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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इंडीजेन जीनोम परियोजना

  • 30 Oct 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये

इंडीजेन जीनोम परियोजना, जीनोम, जीनोम अनुक्रमण,  जिनोम मैपिंग 

मेन्स के लिये

जैव प्रौद्योगिकी की आवश्यकता एवं महत्त्व, जैव प्रौद्योगिकी का विकास एवं अनुप्रयोग 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (The Council of Scientific & Industrial Research- CSIR) द्वारा इंडीजेन जीनोम परियोजना (IndiGen Genome Project) के तहत 1000 से अधिक लोगों के जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) का अध्ययन किया।

प्रमुख बिंदु:

  • अप्रैल, 2019 में शुरू हुई इंडीजेन जीनोम परियोजना को सी.एस.आई.आर.– जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान दिल्ली (CSIR-Institute of Genomics and Integrative Biology - IGIB) तथा कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र, हैदराबाद (CSIR-Centre for Cellular and Molecular Biology, CCMB) द्वारा लागू किया गया है।
  • इस परियोजना के दो प्रमुख उद्देश्य हैं:
    • शीघ्रता एवं विश्वसनीयता के साथ विभिन्न प्रकार के जीनोम की मैपिंग (Genome Mapping) करना तथा लोगों को उनके जीन में होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में  सलाह देना।
    • बीमारी से जुड़े हुए जीनों की भिन्नता तथा आवृत्ति को समझना।
  • इस परियोजना के माध्यम से जीनोम डाटा से उपचार व रोकथाम के लिये सटीक दवाएँ विकसित करने की क्षमता बढ़ेगी जिसके द्वारा कैंसर तथा अन्य दुर्लभ आनुवांशिक रोगों का निदान संभव होगा।
  • इंडीजेन (IndiGen) के परिणामों का उपयोग जनसंख्या के पैमाने पर ‘आनुवांशिक विविधता’ (Genome Variation) को समझने तथा नैदानिक अनुप्रयोग हेतु आनुवांशिक रूपांतर उपलब्ध कराने के लिये किया जाएगा जो आनुवांशिक रोगों के कारणों व प्रकृति को समझने में सहायक होगा।

स्रोत: PIB

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