अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-वियतनाम संबंध
- 18 Dec 2021
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:व्यापक रणनीतिक साझेदारी, ‘लुक ईस्ट’ नीति, इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI), आसियान, वियतनाम का मेकांग डेल्टा क्षेत्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, मेकांग गंगा सहयोग, एशिया यूरोप बैठक (ASEM)। मेन्स के लिये:भारत और वियतनाम संबंधों का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत और वियतनाम ने डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सहयोग करने हेतु एक ‘आशय पत्र’ (LOI) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मज़बूत करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- जब दो देश एक दूसरे के साथ व्यापार सौदा करते हैं तो ‘आशय पत्र’ दो पक्षों की प्रारंभिक प्रतिबद्धता को संदर्भित करता है। यह संभावित सौदे की मुख्य शर्तों को भी रेखांकित करता है।
- इससे पूर्व वर्ष 2020 में भारत और वियतनाम के रक्षा मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति अभियानों, रक्षा उद्योग क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की थी।
प्रमुख बिंदु
- आशय पत्र: यह डाक और दूरसंचार के क्षेत्र में सहयोग हेतु दोनों देशों के संयुक्त उद्देश्यों को मान्यता प्रदान करता है।
- यह सूचना और अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है और मानव संसाधन विकास में परियोजनाओं को लागू करने में सहयोग करता है।
- साथ ही यह दोनों देशों के नामित डाक ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
- यह नई प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों, जैसे कि 'इन्फोडेमिक’ को लेकर द्विपक्षीय सहयोग को आकार देगा।
- चर्चा का दायरा: वियतनाम ने ‘आत्मनिर्भर भारत" के तहत स्वदेशी 5G नेटवर्क विकसित करने हेतु भारत के प्रयासों की सराहना की है।
- वियतनाम के सूचना एवं संचार मंत्री ने सुझाव दिया कि भारत को 5G के क्षेत्र में सहयोग करना चाहिये ताकि विश्व स्तर के स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किये गए 5G दूरसंचार उपकरण का उत्पादन किया जा सके।
भारत-वियतनाम संबंध
- पृष्ठभूमि
- यद्यपि रक्षा सहयोग, वर्ष 2016 में दोनों देशों द्वारा शुरू की गई ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के सबसे महत्त्वपूर्ण स्तंभों में से एक रहा है, किंतु दोनों देशों के बीच संबंध काफी पुराने माने जाते हैं।
- वर्ष 1956 में भारत ने हनोई (वियतनाम की राजधानी) में अपने महावाणिज्य दूतावास की स्थापना की थी।
- वियतनाम ने वर्ष 1972 में भारत में अपने राजनयिक मिशन की स्थापना की।
- भारत, वियतनाम में अमेरिकी हस्तक्षेप के विरूद्ध आवाज़ उठाने में वियतनाम के साथ खड़ा हुआ था, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों पर काफी प्रभाव पड़ा था।
- वर्ष 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों में दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के साथ आर्थिक एकीकरण तथा राजनीतिक सहयोग के विशिष्ट उद्देश्य से भारत द्वारा अपनी ‘लुक ईस्ट नीति’ की शुरुआत के चलते भारत एवं वियतनाम के संबंध और भी मज़बूत हुए।
- सहयोग के क्षेत्र
- सामरिक भागीदारी
- भारत और वियतनाम ने भारत की ‘हिंद-प्रशांत सागरीय पहल’ (Indo-Pacific Oceans Initiative- IPOI) और हिंद-प्रशांत के संदर्भ में आसियान के दृष्टिकोण (‘क्षेत्र में सभी के लिये साझा सुरक्षा, समृद्धि और प्रगति’) को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की।
- आर्थिक सहयोग:
- ‘आसियान-भारत मुक्त व्यापार संधि’ पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद से भारत और वियतनाम के बीच आर्थिक क्षेत्र के सहयोग में काफी प्रगति देखने को मिली है।
- भारत को पता है कि वियतनाम दक्षिण-पूर्व एशिया में राजनीतिक स्थिरता और पर्याप्त आर्थिक विकास के साथ एक संभावित क्षेत्रीय शक्ति है।
- भारत द्वारा ‘त्वरित प्रभाव परियोजनाओं’ (Quick Impact Projects- QIP) के माध्यम से वियतनाम में विकास और क्षमता सहयोग में निवेश किया जा रहा है, इसके साथ ही वियतनाम के मेकांग डेल्टा क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन, ‘सतत् विकास लक्ष्य’ (SDG), और डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी भारत द्वारा निवेश किया गया है।
- व्यापार सहयोग
- वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान, भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार 11.12 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया।
- इस दौरान वियतनाम को भारतीय निर्यात 4.99 बिलियन अमरीकी डॉलर और वियतनाम से भारतीय आयात 6.12 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।
- वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान, भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार 11.12 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया।
- रक्षा सहयोग:
- भारत रणनीतिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिये अपने दक्षिण-पूर्व एशियाई भागीदारों की रक्षा क्षमताओं को पर्याप्त रूप से विकसित करने में रुचि रखता है जबकि वियतनाम अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में रुचि रखता है।
- वियतनाम भारत की ध्रुव उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों, सतह से हवा में मार करने वाली आकाश प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइलों में रुचि रखता है।
- इसके अलावा, रक्षा संबंधों में क्षमता निर्माण, सामान्य सुरक्षा चिंताओं से निपटना, कर्मियों का प्रशिक्षण और रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग भी शामिल हैं।
- दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भारत और वियतनाम के बीच मज़बूत रक्षा संबंधों की पुष्टि की, जो कि दोनों देशों की ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (2016) का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।
- इस वर्ष भारत और वियतनाम के बीच "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" के पाँच वर्ष पूरे हो रहे हैं और वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के पचास साल पूरे हो जाएँगे।
- भारतीय नौसेना के जहाज़ INS किल्टन ने मध्य वियतनाम के लोगों को बाढ़ राहत सामग्री पहुँचाने के लिये हो ची मिन्ह सिटी का दौरा किया।
- इसने वियतनाम पीपुल्स नेवी के साथ PASSEX अभ्यास में भी भाग लिया।
- भारत और वियतनाम की संबंधित रणनीतिक गणना में चीन भी बहुत रुचि रखता है।
- दोनों देशों ने चीन के साथ युद्ध लड़े थे और दोनों देशों का इसके साथ सीमा संबंधी विवाद है। चीन आक्रामक तरीके से दोनों देशों के क्षेत्रों में अतिक्रमण कर रहा है।
- इसलिये चीन को उसकी आक्रामक कार्रवाइयों से रोकने के लिये दोनों देशों का करीब आना स्वाभाविक है।
- एकाधिक मंचों पर सहयोग:
- वर्ष 2021 में भारत और वियतनाम दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यों के रूप में एक साथ कार्य कर रहे हैं।
- भारत और वियतनाम दोनों ही पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, मेकांग गंगा सहयोग, एशिया यूरोप बैठक (ASEM) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों में घनिष्ठ सहयोग करते हैं।
- पीपल-टू-पीपल संपर्क:
- वर्ष 2019 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया गया तथा दोनों देशों ने द्विपक्षीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये वीज़ा व्यवस्था को सरल बनाया है।
- भारतीय दूतावास ने वर्ष 2018-19 में महात्मा@150 को मनाने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इनमें जयपुर कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर शामिल हैं, जो भारत सरकार की 'इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी' पहल के तहत वियतनाम के चार प्रांतों में 1000 लोगों को लाभान्वित करते हुए आयोजित किये गए थे।
- सामरिक भागीदारी
आगे की राह:
- वर्ष 2016 में 15 वर्षों में पहली बार, एक भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा वियतनाम का दौरा करते हुए यह संकेत दिया गया कि भारत अब चीन की परिधि क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में संकोच नहीं कर रहा है।
- भारत की विदेश नीति में भारत को एशिया एवं अफ्रीका में शांति, समृद्धि तथा स्थिरता के लिये एक मध्यस्थ की भूमिका निभाने की परिकल्पना की गई है और यह लक्ष्य वियतनाम के साथ संबंधों को गहरा करने से मज़बूत होगा।
- चूँकि भारत तथा वियतनाम भौगोलिक रूप से उभरते हुए इंडो-पैसिफिक निर्माण के केंद्र में स्थित हैं और दोनों ही इस रणनीतिक क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे जो प्रमुख शक्तियों के बीच प्रभाव एवं प्रतिस्पर्द्धा के लिये एक प्रमुख रंगमंच बन रहा है।
- व्यापक भारत-वियतनाम सहयोग ढाँचे के तहत रणनीतिक साझेदारी भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत निर्धारित दृष्टिकोण के निर्माण की दिशा में महत्त्वपूर्ण होगी, जो पारस्परिक रूप से सकारात्मक जुड़ाव का विस्तार करना चाहती है तथा इस क्षेत्र में सभी के लिये समावेशी विकास सुनिश्चित करती है।
- वियतनाम के साथ संबंधों को मज़बूत करने से अंततः ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) पहल को साकार करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ेगा।
- भारत और वियतनाम दोनों ही ब्लू इकोनॉमी और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक-दूसरे को लाभ पहुँचा सकते हैं।