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सामाजिक न्याय

व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • 30 Apr 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य, चरम मौसमीय घटनाएँ, श्रम सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और से संबंधित संवैधानिक प्रावधान, मज़दूरी संहिता (केंद्रीय) नियम -2020

मेन्स के लिये:

व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

स्रोत: अंतर्राष्ट्रीय श्रम 

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन विश्व में व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (Occupational Safety and Health- OSH) को अत्यधिक प्रभावित कर रहा है, जिससे श्रमिकों को बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ता है।

व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्या हैं?

व्यावसायिक खतरा

प्रभावित उद्योग

स्वास्थ्य संबंधी जोखिम

प्रभाव

अत्यधिक गर्मी का जोखिम

कृषि, पर्यावरणीय सेवाएँ, निर्माण, आदि।

हीट स्ट्रेस, हीटस्ट्रोक, रबडोमायोलिसिस (मांसपेशियों का खिंचाव), हृदय संबंधी रोग, आदि।

प्रतिवर्ष 2.41 अरब कर्मचारी जोखिम में पड़ते हैं, 22.85 लाख घायल होते हैं, जबकि 18,970 कार्य-संबंधी मौतें होती हैं।

यूवी विकिरण एक्सपोज़र

बाहरी कार्य जैसे निर्माण, कृषि, जीवन रक्षक, आदि।

सनबर्न, त्वचा कैंसर, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, आदि।

प्रतिवर्ष 1.6 अरब कर्मचारी इसके संपर्क में आते हैं, अकेले नॉन-मेलेनोमा त्वचा कैंसर से 18,960 से अधिक मौतें होती हैं।



खराब मौसम की घटनाएँ 

आपातकालीन कर्मचारी, निर्माण, कृषि आदि।

खराब मौसम की घटनाओं के कारण विभिन्न प्रकार के जोखिमों का डर 

भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और लाओस के कई हिस्सों में अप्रैल, वर्ष 2023 में रिकॉर्ड उच्च तापमान दर्ज़ किया गया।

कार्यस्थलीय वायु प्रदूषण

बाह्य कर्मचारी, परिवहन कर्मचारी, अग्निशामक आदि।

फेफड़ों का कैंसर, श्वसन रोग, हृदय रोग

1.6 बिलियन बाह्य कर्मचारियों को वायु प्रदूषण के कारण जोखिम में वृद्धि का सामना करना पड़ता है, हर साल लगभग 860,000 कार्य से संबंधी मृत्यु होती हैं।

वेक्टर-जनित रोग

बाह्य श्रमिक जैसे किसान, भूस्वामी, निर्माण श्रमिक आदि।

मलेरिया, लाइम रोग, डेंगू व अन्य

सीमित डेटा, परजीवी और वेक्टर जनित रोगों के कारण हर साल लगभग 15,170 से अधिक कार्य से संबंधी मृत्यु होती हैं।

एग्रोकेमिकल एक्सपोज़र

कृषि, रासायनिक उद्योग, वानिकी आदि।

विषाक्तन, कैंसर, न्यूरोटॉक्सिसिटी, प्रजनन संबंधी विकार आदि।

कृषि में 873 मिलियन श्रमिकों के लिये महत्त्वपूर्ण जोखिम, कीटनाशक विषाक्तता के कारण सालाना 300,000 से अधिक मृत्यु

भारत में श्रम सुरक्षा से संबंधित प्रावधान क्या हैं?

  • संवैधानिक प्रावधान:
  • समवर्ती सूची: श्रम समवर्ती सूची का एक विषय है जहाँ केंद्र और राज्य दोनों सरकारें केंद्र के लिये आरक्षित कुछ मामलों के तहत कानून बनाने में सक्षम हैं।
  • इस सूची में प्रविष्टि संख्या 55 में "खानों और तेल क्षेत्रों में श्रम एवं सुरक्षा का विनियमन" का उल्लेख है।
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत:
  • संविधान का अनुच्छेद 39(e) लिंग की परवाह किये बिना श्रमिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पर ज़ोर देता है और यह सुनिश्चित करता है कि उम्र कम होने के कारण बच्चों का शोषण न किया जाए।
  • इसका उद्देश्य व्यक्तियों को आर्थिक परिस्थितियों के कारण ऐसे व्यवसायों में शामिल होने के लिये मजबूर होने से रोकना है जो उनकी शारीरिक क्षमताओं के लिये उपयुक्त नहीं हैं।
  • अनुच्छेद 42 में कहा गया है कि राज्य न्यायसंगत सुरक्षा एवं श्रम की मानवीय स्थितियों तथा मातृत्व राहत के लिये प्रावधान करेगा
  • अनुच्छेद 43 राज्य के उत्तरदायित्व को रेखांकित करते हुए यह सुनिश्चित करता है कि सभी श्रमिकों को, चाहे वे कृषि, उद्योग अथवा अन्य क्षेत्रों में हों, एक ऐसा वेतन मिले जो उन्हें एक बेहतर जीवन स्तर प्रदान करता हो।
  • इसमें श्रम की वह स्थितियाँ सम्मिलित हैं जो जीवन की संतोषजनक गुणवत्ता, पर्याप्त अवकाश तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करती हैं
  • इसके अतिरिक्त, राज्य को ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत या सहकारी रूप से कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य करना चाहिये।
  • विधायी प्रावधान: व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों के लिये उत्तरदायित्वों को निरूपित करती है, सभी व्यावसायिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानक, कर्मचारी स्वास्थ्य, कार्य के घंटे तथा छुट्टी संबंधी नीतियों को निर्धारित करती है।
  • भारत में श्रम और रोज़गार मंत्रालय के अंतर्गत श्रम ब्यूरो, औद्योगिक दुर्घटनाओं पर आँकड़े संकलित करता है तथा व्यावसायिक सुरक्षा की देखरेख करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ: भारत ने 1 प्रोटोकॉल के साथ 47 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन सम्मेलन समझौतों की पुष्टि की है, जिसमें से 39 समझौते वर्तमान में लागू हैं।
  • श्रमिकों के स्वास्थ्य से संबंधित प्रमुख सम्मेलनों में सम्मिलित हैं- युवा व्यक्तियों की चिकित्सा जाँच (समुद्री) सम्मेलन, 1921, उपचार की समानता (दुर्घटना मुआवज़ा) सम्मेलन, 1925, दुर्घटनाओं के विरुद्ध सुरक्षा (डॉकर्स) सम्मेलन (संशोधित), 1932।

