अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और WFP करेंगे अफगानिस्तान को गेहूँ की आपूर्ति
- 14 Feb 2022
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प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम, मानवीय सहायता, खाद्य एवं कृषि संगठन, नोबेल पुरस्कार, खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट। मेन्स के लिये:समावेशी विकास, भारत और उसके पड़ोसी, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, खाद्य सुरक्षा, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारत और WFP, WFP और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के साथ 50,000 मीट्रिक टन गेहूँ के वितरण हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसे मानवीय सहायता के हिस्से के रूप में अफगानिस्तान भेजा जाएगा।
- इससे पूर्व अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता आयोजित की गई थी। बैठक में अफगान लोगों को ‘तत्काल मानवीय सहायता’ प्रदान करने का आह्वान किया गया और अफगान परिदृश्य पर क्षेत्रीय सहयोगियों के बीच घनिष्ठ सहयोग एवं परामर्श का आग्रह किया गया।
- वर्ष 2020 में भारत ने कोविड-19 चुनौती से निपटने के लिये 20 टन से अधिक दवाएँ, अन्य उपकरण और 75,000 टन गेहूँ अफगानिस्तान भेजा था।
गेहूँ की आपूर्ति से संबंधित समझौता:
गेहूँ को पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान ले जाया जाएगा और फरवरी 2022 में कंधार में WFP अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।
- ईरान ने चाबहार बंदरगाह और फिर ज़ाहेदान रेलवे लाइन के माध्यम से अफगानिस्तान की सीमा पर कुछ गेहूँ उपलब्ध कराने की पेशकश की है।
समझौते को लागू करने से संबंधित प्रमुख चिंताएँ:
- पाकिस्तान से गुज़रने वाला मार्ग, जिसे वर्ष 2019 में भारत से होने वाले सभी निर्यात के लिये बंद कर दिया गया तथा केवल एक अपवाद के रूप में खोला गया है, द्वारा वर्तमान खेप के परिवहन में कई हफ्तों का समय लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
- क्योंकि गेहूंँ को लोड करने और फिर से उसे रीलोड करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढांँचे और श्रम को व्यवस्थित करना होगा।
- अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन और अनुच्छेद 370 के विरोध में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों को बंद कर दिया था।
- इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने भारत को अफगानिस्तान में निर्यात करने के लिये वाघा सीमा से गुज़रने की अनुमति दी थी, जिसके माध्यम से महामारी के दौरान भारत से दवाओं की आपूर्ति करना एक अपवाद के रूप देखा जाता है।
- भारत ने फ्लाइट द्वारा अफगानिस्तान के अस्पतालों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कई खेप भी भेजी हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम:
- परिचय:
- ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (World Food Programme-WFP) एक अग्रणी मानवीय संगठन है जो आपातस्थिति में लोगों के जीवन को बचाने हेतु खाद्य सहायता प्रदान करता है, यह पोषण स्तर में सुधार करने हेतु समुदायों के साथ मिलकर कार्य करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organization-FAO) तथा ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (United Nations General Assembly-UNGA) द्वारा अपने मुख्यालय रोम, इटली में की गई थी।
- यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (UNSDG) का सदस्य भी है, जो सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) को पूरा करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों का एक गठबंधन है।
- डब्ल्यूएफपी 88 देशों को सहायता प्रदान करता है और वर्ष 2019 में इसने 97 मिलियन लोगों की सहायता की जो कि वर्ष 2012 के बाद से सबसे बड़ी संख्या है।
