भारत-भूटान संबंध | 22 Oct 2024
प्रिलिम्स:हरित ऊर्जा, हाइड्रोजन ईंधन वाली बस, भारत में बौद्ध स्थलों की तीर्थयात्रा, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), BBIN (बाँग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल) मोटर वाहन समझौता मेन्स:भारत-भूटान संबंध, महत्त्व, चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भूटानी प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे की भारत यात्रा ने भूटान और भारत के बीच मज़बूत राजनयिक संबंधों को उज़ागर किया।
- उनकी यात्रा के दौरान विभिन्न महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम और बैठकों का आयोजन हुआ, जिसमें स्थिरता, हरित ऊर्जा और द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
नोट:
- भूटान विश्व का पहला कार्बन निगेटिव देश है।
- भूटान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और उत्पादकता की तुलना में सकल राष्ट्रीय खुशहाली (GNH) को बढ़ावा देने के लिये जाना जाता है।
द्विपक्षीय बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?
- भारत की हरित हाइड्रोजन प्रगति का प्रदर्शन: भारत ने हाइड्रोजन-ईंधन वाली बस पेश करके हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी में अपनी प्रगति का प्रदर्शन किया, जिससे सतत् गतिशीलता में देश की प्रगति पर प्रकाश डाला गया।
- भारत ने सतत् ऊर्जा समाधान के प्रति देश की प्रतिबद्धता पर बल दिया तथा स्वच्छ एवं हरित भविष्य को बढ़ावा देने के लिये भूटान के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की।
- ऊर्जा सहयोग के अवसर: द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में, बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
- भूटान के प्रतिनिधिमंडल ने पर्यावरणीय स्थिरता के लिये भूटान की भावना के अनुरूप हरित हाइड्रोजन गतिशीलता को अपनाने और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को अपनाने में गहरी रुचि व्यक्त की।
- महत्त्व: भारत का लक्ष्य हरित हाइड्रोजन उत्पादन में स्वयं को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है, भूटान के नेतृत्व के समक्ष अपनी प्रगति को प्रस्तुत करना और पारस्परिक लाभों पर प्रकाश डालना शामिल है।
- दोनों देशों के बीच सतत् विकास के लिये साझा दृष्टिकोण अक्षय ऊर्जा में सहयोग के लिये एक मज़बूत आधार स्थापित करता है, तथा भूटान को भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
भारत-भूटान संबंध कैसे रहे हैं?
- राजनयिक पृष्ठभूमि: भारत और भूटान के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1968 में आरंभ हुए, जो वर्ष 1949 की मैत्री और सहयोग संधि पर आधारित थे, जिसे समकालीन आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिये वर्ष 2007 में अद्यतन किया गया था।
- सांस्कृतिक संबंध: वर्ष 2003 में स्थापित भारत-भूटान फाउंडेशन शैक्षिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
- भारत में बौद्ध स्थलों की तीर्थयात्रा एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक संबंध बनी हुई है।
- मान्यता और पुरस्कार: भूटान के 114वें राष्ट्रीय दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री को भारत-भूटान संबंधों में उनके योगदान के लिये भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो से सम्मानित किया गया।
- विकास साझेदारी: भारत भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक सतत् साझेदार रहा है तथा वर्ष 1971 में प्रथम पंचवर्षीय योजना के बाद से ही इसकी पंचवर्षीय योजनाओं को समर्थन दे रहा है।
- भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2018-2023) के लिये भारत ने विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिये 5,000 करोड़ रुपए प्रदान किये।
- जलविद्युत सहयोग: जलविद्युत सहयोग भारत-भूटान संबंधों की आधारशिला है। भारत ने भूटान में चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं (HEP) के निर्माण में सहायता की है।
- भूटान को भारत के डे अहेड मार्केट (DAM) में 64 मेगावाट बसोचू एचईपी की विद्युत बेचने की अनुमति दी गई है।
- नये एवं उभरते क्षेत्रों में सहयोग:
- अंतरिक्ष सहयोग: नवंबर 2022 में भारत-भूटान सैट के प्रक्षेपण के साथ यह एक महत्त्वपूर्ण नया क्षेत्र होगा।
- यह उपग्रह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में सहायता करता है तथा इसमें शौकिया रेडियो समुदाय के लिये डिजिटल रिपीटर भी शामिल है।
- फिन-टेक: रुपे कार्ड (2019, 2020 चरण) और भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) ऐप (2021) का लॉन्च भी इसमें शामिल हैं, ताकि कैशलेस भुगतान और सीमा पार अंतर-संचालन को सक्षम किया जा सके।
- अंतरिक्ष सहयोग: नवंबर 2022 में भारत-भूटान सैट के प्रक्षेपण के साथ यह एक महत्त्वपूर्ण नया क्षेत्र होगा।
- वाणिज्य और व्यापार: भारत भूटान का शीर्ष व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2014-15 में 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 1,615 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
- वर्ष 2007 की भारत-भूटान मैत्री संधि और वर्ष 2016 के व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौते के तहत एक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित की गई है, जिसमें भारत के माध्यम से भूटान के सामानों के लिये शुल्क मुक्त पारगमन की व्यवस्था है।
- भूटान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भारतीय निवेश का भाग 50% है, जो बैंकिंग, विनिर्माण, आतिथ्य और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है।
- गेलेफू में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के लिये भूटान की योजना, क्षेत्रीय विकास और कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- दिसंबर 2023 में भूटान के राजा द्वारा आरंभ की गई इस परियोजना का उद्देश्य 1,000 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी (GMC) की स्थापना करना है।