विभिन्न देशों में कार्यस्थल से संबंधित तापमान सीमाएँ क्या हैं?

देश 

तापमान सीमाएँ 

भारत 

फैक्ट्री वर्करूम में वेट बल्ब ग्लोब तापमान (WBGT) 30°C से अधिक नहीं होना चाहिये

चीन 

40°C बाहरी तापमान से अधिक पर काम रोकना

सिंगापुर 

कार्य कक्षों में तापमान 29°C से अधिक नहीं होना चाहिये 

ब्राज़ील 

कम तीव्रता के लिये 29.4°C के WBGT से अधिक होने पर काम रोकना

नोट:

  • भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने गृह मंत्रालय के साथ मिलकर श्रमिकों की सुरक्षा के लिये हीटवेव के प्रबंधन के लिये दिशानिर्देश जारी किये।
  • ये दिशानिर्देश श्रमिकों को शिक्षित करने, जलयोजन सुनिश्चित करने, कार्यक्रम को विनियमित करने और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने पर ज़ोर देते हैं।
  • गर्भवती श्रमिकों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले लोगों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर उन्हें हल्के, वायु पारगम्य वस्त्र पहनने और छतरियों या टोपी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

आगे की राह

  • प्रशिक्षण और जागरूकता: जलवायु संबंधी खतरों और सुरक्षा उपायों पर व्यापक प्रशिक्षण तथा जागरूकता कार्यक्रम प्रदान करने से श्रमिकों को जोखिमों की पहचान करने व प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है।
  • हरित रोज़गार और सतत् प्रथाएँ: हरित रोज़गार और सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना न केवल जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान देता है, बल्कि स्वस्थ एवं सुरक्षित कामकाज़ी वातावरण, जैसे हानिकारक पदार्थों या उत्सर्जन के संपर्क को कम करना को भी बढ़ावा देता है।
  • जलवायु-अनुकूल नीतियाँ: जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में श्रमिक सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने वाली जलवायु-अनुकूल नीतियों एवं विनियमों का विकास तथा कार्यान्वयन संगठनों को पालन करने के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान कर सकता है।
  • ऊष्मा तनाव प्रबंधन: नियमित ब्रेक, हाइड्रेशन स्टेशन और छायादार स्थानों तक पहुँच सहित ऊष्मा तनाव प्रबंधन कार्यक्रमों को लागू करने से श्रमिकों को गर्म जलवायु में गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • अत्यधिक खतरनाक कीटनाशक (HHP) नियंत्रण: HHP के उत्पादन, बिक्री और उपयोग के लिये सख्त नियमों एवं मानकों को लागू करना। इसमें अनुमोदन से पहले संपूर्ण जोखिम मूल्यांकन, समय-समय पर समीक्षा और विशेष रूप से खतरनाक पदार्थों पर प्रतिबंध या चरणबद्ध समाप्ति शामिल हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत की वर्तमान व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य ढाँचे की जाँच कीजिये, प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये और नवीन समाधान सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:    

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. कारखाना अधिनियम, 1881 को औद्योगिक मज़दूरों की मज़दूरी तय करने और मज़दूरों को ट्रेड यूनियन बनाने की अनुमति देने के उद्देश्य से पारित किया गया था।
  2.  एन.एम. लोखंडे ब्रिटिश भारत में श्रमिक आंदोलन के आयोजन में अग्रणी थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "'भारत में बनाइये' कार्यक्रम की सफलता, 'कौशल भारत' कार्यक्रम और आमूल श्रम सुधारों की सफलता पर निर्भर करती है।" तर्कसम्मत दलीलों के साथ चर्चा कीजिये। (2015)

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