भारत-म्याँमार | 28 Nov 2019
मेन्स के लिये:
भारत-म्याँमार संबंध
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने मानव तस्करी रोकने, पीड़ितों को छुड़ाने और उन्हें स्वदेश भेजने के लिये भारत और म्याँमार के बीच द्विपक्षीय सहयोग समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दे दी है।
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य:
- दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंध को और मज़बूती प्रदान करना एवं मानव तस्करी को रोकने, पीड़ितों को छुड़ाने और उन्हें स्वदेश भेजने के लिये द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना।
- मानव तस्करी के सभी रूपों को प्रतिबंधित करने के लिये सहयोग बढ़ाना और तस्करी के शिकार लोगों को सुरक्षा एवं सहयोग प्रदान करना।
- दोनों देशों में मानव तस्करों और संगठित अपराध सिंडिकेट के खिलाफ त्वरित जाँच और अभियोजन सुनिश्चित करना।
- आप्रवासन एवं सीमा नियंत्रण सहयोग को मजबूत करना और मानव तस्करी रोकने के लिये संबंधित मंत्रालयों तथा संगठनों के साथ रणनीति का क्रियान्वयन।
- मानव तस्करी रोकने के प्रयासों के तहत कार्यसमूह/कार्यबल का गठन करना।
- मानव तस्करों एवं तस्करी के शिकार लोगों के आँकड़े जुटाना और भारत तथा म्यांमार के मध्य समझोते में तय बिंदुओं के तहत सूचना का आदान-प्रदान करना।
- दोनों देशों से जुड़ी एजेंसियों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाना।
- तस्करी के शिकार लोगों के बचाव, उन्हें छुड़ाना और स्वदेश वापस भेजने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया तय करना और उसका पालन करना।
पृष्ठभूमि:
मानव तस्करी की समस्या राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जटिल मुद्दा बन गया है। मानव तस्करी की जटिल प्रकृति की वजह से घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे निपटने के लिये बहुआयामी रणनीति की ज़रूरत है। मानव तस्करी रोकने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भी सख्त ज़रूरत है। भारत और म्याँमार के बीच सीमा नियंत्रण, संचार एजेंसियों और विभिन्न संगठनों के बीच सहयोग मानव तस्करी रोकने और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का एक प्रभावी साधन हो सकता है।
भारत-म्याँमार संबंध
म्याँमार के साथ भारत की 1600 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी साझा ज़मीनी और समुद्री सीमा है। पिछले दशक में हमारा व्यापार दोगुने से भी अधिक बढ़ गया है। हमारे निवेश संबंध भी काफी सुदृढ़ हुए हैं। म्याँमार के साथ भारत के विकास संबंधी सहयोग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। फिलहाल भारत की ओर से दी जाने वाली सहायता राशि 1.73 अरब डॉलर से अधिक है। भारत का पारदर्शी विकास सहयोग म्याँमार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार है जिसका आसियान से जुड़ने के मास्टर प्लान यानी वृहद् योजना के साथ पूरा तालमेल है।