- वित्तीय सहायता: नवंबर 2022 में भारतीय रुपए की तरलता को प्रबंधित करने और विदेशी मुद्रा दबाव को कम करने के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) मुद्रा स्वैप व्यवस्था के तहत 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की व्यवस्था की गई थी।
- स्वास्थ्य सेवा सहयोग: भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान कोविशील्ड वैक्सीन की खुराक और चिकित्सा संबंधी सुविधा प्रदान करके भूटान का समर्थन किया।
- भारत ने अस्पताल बनाने और चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध कराने में भी सहायता की है।
- भूटान में भारतीय प्रवासी: लगभग 50,000 भारतीय भूटान में कार्य करते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- वर्ष 2023 में भारतीय शिक्षाविद संजीव मेहता को भूटान में शिक्षा में उनके योगदान के लिये प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया।
भारत के लिये भूटान का महत्त्व
- रणनीतिक स्थान: भारत और चीन के बीच भूटान का स्थान भारत की सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह एक बफर स्टेट के रूप में कार्य करता है, जो भारतीय क्षेत्र में चीन की सीधी पहुँच को रोकता है।
- साझा विरासत: भारत और भूटान के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं, मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के माध्यम से। यह सांस्कृतिक संबंध आपसी समझ और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाता है।
- जैवविविधता संरक्षण: भूटान की समृद्ध जैवविविधता पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो संरक्षण प्रयासों में भारत की भागीदारी क्षेत्रीय पर्यावरणीय लक्ष्यों का समर्थन करती है।
भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- चीन के साथ सीमा विवाद: विवादित क्षेत्रों में चीन के बुनियादी ढाँचे के विकास, विशेष रूप से भारत के पास रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण डोकलाम पठार के आसपास, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की बढ़ती उपस्थिति के कारण चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- इसके साथ ही चीन और भूटान में सीमा मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिये तीन-चरणीय रोडमैप के माध्यम से कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं।
- भारत के लिये भू-राजनीतिक निहितार्थ: विवादित डोकलाम क्षेत्र और PLA की गतिविधियाँ भारत के लिये बहुत चिंता का विषय हैं, क्योंकि नियंत्रण में कोई भी परिवर्तन सिलीगुड़ी कॉरिडोर (भारत का अपने पूर्वोत्तर राज्यों से संकीर्ण संपर्क) को खतरे में डाल सकता है।
- भारत अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिये भूटान के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखना चाहता है तथा सिलीगुड़ी कॉरिडोर को सुरक्षा जोखिम में डालने वाले किसी भी बदलाव को रोकना चाहता है।
- जलविद्युत परियोजना पर चिंताएँ: भूटान का जलविद्युत उद्योग उसकी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तथा भारत इसकी प्रगति में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
- भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की भारत के लिये अनुकूल स्थितियों को लेकर चिंताएँ उभरी हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र में भारत की भागीदारी के विरुद्ध सार्वजनिक असंतोष उत्पन्न हो रहा है।
- BBIN पहल: मूल BBIN (बाँग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल) मोटर वाहन समझौते पर जून 2015 में सभी चार देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे। हालाँकि स्थिरता और पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित भूटान में आपत्तियों के बाद भूटानी संसद ने योजना का समर्थन नहीं करने का विकल्प चुना।
- परिणामस्वरूप अन्य तीन देश वर्ष 2017 में वाहन आवागमन पहल (BIN-MVA) के साथ आगे बढ़े।
आगे की राह
- आर्थिक चिंताओं का समाधान: यह सुनिश्चित करना कि व्यापार समझौते और जलविद्युत परियोजनाएँ समतापूर्ण हों, निर्भरता और कथित असंतुलन के बारे में भूटान की चिंताओं का समाधान करना।
- भूटान के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निवेश को प्रोत्साहित करना, जलविद्युत पर निर्भरता कम करना तथा सतत् विकास को बढ़ावा देना।
- वैश्विक परिवर्तनों के साथ अनुकूलन: क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर नज़र रखना और उसके साथ अनुकूलन करना, यह सुनिश्चित करना कि भूटान अपने विदेश नीति निर्णयों में भारत द्वारा समर्थित और सुरक्षित महसूस करे।
- अन्य देशों को शामिल करते हुए बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करना, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
- पर्यटन को बढ़ावा देना: संयुक्त पर्यटन पहल विकसित करना जिससे भारतीय पर्यटकों को भूटान आगमन के लिये प्रोत्साहित किया जा सके, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिले तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़े।
- दोनों देशों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक उत्सवों और कार्यक्रमों का आयोजन करना तथा पारस्परिक प्रशंसा और समझ को प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष
भविष्य की ओर देखते हुए, भारत-भूटान संबंधों में विकास और सहयोग की महत्त्वपूर्ण संभावनाएँ हैं। समान आर्थिक प्रथाओं को प्राथमिकता देकर और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए दोनों देश अपने संबंधों को गहरा कर सकते हैं। सीमा विवादों और हस्तक्षेप की धारणाओं से संबंधित चिंताओं को संबोधित करना विश्वास बनाए रखने के लिये आवश्यक होगा। दोनों देशों के लिये स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने में आपसी सम्मान और साझा हित महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सQ. दुर्गम क्षेत्रों और कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों और रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |