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भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट

  • 13 Mar 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

तेलंगाना के पेद्दापल्ली ज़िले के रामागुंडम में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( National Thermal Power Corporation Limited- NTPC) द्वारा भारत का सबसे बड़ा (उत्पादन क्षमता के मामले में) फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट ( Solar Power Plant) विकसित किया जा रहा है।

  • यह परियोजना वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy ) क्षमता के 175 गीगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है जिसमें 100 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु:

फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट: 

  • यह जल निकायों की सतह पर फोटोवोल्टिक पैनलों (Photovoltaic Panels) की तैनाती को संदर्भित करता है, जो भारत में प्रयोग होने वाली भूमि आधारित सौर ऊर्जा उत्पादन क्षेत्रों का एक व्यवहार्य विकल्प है। 
    • दक्षिण भारत में बड़ी संख्या में जलाशय मौजूद हैं जो फ्लोटिंग सोलर विधि द्वारा अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु अत्यधिक अनुकूल हैं। 
  • भविष्य की परियोजनाएँ:
    • दक्षिण भारत के रामागुंडम में स्थित 447 MW क्षमता का थर्मल प्लांट NTPC द्वारा विकसित किये जा रहे नवीकरणीय (सौर) ऊर्जा संयंत्रों में से एक होगा जो अपनी पूरी क्षमता के साथ मार्च 2023 तक चालू हो जाएगा।
    • अगले तीन महीनों में संचालित होने वाले अक्षय ऊर्जा संयंत्रों में विशाखापत्तनम के पास स्थित 25MW क्षमता का सिम्हाद्री थर्मल पावर प्लांट (Simhadri Thermal Power Plant) तथा केरल के कायमकुलम में 92 MW क्षमता का फ्लोटिंग सोलर प्लांट शामिल हैं।

लाभ:

  • भूमि अधिग्रहण का मुद्दा: अक्षय ऊर्जा संयंत्र मालिकों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियांँ- भूमि अधिग्रहण, ग्रिड कनेक्टिविटी, संयंत्रों का रखरखाव और ऑफ-टेक (Off-Take) हैं। 
    • फ्लोटिंग सोलर प्लांट उच्च जनसंख्या घनत्व और उपलब्ध भूमि के उपयोग के मध्य उत्पन्न प्रतिस्पर्द्धा को संतुलित करते हैं। भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों हेतु किया जा सकता है, जैसे खेती या निर्माण कार्य।  
  • कूलिंग इफेक्ट: जल स्रोत एक कूलिंग इफेक्ट (Cooling Effect) उत्पन्न करते हैं, जिससे सौर फोटोवोल्टिक पैनलों की कार्य क्षमता में 5-10% की वृद्धि होती है।
    • समय के साथ यह महत्त्वपूर्ण लागत, बचत में तब्दील हो रही है।
  • अन्य लाभ: ग्रिड इंटरकनेक्शन की लागत में कमी, जल के वाष्पीकरण में कमी, जल की गुणवत्ता में सुधार तथा एल्गी प्रस्फुटन (Algal Blooming) में कमी। 

चुनौतियाँ:

  • अधिक लागत: सामान्यतः ज़मीन पर स्थापित सोलर प्लांट्स की तुलना में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की अभियांत्रिकी और निर्माण लागत अधिक होती है। 
  • सुरक्षा से संबंधित मुद्दे: चूंँकि फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट में पानी और बिजली दोनों शामिल होते हैं, इसलिये केबल प्रबंधन और इन्सुलेशन परीक्षण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है, खासकर जब केबल पानी के संपर्क में हों।
  • क्षति और संक्षारण: फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के कई हिस्सों में निरंतर घर्षण और यांत्रिक टूट-फूट होती रहती है। 
    • प्लांट्स के निर्माण में सही तकनीकी के अभाव के कारण वे विफल साबित हो सकते हैं। 
    • तटीय वातावरण या क्षेत्रों में स्थापित होने से नमी के कारण इनके गिरने और संक्षारण का खतरा बना रहता है।
  • वाटर-बेड टोपोग्राफी की समझ: फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स को विकसित एवं स्थापित करने हेतु वाटर-बेड टोपोग्राफी (Water-bed Topography) और इसकी उपयुक्तता को समझने की आवश्यकता होती है।

अन्य सौर ऊर्जा पहलें:

  • नेशनल सोलर मिशन: सौर ऊर्जा ने भारत के जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan on Climate Change) में शामिल राष्ट्रीय सौर मिशन के साथ अपना केंद्रीय स्थान बनाया है।
  • INDCs लक्ष्य: इसके तहत वर्ष 2022 तक ग्रिड से जुड़े 100 GW सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
    • यह राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Intended Nationally Determined Contributions- INDCs) के अंतर्गत गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी इलेक्ट्रिक पावर की स्थापित क्षमता प्राप्त करने तथा वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के स्तर पर अपने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% तक कम करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • ISA का शुभारंभ: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांँस के राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के 21वें सत्र (COP-21) में  फ्रांँस के पेरिस में की गई थी।
  • सरकारी योजनाएँ: इसमें सौर पार्क योजना, नहर बैंक और नहर शीर्ष योजना, बंडलिंग योजना, ग्रिड कनेक्टेड सौर रूफटॉप योजना आदि शामिल है।
  • ‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड’ परियोजना: भारत के पास एक महत्तवाकांक्षी क्रॉस-बॉर्डर पावर ग्रिड  'वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड', योजना है जो बिजली की मांग को पूरा करने के लिये क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को स्थानांतरित करना चाहता है।

राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (NTPC):

  • एनटीपीसी लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (Public Sector Undertaking- PSU) है।
  • यह भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा संचयन समूह है। इसकी स्थापना वर्ष 1975 में ऊर्जा विकास में तेज़ी लाने के उद्देश्य से की गई थी।
  • इसका कार्य नवाचार और तीव्रता के साथ किफायती, कुशल एवं पर्यावरण अनुकूल तरीके से विश्वसनीय ऊर्जा का उत्पादन करना है।
  • मई 2010 में इसे महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त हुआ।
  • यह नई दिल्ली में अवस्थित है 

स्रोत: द हिंदू

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