अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और ओमान
- 31 Jan 2022
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प्रिलिम्स के लिये:खाड़ी सहयोग परिषद, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA), रक्षा अभ्यास, पोर्ट ऑफ डुकम, हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी मेन्स के लिये:द्विपक्षीय समूह और समझौते, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारत-ओमान संबंध, भारत के लिये ओमान का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
ओमान सल्तनत के रक्षा मंत्रालय महासचिव भारत के दौरे पर हैं।
- वह दिल्ली में भारत के रक्षा सचिव के साथ संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (JMCC) की सह-अध्यक्षता करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- अरब सागर के दोनों देश एक-दूसरे से भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के बीच सकारात्मक एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों को दिया जाता है।
- भारत और ओमान के बीच संबंधों के बारे में जानकारी यहाँ के लोगों के मध्य 5000 वर्षों के संपर्क के आधार पर प्राप्त जा सकती है, दोनों देशों के बीच वर्ष 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित किये गए थे और वर्ष 2008 में इस संबंध को रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया था। ओमान, भारत की पश्चिम एशिया नीति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है।
- सल्तनत ऑफ ओमान (ओमान) खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) के लिये एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
- गांधी शांति पुरस्कार 2019 स्वर्गीय एचएम सुल्तान काबूस को भारत और ओमान के बीच संबंधों को मज़बूत करने तथा खाड़ी क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने हेतु किया गया था।
- रक्षा संबंध:
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति:
- JMCC रक्षा के क्षेत्र में भारत और ओमान के बीच जुड़ाव का सर्वोच्च मंच है।
- JMCC की बैठक प्रतिवर्ष आयोजित होने की उम्मीद होती है, लेकिन वर्ष 2018 में ओमान में आयोजित JMCC की 9वीं बैठक के बाद से इसका आयोजन नहीं किया जा सका।
- 10वीं JMCC के आयोजन से जारी रक्षा आदान-प्रदान का व्यापक मूल्यांकन करने तथा आने वाले वर्षों में रक्षा संबंधों को और अधिक मज़बूत करने के लिये एक रोडमैप प्रदान करने की उम्मीद है।
- सैन्य अभ्यास:
- सैन्य अभ्यास: अल नागाह
- वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
- नौसेना अभ्यास: नसीम अल बह्र
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति:
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- ओमान के साथ भारत अपने आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के विस्तार को उच्च प्राथमिकता देता है। संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) तथा संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र भारत और ओमान के बीच आर्थिक सहयोग को मज़बूती प्रदान करते हैं।
- भारत, ओमान के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
- भारत, ओमान के लिये आयात का तीसरा सबसे बड़ा (UAE और चीन के बाद) स्रोत और वर्ष 2019 में इसके गैर-तेल निर्यात के लिये तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार (UAE और सऊदी अरब के बाद) था।
- प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों की ओमान में उपस्थिति है। भारतीय कंपनियों ने ओमान में लोहा और इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा आदि क्षेत्रों में निवेश किया है।
- भारत-ओमान संयुक्त निवेश कोष (OIJIF), भारतीय स्टेट बैंक और ओमान के स्टेट जनरल रिज़र्व फंड (SGRF) के बीच एक संयुक्त उपक्रम है तथा भारत में निवेश करने के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन है, का संचालन किया गया है।
- ओमान में भारतीय समुदाय:
- ओमान में करीब 6.2 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से करीब 4.8 लाख कर्मचारी और पेशेवर हैं। ओमान में 150-200 से अधिक वर्षों से भारतीय परिवार रह रहे हैं।
- यहाँ कई ऐसे भारतीय स्कूल हैं जो लगभग 45,000 भारतीय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सीबीएसई (CBSE) पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
भारत के लिये ओमान का सामरिक महत्त्व:
- परिचय:
- ओमान, खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार है और भारत के रक्षा एवं सामरिक हितों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है।
- ओमान होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर है, जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पाँचवाँ हिस्सा आयात करता है।
- भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी की मज़बूती के लिये रक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। दोनों देशों के बीच रक्षा आदान-प्रदान एक ‘समझौता ज्ञापन’ फ्रेमवर्क द्वारा निर्देशित होते हैं जिसे हाल ही में वर्ष 2021 में नवीनीकृत किया गया था।
- ओमान खाड़ी क्षेत्र का एकमात्र ऐसा देश है, जिसके साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाएँ नियमित रूप से द्विपक्षीय अभ्यास और स्टाफ वार्ता आयोजित करती हैं, जिससे पेशेवर स्तर पर घनिष्ठ सहयोग और विश्वास को बल मिलता है।
- ओमान समुद्री डकैती रोधी अभियानों के लिये अरब सागर में भारतीय नौसेना की तैनाती को महत्त्वपूर्ण परिचालन सहायता भी प्रदान करता है।
- दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय प्रशिक्षण सहयोग भी काफी मज़बूत है, क्योंकि ओमान की सेना नियमित रूप से भारत में पेशेवर और साथ ही उच्च कमान स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है। भारतीय सशस्त्र बल भी ओमान में आयोजित स्टाफ और कमांड कार्यक्रमों में हिस्सा लेती है।
- ओमान ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- भारत ने ओमान को राइफलों की आपूर्ति की है। साथ ही भारत ओमान में एक रक्षा उत्पादन इकाई स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
- ओमान, खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार है और भारत के रक्षा एवं सामरिक हितों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है।
- दुकम बंदरगाह:
- हिंद महासागर क्षेत्र में विस्तार करने हेतु एक रणनीतिक कदम के तौर पर भारत ने सैन्य उपयोग और सैन्य समर्थन के लिये ओमान में दुकम के प्रमुख बंदरगाह तक पहुँच प्राप्त कर ली है। यह खाड़ी क्षेत्र में चीन के प्रभाव और गतिविधियों का मुकाबला करने के लिये भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।
- दुकम बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर स्थित है।
- यह रणनीतिक रूप से ईरान में चाबहार बंदरगाह के निकट स्थित है। मॉरीशस में सेशेल्स और अगालेगा में विकसित किये जा रहे अनुमान द्वीप के साथ दुकम भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप में सही बैठता है।
- दुकम बंदरगाह में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है जहाँ कुछ भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 1.8 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का निवेश किया जा रहा है।
आगे की राह
- भारत के पास अपनी वर्तमान या भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा संसाधन नहीं हैं। तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग ने ओमान जैसे देशों की दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी की आवश्यकता में योगदान दिया है।
- ओमान का दुकम पोर्ट पूर्व में पश्चिम एशिया के साथ जुड़ने वाला अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन के मध्य में स्थित है।
- भारत को दुकम पोर्ट औद्योगिक शहर के उपयोग के लिये ओमान के साथ जुड़ने और पहल करने की आवश्यकता है।