सामाजिक न्याय
पुरुषों में बढ़ता एनीमिया
- 11 Nov 2019
- 3 min read
प्रीलिम्स के लिये
एनीमिया क्या है, एनीमिया प्रभावित राज्य
मेन्स के लिये
मानव स्वास्थ्य पर एनीमिया का प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘द लांसेट ग्लोबल हेल्थ’ (The Lancet Global Health) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन द्वारा यह पता चला कि देश के लगभग एक चौथाई पुरुष किसी न किसी प्रकार की एनीमिया से ग्रसित हैं।
मुख्य बिंदु :
- अध्ययन में शामिल 1 लाख लोगों, जिनकी उम्र 15-54 वर्ष के बीच थी, में से लगभग 18 प्रतिशत पुरुषों में निम्न स्तर पर एनीमिया पाया गया, 5 प्रतिशत में मध्यम स्तर पर तथा 0.5 प्रतिशत में तीव्र स्तर पर एनीमिया पाया गया।
- पुरुषों में एनिमिया की वजह से थकान, ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई, आलस आदि जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। पुरुषों में होने वाले एनीमिया से आगामी पीढ़ियों में अल्प-पोषण या एनीमिया की शिकायत तो नहीं होती है लेकिन इससे व्यक्ति की कुल उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- अध्ययन से यह भी पता चला कि पुरुषों में एनीमिया का प्रभाव अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। यह आँकड़ा बिहार में सर्वाधिक, 32.9 प्रतिशत है तथा मणिपुर में न्यूनतम, 9 प्रतिशत है। अशिक्षित, ग़रीब तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों में इसकी शिकायत अधिक है।
- प्रायः यह माना जाता है कि एनीमिया शरीर में आयरन की कमी की वजह से होता है जिसे आयरन की दवाओं तथा फ़ूड-फोर्टीफिकेशन के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा जागरूकता की कमी, अल्पपोषण जैसे अन्य कारण भी इसके लिये जिम्मेदार हैं।
- वर्ष 2018 में सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा पुरुष व महिला वयस्कों में एनीमिया की कमी को दूर करना है।
एनीमिया - विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एनीमिया वह स्थिति है जब रक्त में उपस्थित लाल रुधिर कणिकाएँ (Red Blood Cells-RBCs) की संख्या में कमी हो जाए या उनमें ऑक्सीजन ढ़ोने की क्षमता कम हो जाए। यह शरीर के विकास को प्रभावित करता है।