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जैव विविधता और पर्यावरण

नाइट्रोजन उपलब्धता में असंतुलन

  • 20 Apr 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नाइट्रोजन, प्रकाश प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियांँ, वनाग्नि, कार्बन डाइऑक्साइड।

मेन्स के लिये:

नाइट्रोजन चक्र का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर नाइट्रोजन की उपलब्धता में असंतुलन देखा जा रहा है। कुछ स्थानों पर इस तत्त्व की अधिकता है तो वही कुछ जगहों  पर इसकी कमी बनी हुई है।

प्रमुख बिंदु 

कमी के कारण: 

  • कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते स्तर और अन्य वैश्विक परिवर्तनों ने पौधों तथा रोगाणुओं में नाइट्रोजन की मांग में वृद्धि की है।  
    • उच्च कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सांद्रता के संपर्क में आने पर पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं। 
    • पौधों में CO2  का उच्च स्तर उनमे नाइट्रोजन की मात्रा को कम कर देता है इस प्रकार पौधों में नाइट्रोजन की मांग बढ़ जाती है। 
  • नाइट्रोजन के स्तर में गिरावट या कमी लाने वाले अन्य कारकों में वनाग्नि सहित ग्लोबल वार्मिंग शामिल हैं।
    • विश्व के कई क्षेत्रों जहाँ लोग मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाने पर ध्यान नहीं देते  हैं वहाँ से प्राप्त दीर्घकालिक रिकॉर्ड प्रदर्शित करते हैं कि उन स्थानों पर नाइट्रोजन की उपलब्धता घट रही है जो पौधों और जानवरों के विकास हेतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
    • जीवाश्म ईंधन के दहन, नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के उपयोग और अन्य गतिविधियों से पारिस्थितिक तंत्र में जैविक रूप से उपलब्ध नाइट्रोजन की मात्रा में नाटकीय रूप से वृद्धि हो सकती है।

नाइट्रोजन असंतुलन के परिणाम:

  • नाइट्रोजन की कमी: 
    • नाइट्रोजन के घटते स्तर या कमी को  कीट के विनाश/सर्वनाश (Insect Apocalypse) से जोड़कर देखा जा सकता है। 
      • जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों के उपयोग, शाकनाशी, प्रकाश प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियांँ, कृषि और भूमि उपयोग में परिवर्तन के कारण हर साल पृथ्वी से  लगभग 1-2% कीट समाप्त हो रहे हैं। इस परिघटना को  "कीट सर्वनाश" (Insect Apocalypse)कहा जा रहा है।
    • यह टिड्डियों की कुछ प्रजातियों की संख्या बढ़ा सकता है।
    • इसके अलावा कम नाइट्रोजन की उपलब्धता वातावरण से CO2 को अवशोषित करने की पौधों की क्षमता को सीमित कर सकती है।
  • नाइट्रोजन की उच्च मात्रा: 
    • जब नदियों, अंतर्देशीय झीलों और पानी के तटीय निकायों में अत्यधिक नाइट्रोजन की मात्रा इकट्ठा हो जाती है, तो यह कभी-कभी यूट्रोफिकेशन (Eutrophication) का परिणाम हो सकती है जिससे हानिकारक एल्गी प्रस्फुटन (Algal Blooms) की घटना हो सकती है तथा डेड ज़ोन और मछलियों की मृत्य तक हो जाती है।
      • यूट्रोफिकेशन (Eutrophication): जब एक जल निकाय खनिजों और पोषक तत्त्वों से अत्यधिक समृद्ध हो जाती है जो शैवाल या शैवाल के अत्यधिक विकास को प्रेरित करती है। इस स्थिति में उपलब्ध जलीय ऑक्सीजन कम हो जाती जिससे अन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है।
  •  भूजल में नाइट्रोजन का उच्च स्तर मनुष्यों में आंँत के कैंसर और गर्भपात जैसी समस्याओं से जुड़ा होता है और शिशुओं के लिये घातक हो सकता है।

नाइट्रोजन की मुख्य विशेषताएंँ:

