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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ASEM शिखर सम्मेलन : वैश्विक चुनौतियों के लिये वैश्विक भागीदार

  • 22 Oct 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

12वीं ASEM (एशिया-यूरोप मीटिंग) का शिखर सम्मेलन बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में 18-19 अक्तूबर को संपन्न हुआ जिसमें 51 देशों के साथ ही यूरोपीय संघ और एशियाई संस्थान भी शामिल हुए। भारत के उपराष्ट्रपति ने भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया। ‘वैश्विक चुनौतियों के लिये वैश्विक भागीदार’ (Global Parteners for Global Challanges) शीर्षक के तहत नेताओं ने दुनिया के सबसे अधिक दबाव वाले मुद्दों को संबोधित किया।

एशिया-यूरोप बैठक

  • एशिया-यूरोप मीटिंग (ASEM) एशिया और यूरोप के बीच बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक अंतर सरकारी प्रक्रिया है।
  • ASEM की स्थापना 1996 में बैंकाक, थाईलैंड में इसके पहले शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
  • प्रारंभ में इसमें 15 यूरोपीय संघ के सदस्य देश और 7 आसियान सदस्य देशों के साथ चीन, जापान, कोरिया और यूरोपियन कमीशन शामिल था।
  • वर्तमान में इसमें 53 साझेदार हैं: 30 यूरोपीय और 21 एशियाई देशों के अलावा यूरोपीय संघ और आसियान सचिवालय।
  • एएसईएम शिखर सम्मेलन द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।
  • ASEM वैश्विक आबादी का 62%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 57% और विश्व व्यापार के 60% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ASEM आपसी सम्मान और समान साझेदारी की भावना के साथ आम हित के राजनीतिक, आर्थिक, वित्तीय, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक मुद्दों को संबोधित करता है।

यूरोप और एशिया के बीच सतत् कनेक्टिविटी

  • सम्मेलन में यूरोपीय संघ और एशिया के बीच अधिक टिकाऊ कनेक्टिविटी में निवेश के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
  • यूरोपीय संघ ने सितंबर में यूरोप और एशिया को जोड़ने हेतु एक नई रणनीति के तहत यूरोपीय आयोग के गठन के प्रस्ताव को अपनाया है।
  • कनेक्टिविटी दृष्टिकोण के मूल में वित्तीय, पर्यावरण और सामाजिक स्थिरता के साथ, ईयू का उद्देश्य डिजिटल, परिवहन, ऊर्जा और मानव आयामों में टिकाऊ कनेक्टिविटी नेटवर्क को क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करना है साथ ही, द्विपक्षीय साझेदारी को मज़बूत करना है।
  • यूरो-एशियाई कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ-साथ संबंधों में सुधार के उद्देश्य से यूरोपियन कमीशन ने इस सप्ताह ASEM सस्टेनेबल कनेक्टिविटी पोर्टल लॉन्च किया है, जो नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, व्यवसायियों और अन्य हितधारकों के लिये दो महाद्वीपों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों पर आँकड़े जुटाने का काम करता है।

यूरोपीय संघ-एशिया द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाना

  • ASEM शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ ने क्रमशः सिंगापुर और वियतनाम के साथ अपने संबंधों को और अधिक मज़बूत बनाने और उन्हें विस्तार देने के लिये कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किये। इसमें यूरोपीय संघ-सिंगापुर मुक्त व्यापार समझौता प्रमुख है।
  • साझेदारी और सहयोग पर फ्रेमवर्क समझौता तथा ईयू-सिंगापुर निवेश संरक्षण समझौता पर भी हस्ताक्षर किये गए।
  • ये समझौते यूरोपीय संघ और सिंगापुर के बीच व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करते हैं जो यूरोपीय उत्पादकों, किसानों, सेवा प्रदाताओं और निवेश के साथ-साथ राजनीतिक तथा क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत बनाने के लिये नया अवसर प्रदान करता है।
  • यूरोपीय संघ वियतनाम के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन कमीशन ने ईयू-वियतनाम व्यापार और निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर कर उसे अपनाया है।
  • व्यापार समझौता दोनों पक्षों के बीच कारोबार किये जाने वाली वस्तुओं पर लगभग सभी तरह के टैरिफ को खत्म कर देगा।
  • इस समझौते में स्थायी अधिकारों के लिये एक मज़बूत, कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धता भी शामिल है, जिसमें मानवाधिकार, श्रम अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई शामिल है।
  • यूरोपीय संघ और वियतनाम ने वन कानून प्रवर्तन, शासन और व्यापार स्वैच्छिक साझेदारी समझौते पर भी एएसईएम आपसी सम्मान और समान साझेदारी की भावना में जो कि आम हित के राजनीतिक, आर्थिक, वित्तीय, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक मुद्दों को संबोधित करता है, पर हस्ताक्षर किये।

भारत और एएसईएम

  • 2006 में भारत ASEM के विस्तार के दौरान एएसईएम में शामिल हुआ।
  • बीजिंग में 2008 में आयोजित 7वें शिखर सम्मेलन में भारत की पहली शिखर सम्मेलन स्तर की भागीदारी थी।
  • भारत ने 2013 में दिल्ली-एनसीआर में 11वें एएसईएम विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।
  • एएसईएम भारत को समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने हेतु मंच प्रदान करता है।
  • भारत एएसईएम में एक सक्रिय भागीदार है। समूह में आने के बाद से भारत हरित ऊर्जा, फार्मा सेक्टर, आपदा प्रबंधन, टिकाऊ विकास और दो महाद्वीपों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एएसईएम के साथ काम कर रहा है।
  • एशिया-यूरोप फाउंडेशन (ASEF) एएसईएम की स्थायी रूप से स्थापित संस्था है। एएसईएफ द्वारा किये जा रहे सहयोगी पहलों का समर्थन करने के लिये 2007 में भारत ने एएसईएम के सदस्य बनने के बाद नियमित रूप से एएसईएफ में योगदान दिया है।
  • 12वें शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने आतंकवाद के प्रति चिंता बढ़ाने के लिये मंच का उपयोग किया और यूनाइटेड नेशंस कम्प्रीहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (CCIT) को अपनाने की दिशा में काम करने के लिये आग्रह किया।
  • भारत ने जलवायु परिवर्तन पर सहयोग के लिये भी आह्वान किया तथा एशिया और यूरोप सहयोग के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में 'अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन' को पेश किया।

आगे की राह

  • एएसईएम एक अद्वितीय संवाद मंच के रूप में है जो एशिया और यूरोप को जोड़ता है तथा अभी भी इसकी आवश्यकता व उपयोगिता है।
  • एएसईएम की अस्पष्टताओं को हल किया जाना चाहिये और इसकी पहचान को स्पष्ट अंतःक्रियात्मक सहयोग के आदर्श उद्देश्यों के अनुरूप लाने के लिये काम किया जाना चाहिये।
  • एएसईएम को दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखा जाना चाहिये।
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