भारत-विश्व
भारत और म्याँमार दे सकते हैं ‘भूमि’ वीज़ा मानदंडों में राहत
- 03 Aug 2018
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संदर्भ
उत्तर-पूर्वी राज्यों और म्याँमार के बीच कनेक्टिविटी को प्रोत्साहन देने के लिये मोरेह (मणिपुर) और तमू (म्याँमार) के माध्यम से भूमि सीमा पार करने के लिये वीज़ा मानदंडों में छूट देने का फैसला किया गया है। उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की म्याँमार यात्रा के दौरान दोनों देशों ने इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
भारत-म्याँमार भूमि वीज़ा की वर्तमान स्थिति
- वर्तमान में म्याँमार की यात्रा करने वाले भारतीयों को परमिट लेने के लिये यांगून में आवेदन करना आवश्यक होता है तथा परमिट मिलने में 20-30 दिन का समय लगता है।
- एक बार परमिट मिलने के बाद यात्री वीज़ा के लिये आवेदन कर सकता है।
- इसके अलावा, भूमि यात्रा के लिये भारतीयों को वीज़ा शुल्क के अलावा, टूर गाइड के लिये भी 40 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है।
- नए मानदंडों के अनुसार, म्याँमार भूमि यात्रा पर परमिट के प्रावधान को खारिज कर देगा, जिससे पर्यटकों और व्यापारी यात्रियों दोनों के लिये भू-मार्ग के माध्यम से आवागमन सरल हो जाएगा।
नए वीज़ा मानदंडों से लाभ
व्यापार को बढ़ावा
- नए वीज़ा मानदंड उत्तर-पूर्व और म्याँमार के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ावा देंगे। वर्तमान समय में मणिपुर के व्यापारियों द्वारा म्याँमार से दालों और येलो कॉर्न (एनिमल फ़ीड) का आयात किया जाता है।
- म्याँमार में भारतीय मिशन द्वारा कुछ समय से मांडले और उत्तर-पूर्वी शहरों के बीच उड़ान सेवाओं की वकालत कि जा रही है।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में दोनों देशों में कोलकाता और यांगून के बीच केवल वाणिज्यिक वायु कनेक्टिविटी है।
चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा
- बेहतर कनेक्टिविटी से म्याँमार के मरीज़ो को मणिपुर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में आने के लिये आकर्षित करने में मदद करेगी।
- राजनीतिक अशांति, वीज़ा प्रतिबंध और सुरक्षा चिंताओं के कारण हाल ही में म्याँमार से आने वाले यात्रियों की संख्या में कमी हुई है।