- WFP को भूख से निपटने, संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति के लिये बेहतर स्थिति एवं युद्ध और संघर्ष की स्थिति में भुखमरी संबंधी समस्याओं से निपटने के प्रयासों के लिये वर्ष 2020 में शांति के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- उद्देश्य:
- डब्ल्यूएफपी आपातकालीन सहायता के साथ-साथ पुनर्वास एवं विकास सहायता पर भी केंद्रित है।
- इसका दो-तिहाई काम संघर्ष-प्रभावित देशों पर केंद्रित है, जहाँ अन्य जगहों की तुलना में लोगों के तीन गुना कुपोषित होने की संभावना होती है।
- यह रोम स्थित दो अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है:
- खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO): यह संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को नीतियों के निर्माण एवं धारणीय कृषि का समर्थन करने हेतु योजना बनाने एवं कानूनों में परिवर्तन करने में मदद करता है।
- कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (International Fund for Agricultural Development- IFAD): इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब जनता हेतु बनाई गई परियोजनाओं का वित्तपोषण किया जाता है।
- भोजन तक पहुँच प्रदान करके भुखमरी को समाप्त करना।
- पोषण में सुधार एवं खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना।
- सतत् विकास लक्ष्य के कार्यान्वयन का समर्थन एवं इसके परिणामों को साझा करना।
- डब्ल्यूएफपी आपातकालीन सहायता के साथ-साथ पुनर्वास एवं विकास सहायता पर भी केंद्रित है।
डब्ल्यूएफपी एवं भारत:
- पृष्ठभूमि: डब्ल्यूएफपी वर्ष 1963 से भारत में कार्य कर रहा है जो देश में अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बाद से खाद्य वितरण से लेकर तकनीकी सहायता तक के क्षेत्र में कार्य करता है।
- भारत में डब्ल्यूएफपी मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता करता है:
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में परिवर्तन: डब्ल्यूएफपी भारत की स्वयं की सब्सिडी वाली खाद्य वितरण प्रणाली की दक्षता, जवाबदेही एवं पारदर्शिता को बेहतर बनाने हेतु कार्यरत है, जिससे देश भर में लगभग 800 मिलियन गरीब लोगों को गेहूँ, चावल, चीनी एवं मिट्टी तेल की आपूर्ति होती है।
- सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का सुदृढ़ीकरण: डब्ल्यूएफपी सरकारी स्कूलों के लिये मध्याह्न भोजन कार्यक्रम (Midday Meal School Programme) के तहत भोजन के पोषक गुणों में वृद्धि करने हेतु भोजन में बहु-सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के सुदृढ़ीकरण हेतु कार्य करता है।
- पायलट प्रोजेक्ट में देखा गया है कि लौह तत्त्वों की अधिक मात्रा युक्त चावल जिसे एक ही ज़िले में वितरित किया गया था, के परिणामस्वरूप एनीमिया में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- इसने केरल में शिशुओं एवं छोटे बच्चों को दिये जाने वाले भोजन में पोषक तत्त्वों का सुदृढ़ीकरण कर कुपोषण से निपटने में मदद की है।
- खाद्य असुरक्षा का प्रतिचित्रण/मैपिंग एवं निगरानी: डब्ल्यूएफपी ने भारत के सबसे अधिक खाद्य असुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करने के लिये सुभेद्यता विश्लेषण और मैपिंग सॉफ्टवेयर्स का उपयोग किया है, जो नीति एवं राहत कार्य को उचित रूप से लक्षित करता है।
- WFP राज्य सरकार की खाद्य सुरक्षा विश्लेषण इकाई की स्थापना में गरीबी एवं मानव विकास निगरानी एजेंसी का भी समर्थन कर रहा है, जो भुखमरी को पूर्णतः समाप्त करने के लक्ष्य की दिशा में कार्यरत है।
- भारत में डब्ल्यूएफपी मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता करता है:
- भारत के लिये रणनीतिक योजना: भारत के लिये रणनीतिक योजना (2019 - 2023) के अनुसार, WFP का लक्ष्य है:
- भारत के सबसे कमज़ोर लोगों को वर्ष भर उनकी न्यूनतम भोजन और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाना।
- वर्ष 2025 तक कुपोषण के उच्च ज़ोखिम वाले लोगों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और किशोरियों के पोषण में सुधार करना।
स्रोत: द हिंदू