2 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।
- यह कर ई-कॉमर्स सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों पर भी देय होगा। साथ ही यह कर उन कंपनियों पर भी लागू होगा जो ऑनलाइन विज्ञापन के माध्यम से भारतीय ग्राहकों को लक्षित करती हैं। यह कर केवल उन गैर-निवासी कंपनियों पर लागू होता है, जिनकी वार्षिक आय 2, 67,000 डॉलर से अधिक है।
भारत का पक्ष
- उम्मीद है कि जल्द ही भारत इस संबंध में USTR को अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएगा। भारत सरकार द्वारा यह तर्क दिया जा सकता है कि भारत सरकार का यह निर्णय वर्ष 1995 के ‘सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौते’ (General Agreement on Trade in Services-GATS) के अनुरूप है।
- साथ ही इस प्रकार के कर के अधिरोपण का निर्णय विश्व की सभी कंपनियों पर लागू होगा, न कि केवल अमेरिकी कंपनियों पर।
इस निर्णय के निहितार्थ
- अमेरिका इस तथ्य को लेकर चिंतित है कि उसके कुछ व्यापारिक भागीदार अमेरिकी कंपनियों को अनुचित रूप से लक्षित करने के लिये विशेष रूप से योजनाएँ डिज़ाइन कर रहे हैं।
- भारतीय परिदृश्य में यह निर्णय संभावित रूप से भारत और अमेरिका के मध्य आगामी समय में होने वाले एक द्विपक्षीय व्यापार सौदे के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी वाणिज्य मामलों की एजेंसी का यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) की असमर्थता की पृष्ठभूमि में अमेरिकी प्रशासन के एकपक्षीय रवैये की शुरुआत का संकेत देता है।
संबंधित अमेरिकी कानून
- अमेरिका के व्यापार अधिनियम, 1974 (Trade Act of 1974) की धारा 301 यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव (USTR) को किसी भी अन्य देश द्वारा की गई ऐसी कार्रवाई की जाँच करने का अधिकार देता है जो अनुचित अथवा भेदभावपूर्ण है और जिससे अमेरिकी व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव
(United States Trade Representative-USTR)
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका की एक एजेंसी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1962 में अमेरिका के एक विशेष व्यापार प्रतिनिधि के रूप में हुई थी।
- यह एजेंसी संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये व्यापार नीति विकसित करने और इस संबंध में अमेरिका के राष्ट्रपति से सिफारिश करने के लिये उत्तरदायी है तथा इसके द्वारा ही द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर व्यापार वार्ता आयोजित की जाती है ।
निष्कर्ष
- विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी भविष्य में इस प्रकार की जाँच और अधिक बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय संगठनों को लगभग निरर्थक बनाने के पश्चात् एकपक्षीय मार्ग अपनाने की अमेरिकी रणनीति का एक हिस्सा बन गया है।
- वैश्विक व्यापार में इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं के बढ़ते महत्त्व को देखते हुए, यह जाँच अमेरिका द्वारा इस तरह की कार्रवाई के लिये मंच निर्धारित कर सकती है।