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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-रूस संबंध

  • 13 Jun 2022
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्रह्मोस मिसाइल, इन्द्र अभ्यास, कामोव-226, एस-400 ट्रायम्फ। 

मेन्स के लिये:

भारत-रूस संबंधों के बदलते रुझान। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत और रूस ने अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मनाई। 

Russia

भारत-रूस संबंधों के विभिन्न पहलू : 

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:  
    • भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं। अक्बतूर 2000 में "भारत-रूस सामरिक साझेदारी  घोषणा" पर हस्ताक्षर करने के बाद से, भारत-रूस संबंधों ने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तथा संस्कृति सहित द्विपक्षीय संबंधों के लगभग सभी क्षेत्रों में सहयोग के बढ़े हुए स्तरों के साथ एक गुणात्मक रूप से नया स्वरूप देखा गया है।  
    • शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया। 
    • हालांँकि, पिछले कुछ वर्षों में खासकर पोस्ट-कोविड परिदृश्य में संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिए कई भू-राजनीतिक मुद्दों का कारण बना दिया है। 
  • राजनीतिक संबंध: 
    • भारत के प्रधानमंत्री और रूसी संघ के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन  भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत वार्ता तंत्र है। 
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2018 में रूसी संघ के सोची शहर में अपना पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया। 
    • वर्ष 2019 में, राष्ट्रपति पुतिन ने PM नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान - “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” प्रदान किया। रूस और भारत के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास और रूसी और भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास में उनके विशिष्ट योगदान के लिये प्रधानमंत्री को यह समान प्रदान किया गया था। 
    • अंतर-सरकारी आयोग की वार्षिक बैठक होती है - पहला व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर, और दूसरा सैन्य-तकनीकी सहयोग (IRIGC-MTC) पर। 
  • व्यापारिक संबंध: 
    • दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का ज़ोर दे रहे हैं। 
    • वित्त वर्ष 2020 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। 
    • 2013 से 2016 तक दोनों देशों के बीच व्यापार प्रतिशत में बड़ी गिरावट आई थी। हालाँकि, यह 2017 से बढ़ा और 2018 और 2019 में भी लगातार वृद्धि देखी गई। 
  • रक्षा और सुरक्षा संबंध: 
    • भारत-रूस सैन्य-तकनीकी सहयोग एक क्रेता-विक्रेता ढांँचे से विकसित हुआ है जिसमें उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन शामिल हैं। 
    • दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास 'इंद्र' आयोजित करते हैं। 
    • भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों में शामिल हैं: 
      • ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल कार्यक्रम 
      • 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट कार्यक्रम 
      • सुखोई एसयू-30एमकेआई कार्यक्रम 
      • इल्यूशिन/एचएएल सामरिक परिवहन विमान 
      • KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर 
      • कुछ युद्धपोत 
    • भारत द्वारा रूस से खरीदे/पट्टे पर लिये गए सैन्य हार्डवेयर में शामिल हैं: 
  • रूस अपने पनडुब्बी कार्यक्रमों में भारतीय नौसेना की सहायता करने में भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है: 
    • भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी, 'फॉक्सट्रॉट क्लास' रूस से ली गई थी। 
    • भारत अपने परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के लिये रूस पर निर्भर है। 
    • भारत द्वारा संचालित एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी मूल रूप से रूस का है। 
    • भारत द्वारा संचालित चौदह पारंपरिक पनडुब्बियों में से नौ रूी की हैं। 

भारत और रूस के बीच संबंधों के अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र: 

  • परमाणु संबंध: 
    • परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में रूस भारत का महत्त्वपूर्ण भागीदार है। यह भारत को एक मतभेद रहित अप्रसार रिकॉर्ड के साथ उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी वाले देश के रूप में मान्यता देता है। 
    • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) भारत में बनाया जा रहा है। 
    • भारत और रूस दोनों बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को स्थापित कर रहे हैं। 
  • अंतरिक्ष अन्वेषण: 
    • दोनों पक्ष बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग करते हैं  जिसमें उपग्रह प्रक्षेपण, ग्लोनास नेविगेशन प्रणाली (GLONASS navigation system), रिमोट सेंसिंग और बाह्य अंतरिक्ष के अन्य सामाजिक अनुप्रयोग शामिल हैं।   
    • 19वें द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियों पर एक समझौता ज्ञापन इसरो और रोस्कोसमोस द्वारा किये गए। 
  • विज्ञान और तकनीक: 
    • IRIGC-TEC के तहत कार्य कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर कार्य समूह, एकीकृत दीर्घकालिक कार्यक्रम (ILTP) और बुनियादी विज्ञान सहयोग कार्यक्रम द्विपक्षीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग हेतु  तीन मुख्य संस्थागत तंत्र हैं, जबकि दोनों देशों की विज्ञान अकादमियांँ अंतर-अकादमी आदान-प्रदान हेतु इसे बढ़ावा देती हैं।  
    • इस क्षेत्र में कई नई पहलों में भारत-रूस ब्रिज़ टू इनोवेशन, टेलीमेडिसिन में सहयोग, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) का निर्माण और विश्वविद्यालयों के रूस इंडिया नेटवर्क (RIN) शामिल हैं। 
  • सांस्कृतिक संबंध: 
    • प्रमुख विश्वविद्यालयों और स्कूलों सहित लगभग 20 रूसी संस्थान में नियमित रूप से लगभग 1500 रूसी छात्रों को हिंदी पढ़ाई जाती हैं  
    • हिंदी के अलावा, रूसी संस्थानों में तमिल, मराठी, गुजराती, बंगाली, उर्दू, संस्कृत और पाली जैसी भाषाओं को पढ़ाया जाता है। 
    • भारतीय नृत्य, संगीत, योग और आयुर्वेद कुछ अन्य रुचियों में से हैं जिनका रूस के लोग रूचि रखते हैं। 

भारत के लिये रूस का महत्त्व: 

  • चीन को संतुलित करना: पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक मोड़ पर ला दिया, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है। 
    • लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की। 
  • आर्थिक जुड़ाव के उभरते नए क्षेत्र: हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है - खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी, जिसमें रोबोटिक्स, नैनोटेक, और बायोटेक। 
    • रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत के पदचिन्हों का विस्तार होना तय है। कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिल सकता है। 
  • आतंकवाद का मुकाबला: भारत और रूस अफगानिस्तान के बीच की खाई को पाटने हेतु कार्य कर रहे हैं और दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय  आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया है। 
  • बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन: इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है। 
  • रूस का सैन्य निर्यात: रूस भारत के लिये सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। यहाँ तक कि पिछले पाँच वर्षों (2011-2015) की तुलना में पिछले पाँच साल की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 50% से अधिक गिर गई। 
    • वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार आयात किये हैं। 

आगे की राह 

  • समय पर रखरखाव सहायता प्रदान करने के लिये रूस: भारतीय सेना के साथ सेवा में रूसी हार्डवेयर की बड़ी सूची के लिये पुर्जों की समय पर आपूर्ति और समर्थन भारत की ओर से एक प्रमुख मुद्दा रहा है। 
    • इसे संबोधित करने के लिये रूस ने वर्ष 2019 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के बाद इसे संबोधित करने के लिये अपनी कंपनियों को भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति देते हुए विधायी परिवर्तन किये हैं। 
    • इस समझौते को समयबद्ध तरीके से लागू करने की ज़रूरत है। 
  • एक दूसरे के महत्त्व को स्वीकार करना: रूस आने वाले दशकों तक भारत के लिये एक प्रमुख रक्षा भागीदार बना रहेगा। 
    • दूसरी ओर, रूस और चीन वर्तमान में एक अर्द्ध-गठबंधन में हैं। रूस बार-बार दोहराता है कि वह खुद को किसी के कनिष्ठ साझेदार के रूप में नहीं देखता है। इसलिये रूस चाहता है कि भारत एक संतुलक की तरह काम करे। 
  • संयुक्त सैन्य उत्पादन: दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि वे तीसरे देशों को रूसी मूल के उपकरणों और सेवाओं के निर्यात के लिए भारत को उत्पादन आधार के रूप में उपयोग करने में कैसे सहयोग कर सकते हैं। 

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस 

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