  • नाइट्रोजन सभी जीवित जीवों के अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण  प्राथमिक पोषक तत्त्वों में से एक है।
  • वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस की  78% मात्रा पाई जाती है और नाइट्रोजन जीवन के आवश्यक कई अणुओं का हिस्सा है जिनमें प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड (डीएनए और आरएनए) और कुछ विटामिन शामिल हैं।
  • नाइट्रोजन अन्य जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण यौगिकों जैसे एल्कलॉइड और यूरिया में भी पाया जाता है।
  • इस प्रकार नाइट्रोजन सभी जीवों के लिये एक आवश्यक पोषक तत्व है तथा जीवन के लिये ये सभी जीव सीधे वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करते है।
  • यद्यपि नाइट्रोजन गैस (N2) के रूप में वातावरण में नाइट्रोजन प्रचुर मात्रा में है, किंतु जीवों द्वारा इसका उपभोग काफी हद तक दुर्गम है, जिससे अक्सर कई पारिस्थितिक तंत्रों में प्राथमिक उत्पादकता सीमित होती है।
  • केवल जब नाइट्रोजन को नाइट्रोजन गैस से अमोनिया (NH3) में परिवर्तित किया जाता है, तो यह पौधों जैसे प्राथमिक उत्पादकों के लिये उपयोग में लाई जा सकती है।
  • नाइट्रोजन गैस के प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से होते हैं:
    • नाइट्रोजन स्थिरीकरण (अमोनिया हेतु नाइट्रोजन गैस),
    • नाइट्रीकरण (अमोनिया से नाइट्राइट और नाइट्रेट),
    • डीनाइट्रीकरण (नाइट्रेट से नाइट्रोजन गैसों में)
  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों द्वारा नाइट्रोजन गैस (N2) को जैविक रूप से उपलब्ध नाइट्रोजन अर्थात् अमोनिया में परिवर्तित करने की प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाती है।
    • कुछ नाइट्रोजन-फिक्सिंग जीव (Nitrogen-fixing organisms) मुक्त-जीवित होते हैं, जबकि अन्य सहजीवी नाइट्रोजन-फिक्सर (Nitrogen-fixers) होते हैं, जिन्हें प्रक्रिया को पूरा करने के लिये मेजबान के साथ घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता होती है।
    • इनमें से कुछ बैक्टीरिया एरोबिक, जबकि अन्य अवायवीय होते हैं; जिसमे से कुछ प्रकाशपोषी होते हैं तथा कुछ अन्य रसायनपोषी होते हैं (प्रकाश के बजाय रसायनों को उनके ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करना)।
    • इन सभी में एक समान एंज़ाइम कॉम्प्लेक्स होता है जिसे नाइट्रोजनेज़ (Nitrogenase) कहा जाता है, जो N2 की कमी को NH3 (अमोनिया) में उत्प्रेरित करता है।

Nitrogen-Cycle

विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से, मृदा में नाइट्रोजन को बढ़ाता है/बढ़ाते हैं?

  1. जंतुओं द्वारा यूरिया का उत्सर्जन
  2. मनुष्य द्वारा कोयले को जलाना
  3. वनस्पति की मृत्यु

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)  

  • मानव सहित स्तनधारी यूरिया के प्राथमिक उत्पादक हैं। क्योंकि वे यूरिया को प्राथमिक नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट उत्पाद के रूप में स्रावित करते हैं, इन्हें यूरियोटेलिक जानवर कहा जाता है। ये अपशिष्ट मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाते हैं। अत: 1 सही है।
  • कोयले के दहन से कार्बन के ऑक्साइड (COx), सल्फर के ऑक्साइड (SOx), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) और फ्लाई-ऐश, ग्रिप गैस और स्क्रबर कीचड़ सहित कई तरह के उपोत्पाद बनते हैं। हालाँकि यह सीधे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को नहीं बढ़ाते करते है। अत: 2 सही नहीं है।
  • जब वनस्पति तथा जानवर की मृत्यु हो जाती हैं, तो कार्बनिक पदार्थों में नाइट्रोजन यौगिक मिट्टी में प्रवेश करते हैं, जहाँ वे सूक्ष्मजीवों द्वारा विघटित होते हैं, जिन्हें अपघटक (Decomposers) के रूप में जाना जाता है। यह अपघटन अमोनिया उत्पन्न करता है, जो नाइट्रिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरता है, अर्थात् मिट्टी में नाइट्रिफाइंग बैक्टीरिया अमोनिया को नाइट्राइट (NO2) और फिर नाइट्रेट (NO3) में परिवर्तित करते हैं। अत: 3 सही है। 

अतः  विकल्प (c) सही उत्तर है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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