लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

भारत पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2022

  • 09 Jul 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जानवरों से संबंधित रोग।

मेन्स के लिये:

मानव पर पशु स्वास्थ्य के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने नई दिल्ली में भारत के प्रथम पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया।

  • इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (ICFA) और एग्रीकल्चर टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित यह भारत का प्रथम पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन है।
  • पशु स्वास्थ्य, वन हेल्थ का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि लोगों का स्वास्थ्य जानवरों के स्वास्थ्य और हमारे साझा पर्यावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है।

पशु स्वास्थ्य का महत्त्व:

  • पशु स्वास्थ्य की अवधारणा में पशु रोगों के साथ-साथ पशु कल्याण, मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण तथा खाद्य सुरक्षा के बीच परस्पर क्रिया शामिल है।
  • कई ज्ञात मानव संक्रामक रोग जानवरों और जलवायु परिवर्तन में शुरू होते हैं, उदाहरण के लिये इनका उनके संचरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
  • हालाँकि सभी पशु रोग मनुष्यों के लिये सीधे तौर पर हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन उनके महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि कुछ लोगों का व्यवसाय और जीवन पशु स्वास्थ्य पर निर्भर होता है।
    • 5 में से 1 व्यक्ति अपनी आय और आजीविका के लिये पशुओं के उत्पादन पर निर्भर करता है।
    • फीड की मांग के लिये वर्ष 2050 तक वैश्विक खाद्य उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी।
    • वैश्विक पशु उत्पादन नुकसान का 20% पशु रोगों से जुड़ा हुआ है।
  • विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH, जिसे पहले OIE के नाम से जाना जाता था) ने 117 बीमारियों को सूचीबद्ध किया है।
    • WOAH एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो पशु रोगों पर पारदर्शी रूप से सूचना प्रसारित करने, विश्व स्तर पर पशु स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने तथा इस प्रकार एक सुरक्षित, स्वस्थ एवं अधिक टिकाऊ दुनिया के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। भारत इसका सदस्य है।

जानवरों से संबंधित रोग:

  • मंकीपॉक्स:
    • यह बंदरों के बीच एक वायरल ज़ूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होती है तथा कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में संचारित हो जाती है।
    • मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली (Poxviridae Family) में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस (Orthopoxvirus Genus) का सदस्य है।
  • गांँठदार त्वचा रोग (LSD):
    • यह पॉक्सवायरस लम्पी स्किन डिज़ीज़ वायरस (LSDV) के कारण होने वाली उल्लेखनीय बीमारी है।
    • यह मवेशियों और भैंसों को प्रभावित करती है, पशु स्वास्थ्य को नुकसान पहुंँचाती है और महत्त्वपूर्ण उत्पादन एवं व्यापार नुकसान का कारण बनती है।
  • अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF):
    • यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है जो सभी उम्र के घरेलू और जंगली सूअर दोनों को प्रभावित करती है। ASF मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा नहीं है और इसे सूअरों से मनुष्यों तक नहीं पहुंँचाया जा सकता है।
  • खुरपका-मुँंहपका रोग:
    • यह एक अत्यधिक संचारी रोग है जो कटे-फटे पैरों वाले जानवरों को प्रभावित करता है। यह बुखार, पुटिकाओं के गठन और मुंँह में छाले, थन, निप्पल और पैर की उंँगलियों के बीच एवं खुरों के ऊपर की त्वचा को प्रभावित करता है।
    • भारत में इस रोग की व्यापकता देखी जाती है और यह पशुधन उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
    • यह रोग सीधे संपर्क या परोक्ष रूप से संक्रमित जल , खाद, घास एवं चरागाहों के माध्यम से फैलता है। इसकी ज़ानकारी पशुपालकों ने भी दी है। यह बरामद जानवरों, खेत के चूहों, साही और पक्षियों के माध्यम से फैलने के लिये जाना जाता है।
  • रेबीज़:
    • यह कुत्तों, लोमड़ियों, भेड़ियों, लकड़बग्घा और कहीं-कहीं यह चमगादड़ों (जो खून चूसते है) का रोग है।
    • रेबीज़ वाले जानवर द्वारा काटे जाने पर यह रोग अन्य जानवरों या लोगों में फैल जाता है। रेबीज पैदा करने वाले रोगाणु बीमार (पागल) जानवर की लार में रहते हैं। यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन काटने वाला हर कुत्ता रेबीज़ से संक्रमित नहीं होता है।
  • एवियन इन्फ्लुएंज़ा (बर्ड फ्लू):
    • एवियन इन्फ्लुएंज़ा या बर्ड फ्लू पक्षियों की एक बीमारी है। इसके अलावा कुछ प्रकार के बर्ड फ्लू मनुष्यों को हो सकते हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।

पशु रोगों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार की पहल:

  • पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण:
    • पशुधन और पशुओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये पशुपालन तथा डेयरी विभाग ने एक केंद्र प्रायोजित योजना "पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण" (LH एंड DC) लागू की है, जिसमें राज्यों को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करके आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पशु रोगों के नियंत्रण व रोकथाम की परिकल्पना की गई है।
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP):
    • यह फुट एंड माउथ डिज़ीज़ और ब्रुसेलोसिस के नियंत्रण के लिये सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। FMD के लिये 100% मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, और सुअर आबादी तथा रुसेलोसिस के लिये 4-8 माह के 100% गोजातीय मादा बछड़ों का टीकाकरण।
    • इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक फुट एंड माउथ डिज़ीज़ (FMD) का टीकाकरण और वर्ष 2030 तक इसके पूर्ण उन्मूलन के साथ नियंत्रित करना है।

स्रोत : पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2